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11 साल की मान्या हर्षा सब्जी के छिलकों से बना रही पेपर, पर्यावरण पर लिख चुकी हैं 5 किताबें

बेंगलुरु की रहने वाली 11 वर्षीय मान्या हर्षा एक सस्टेनेबिलिटी इन्फ्लुएंसर हैं, जो अपने तरीके से कचरा प्रबंधन का समर्थन कर रही हैं। वह केमिकल मुक्त कागज बनाने के लिए रसोई के कचरे को रिसाइकिल कर रही है। इनोवेशन मौजूदा कागज उद्योग के लिए एक बढ़िया विकल्प होगा जो तेजी से अस्थिर होता जा रहा है।

11 साल की मान्या हर्षा सब्जी के छिलकों से बना रही पेपर, पर्यावरण पर लिख चुकी हैं 5 किताबें

Monday September 13, 2021 , 5 min Read

बेंगलुरु की रहने वाली 11 वर्षीय मान्या हर्षा सब्जियों के छिलकों से ईको-फ्रैंडली कागज बना रही हैं। वह भारत में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (Waste Management System) में सुधार करने का प्रयास कर रही है। वह एक वॉलेंटियर के रूप में अलग-अलग ग्रीन एक्टिविटीज़ में भाग लेती है और पर्यावरण को बचाने के उनके प्रयासों के लिए उन्हें UN-Water द्वारा मान्यता प्राप्त है।

मान्या हर्षा का मानना है, "इस दुनिया में कुछ भी तब तक अपशिष्ट नहीं होता जब तक आप उसे अपशिष्ट नहीं मानते।"
Manya Harsha

(इमेज सोर्स: मान्या हर्षा/इंस्टाग्राम)

मान्या, बेंगलुरु के Vibgyor High BTM स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ रही हैं और वह खुद को एक इको-एक्टिविस्ट मानती हैं, जो अपना समय पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने में बिताती हैं। अपनी दादी के घर के हरे-भरे परिवेश में पली-बढ़ी, मान्या हमेशा प्रकृति से प्यार करती थी। जब उन्होंने शहर में कचरा की समस्या को और खराब होते देखा तो उनसे रहा नहीं गया, और वह इसके प्रति लोगों को जागरुक करने के बारे में सोचने लगी।


अब तक, उन्होंने बच्चों के साथ वॉकथॉन (children's walkathons) का आयोजन किया है, पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक ब्लॉग भी बनाया है, और इतना ही नहीं, इस विषय पर वह अब तक पांच किताबें लिख चुकी हैं, और दो और किताबों पर काम जारी है। लगातार कचरा प्रदूषण की समस्या से लड़ने के लिए उन्होंने हाल ही में मार्कोनहल्ली बांध (Markonahalli Dam) और वरका बीच (Varca Beach) पर एक सफाई अभियान का भी आयोजन किया।

मान्या कहती हैं, "मैं हर दिन को पृथ्वी दिवस (Earth Day) के रूप में मनाती हूं। मेरा मानना है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने परिवेश और प्रकृति की देखभाल करें।"

HindustanTimes की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी की छुट्टियों के दौरान मान्या ने हजारों पेड़ों को बिना किसी खर्च के बचाने का एक नया तरीका निकाला। उनकी विधि से केवल 10 प्याज के छिलकों का उपयोग करके 2 से 3 A4 साइज की पेपर शीट तैयार की जा सकती हैं।


कागज बनाने का उनका पहला प्रयास पूरी तरह विफल रहा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, वह तब तक तकनीक में सुधार करती रही जब तक कि वह विभिन्न रंगों और पैटर्न में पेपर नहीं बना लेती।


मान्या कहती है, "मैं इस तरह धरती माता का विनाश होते नहीं देख सकती थी। वह हमारी माँ है, और उसके बच्चों के रूप में यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने माता-पिता के लिए आवाज़ उठाएं। मुझे भी ऐसा ही महसूस होता है। मैं अपनी धरती मां की पूजा करती हूं और उसके लिए खड़ी होऊंगी और बोलूंगी।"


मान्या को इस स्वतंत्रता दिवस पर Earth.org India Network से 'Rising of India' का खिताब मिला है।

Manya Harsha

(इमेज सोर्स: मान्या हर्षा/इंस्टाग्राम)

TheOptimistCitizen की एक रिपोर्ट के अनुसार, मान्या का मानना ​​है, "जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, उसके लिए खुद कदम उठाएं, उपदेश देना बंद करें और अभ्यास करना शुरू करें। पर्यावरण संकट से निपटने के लिए यही सही मंत्र है।"


रिपोर्ट में आगे बताया गया है, "अपने 9वें जन्मदिन पर उन्होंने अपने स्कूल परिसर में 25 पौधे लगाए और अपनी आवासीय सोसायटी में पौधे बांटे। 51वें पृथ्वी दिवस पर मान्या ने अपने अपार्टमेंट परिसर के चारों ओर 51 पौधे लगाने का संकल्प लिया। यंग एक्टिविस्ट बच्चों की डिजिटल मैगजीन Sunshine Fortnightly की चीफ़ एडिटर भी हैं। इस मैगजीन के जरिए, वह अपने रिडर्स को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करती है। अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से, मान्या ने अपने ‘Each One Plant One Campaign’ के एक भाग के रूप में वृक्षारोपण अभियान के लिए 46 स्वयंसेवकों तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा, उन्होंने प्रकृति की रक्षा पर एक कन्नड़ रैप और अपने स्कूल में Strike Off Plastic एंथम की रचना और रिकॉर्ड किया है।


दुनिया भर में कई लोग मान्या के #vegetablepaper से प्रेरित होकर घर पर ही अपना पेपर बनाना शुरू कर चुके हैं। गीले अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए उनके पर्यावरण-टिकाऊ दृष्टिकोण ने कई लोगों को प्रभावित किया है। मान्या ने विभिन्न संगठनों और स्कूलों को रोज़मर्रा की रसोई के कचरे को सब्जी के कागज में बदलने के बारे में अतिथि वार्ता दी है।


LifeBeyondNumbers की एक रिपोर्ट के अनुसार, मान्या कन्नड़ भाषा की सबसे कम उम्र की लेखिका भी हैं। उनकी पुस्तक "नीरिना पुतानी संरक्षकारु" (द वाटर हीरोज) वर्तमान पानी की समस्या पर ध्यान देती है और इसका आसान जवाब है कि युवा पर्यावरण की रक्षा के लिए एक साथ पालन कर सकते हैं। प्राकृतिक दुनिया पर लिखा गई यह उनकी दूसरी किताब है।


प्रकृति पर किताब लिखने वाली मान्या, को सबसे छोटी उम्र में यह कारनामा करने के लिए India Book of Records ने खिताब से नवाजा है।


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Edited by Ranjana Tripathi