बेटी के नामकरण पर 101 पेड़ लगाकर इस दंपति ने पेश की मिसाल
इस समारोह में शामिल हुए रंजीत के दोस्त नाइक के मुताबिक रंजीत और नेहा को पर्यावरण की काफी फिक्र होती है इसीलिए उन्होंने पौधरोपण किया।
रंजीत ने बताया कि इस आइडिया से उनके दोस्त भी काफी उत्साहित हुए और उनके एक दोस्त ने मालशिरस में पौधरोपण करने का सुझाव दिया। इस जगह पर रंजीत की कुछ जमीन भी है। नेहा ने इस मौके पर कहा कि पेड़ लगाना भी एक तरह का सेलिब्रेशन है।
पेड़ के साथ ही उसके बगल में बाड़ भी लगाया ताकि जानवर इन्हें नष्ट न कर सकें। पौधरोपण के बाद सबने मिलकर केक काटा और बेटी का नाम आलिशा रखा।
लोग अपने बच्चों का जन्मदिन काफी धूमधाम से मनाते हैं और खूब खर्च भी करते हैं। लेकिन पुणे के एक युवा दंपती ने अपनी बच्ची का नामकरण समारोह न केवल सादगी से मनाया बल्कि 101 पौधे लगाकर एक मिसाल भी पेश की। उन्होंने लोकल स्टूडेंट्स् को भी इस पहल में शामिल किया औक लगभग 50,000 रुपये खर्च कर उनसे भी 51 पौधे लगवाए। पुणे में रहने वाले रंजीत और नेहा मलिक ने अपनी 1.5 माह की बेटी आलिशा के नामकरण के मौके को यादगार बनाने के साथ ही आने वाली पीढ़ी के अच्छे भविष्य के लिए इस शुभ काम को अंजाम दिया। बीते एक अक्टूबर को उन्होंने पौधरोपण किया।
रंजीत और नेहा अपनी बेटी के नामकरण के मौके को यादगार बनाना चाहते थे, लेकिन वे आमतौर पर निभाई जाने वाली रस्मों और रीति रिवाजों को नहीं निभाना चाहते थे। उन्होंने यवत नाम के सूखा प्रभावित कस्बे में पेड़ लगाने के बारे में सोचा और उसे अंजाम भी दिया। इस समारोह में शामिल हुए रंजीत के दोस्त नाइक के मुताबिक रंजीत और नेहा को पर्यावरण की काफी फिक्र होती है इसीलिए उन्होंने पौधरोपण किया। इसके साथ ही उन्होंने गांव के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को भी 51 पौधे दान किए ताकि वहां का पर्यावरण और अच्छा हो सके। रंजीत कोथरुड में ऑटो कैड सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाते हैं वहीं नेहा प्रतिष्ठित सिंबोयसिस इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर हैं। करीब डेढ़ माह पहले 18 अगस्त को उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया था।
आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद नामकरण समारोह में काफी खर्च होता है और सामान्य रीति रिवाज अपनाए जाते हैं। लेकिन रंजीत और नेहा ने सैकड़ों मेहमानों और रिश्तेदारों को किसी बड़े गेस्ट हाउस में पार्टी देने के बजाय पौधरोपण करना ज्यादा जरूरी और बेहतर समझा। रविवार को रंजीत अपनी पत्नी नेहा, बेटी और परिवार वालों के साथ तेज धूप में पुणे से 55 किलोमीटर दूर एक यवत नाम के कस्बे में गए और वहां नीम, आम, चीकू, बांस, नारियाल, गुलमोहर और पीपल के पेड़ लगाए। पेड़ के साथ ही उसके बगल में बाड़ भी लगाया ताकि जानवर इन्हें नष्ट न कर सकें। पौधरोपण के बाद सबने मिलकर केक काटा और बेटी का नाम आलिशा रखा।
रंजीत के एक रिश्तेदार ने कहा कि यह पहल काफी सकारात्मक है और आने वाले समय में उनके परिवार में ऐसे काम होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो काम हम कर रहे हैं इसके लिए आने वाली पीढ़ी हमारी शुक्रगुजार रहेगी।
इस सार्थक पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए रंजीत कहते हैं, 'प्रकृति हमें कितना कुछछ देती है, लेकिन हमें भी सोचना चाहिए कि हम उसकी कितनी देखभाल करते हैं। हमारी कोशिश थी कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए सोचें और उनके लिए एक नजीर स्थापित कर सकें। मैं चाहूंगा कि इसे और लोग भी फॉलो करें। मेरे दिमाग में जब यह आइडिया आया तो मैंने अपने परिचितों और संबंधियों से साझा किया।' रंजीत ने बताया कि इस आइडिया से उनके दोस्त भी काफी उत्साहित हुए और उनके एक दोस्त ने मालशिरस में पौधरोपण करने का सुझाव दिया। इस जगह पर रंजीत की कुछ जमीन भी है। नेहा ने इस मौके पर कहा कि पेड़ लगाना भी एक तरह का सेलिब्रेशन है।
उनकी इस पहल से मालसिरस गांव के लोग भी काफी खुश हैं। गांव के भूलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि हमारे गांव की हालत बहुत अच्छी नहीं है इसलिए लोग भी बहुत कम यहां आते हैं। पेड़ लगाने का ख्याल काफी दिनों से हमारे दिमाग में था, लेकिन इस दंपती ने आकर हमारे मन की मुराद पूरी कर दी। रंजीत के एक रिश्तेदार ने कहा कि यह पहल काफी सकारात्मक है और आने वाले समय में उनके परिवार में ऐसे काम होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो काम हम कर रहे हैं इसके लिए आने वाली पीढ़ी हमारी शुक्रगुजार रहेगी। नेहा ने कहा कि भारत में बेटी और बेटे के बीच भी खाई है जिस वजह से हमारा लिंगानुपात गिरता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का भी इस समाज में बराबर का हिस्सा है। इसलिए उन्हें भी बराबर का हक मिलना चाहिए।
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