22 साल की उम्र में कैंसर को हराकर भारत की पहली एविएशन बुकिंग वेबसाइट बनाने वाली कनिका टेकरीवाल
जेटसेटगो की चेयरमैन कनिका टेकरीवाल वो शख्स हैं जिन्होंने ना केवल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दी, बल्कि जिंदगी जीने के नए आयाम भी दुनिया को दिये। हजार परेशानियों के बाद भी सकारात्मक उर्जा के साथ किस प्रकार जिया जाता है और सफलता हासिल की जाती है, यह कनिका से हम सब सीख सकतें हैं।
कनिका बिजनेस ट्रिप से लेकर बर्थडे पार्टी के लिए जेट या हेलिकॉप्टर अवेलेबल कराती हैं। उनका मानना है कि भारत में अभी भी एविएशन के क्षेत्र में लोगों की जानकारी कम है। जेटसेटगो पर भारतीय चार्टर ग्राहक अपनी पसंद व आराम के अनुसार वेब और मोबाइल दोनों प्लेटफार्मों पर एक निजी जेट को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।
आज न सिर्फ कनिका एक सफल बिजनेस वुमेन हैं बल्कि कुशल मैराथन धावक, एक चित्रकार, ज़िंदादिल ट्रैवेलर और भी बहुत कुछ खूबियां उनके अंदर हैं और हर दिन वह अपनी एक नई परिभाषा लिख रही हैं।
जेटसेटगो की चेयरमैन कनिका टेकरीवाल वो शख्स हैं जिन्होंने ना केवल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दी बल्कि जिंदगी जीने के नए आयाम भी दुनिया को दिये। हजार परेशानियों के बाद भी सकारात्मक उर्जा के साथ किस प्रकार जिया जाता है और सफलता हासिल की जाती है, यह कनिका से हम सब सीख सकतें हैं। 25 साल की कनिका टेकरीवाल जेटसेटगो कंपनी की को-फाउंडर और सीईओ हैं। उन्होंने 2014 में जेटसेटगो की शुरुआत की, जिसके जरिए कोई भी आसानी से प्राइवेट एयरक्रॉफ्ट, हेलिकॉप्टर और एयर एंबुलेंस की ऑनलाइन बुकिंग कर सकता है। कनिका टेकरीवाल एक ऐसा उदाहरण है, जिन्होंने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया है कि कोई भी सपना आपसे बड़ा नहीं होता है। कनिका ने 17 साल की उम्र में एक नामी जेट कंपनी में नौकरी शुरू की थी। आज वे इंडस्ट्री में 9 साल पूरे कर चुकी हैं। कनिका टेकरीवाल जेटसेटगो की सीईओ फ़ोर्ब्स मैगजीन की 30 अंडर 30 अचीवर्स की लिस्ट में शामिल हो चुकी हैं। बीबीसी की लिस्ट में कनिका दुनिया की 100 पॉवरफुल लेडीज में जगह बना चुकी हैं। बीबीसी की हाल में जारी लिस्ट में कनिका भारत की 7 एस्पिरेशनल लेडीज में से एक हैं।
कनिका बिजनेस ट्रिप से लेकर बर्थडे पार्टी के लिए जेट या हेलिकॉप्टर अवेलेबल कराती हैं। उनका मानना है कि भारत में अभी भी एविएशन के क्षेत्र में लोगों की जानकारी कम है। इसी कारण कस्टमरों को मजबूरी में ऐसे चार्टड प्लेन लेने पड़ते हैं, जिसमें ब्रोकर्स की मनमानी चलती है। इसे जेटसेटगो ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है। जेटसेटगो पर भारतीय चार्टर ग्राहक अपनी पसंद व आराम के अनुसार वेब और मोबाइल दोनों प्लेटफार्मों पर एक निजी जेट को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। कनिका का जन्म भोपाल में हुआ था। कनिका मैराथन रनर और पेंटर भी है। कनिका ने भोपाल के जवाहर लाल नेहरु स्कूल से 12वीं कक्षा पास की। इस के बाद ग्रेजुएशन करने के बाद इंग्लैड से एमबीए की डिग्री ली। एमबीए करने के बाद कनिका को जेटसेटगो का आइडिया आया और उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि अभी उनके रास्ते में इंडस्ट्री की अड़चनों के साथ ही जीवन की सबसे बड़ी चुनौती आना बाकी थी।
जब घातक कैंसर को दी मात-
कनिका ने महज 17 साल की उम्र में अपनी कंपनी बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी। 22 साल उम्र में पता चला की उन्हें कैंसर है। लेकिन वह टूटी नही ही और इस से लड़ती रहीं। कनिका की विल पॉवर मजबूत थी, उसने हार नहीं मानी। फैसला किया कि वह ऐसे डॉक्टर से इलाज कराएंगी, जो डर और आत्मविश्वास में फर्क समझता हो, जिसका जज्बा उनकी ही तरह मजबूत हो। कनिका को डॉक्टर की तलाश में पूरा भारत घूमना पड़ा और वह देश के कई स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से मिलीं। आखिर उनकी तलाश काफी जद्दोजहद के बाद पूरी हुई। डॉक्टर और कनिका ने कैंसर को एक चुनौती की तरह लिया। एक साल के इलाज में कनिका को कई कीमोथैरेपी करानी पड़ी। इस तरह वह अपने जज्बे से कैंसर को हराने में कामयाब रहीं। कनिका का कहना है, 'आपका सबसे बड़ा डर मृत्यु है, लेकिन जब आप उस मृत्यु को पास से अनुभव कर लेते हैं तो वह डर आपके अंदर से खत्म हो जाता है। मैंने कैंसर को हराने की ठान ली और इसमें कामयाब भी हुई। इसके बाद मुझे अपने ऊपर पहले से ज्यादा भरोसा हो गया और मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था।'
कैंसर को हराने के बाद कनिका पहले से भी ज्यादा आत्मविश्वास से भर गई और अपने जेटसेटगो के सपने को पूरा करने के लिए भोपाल छोड़ दिल्ली शिफ्ट हो गई। और जेटसेटगो को सफल बनया और भारतीय क्रीकेटर युवराज सिंह भी कनिका की कंपनी जेटसेटगो में फंडिग कर चुके है। भारत के अतिरिक्त उन्होंने विदेशों में भी काम किया था और इस दौरान उन्होंने इस इंडस्ट्री के उतार-चढ़ाव को काफी करीब से महसूस किया था। इंडस्ट्री के बारे में उनकी जानकारी बहुत ही पुख्ता हो चुकी थी और जेटसेटगो इन्हीं अनुभवों का परिणाम था। जब ग्राहक, चार्टर ब्रोकर्स या ऑपरेटर्रस से डील किया करते थे तो उस दरमयान ग्राहकों को होने वाली समस्याओं से कनिका अच्छी तरह से वाकिफ थीं। बहुत सारे बदलावों व उतार-चढ़ाव के बाद इस क्षेत्र की भारत की यह पहली ऑन लाइन वेबसाइट है जिसे सफलता के साथ लांच किया गया।
आसमान से भी ऊंचा सपनो का जहान-
आज ये कंपनी 20 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रेक्ट और करीब 70 मिलियन डॉलर की संपत्ती को संभालती है। साथ ही इसके ऑफिस दिल्ली के अलावा मुंबई, बैंगलोर, दुबई और न्यूयॉर्क में भी हैं। कनिका की मानें तो वो अब और मेहनत से काम करते हुए एक दिन दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में जगह बनाएंगी। काम के दौरान जब भी कनिका को असफलता हाथ लगती तो वो हताश व निराश होने की बजाए इस बात पर ज्यादा ध्यान देतीं कि अगली बार वो और बेहतर कैसे कर सकतीं हैं। उनकी सोच पूरी तरह सकारात्मक हो चुकी थी और वह किसी भी समस्या का हल खोजने में अपना वक्त देतीं ।
कनिका के मुताबिक, अगर मैं अपना 6 महीने का समय देने के बाद भी सिर्फ इसलिए कोई प्लान नहीं बेच पाती हूं कि मेरे ग्राहक को रेट पसंद नहीं है या उसने अपना मूड बदल लिया है, तो मुझे निराशा नहीं होती है। बल्कि मैं फिर से अपने काम में पूरे जोश के साथ लग जाती हूं। मैं ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की तलाश में लग जाती हूं। मैं कोशिश करती हूं कि मेरे ग्राहकों को मैं और भी सस्ते प्लान दे सकूं जिसे वो खरीद सकें। मैं हर रात सोने से पहले अपने आपसे ये वादा करतीं हूं कि मुझे विश्व की 100 शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल होना है।
कनिका का ये आत्मविश्वास और उनकी सकारात्मक सोच ही उन्हें आज इस मुकाम तक लेकर आया है। आज न सिर्फ वह एक सफल बिजनेस वुमेन हैं बल्कि कुशल मैराथन धावक, एक चित्रकार, ज़िंदादिल ट्रैवेलर और भी बहुत कुछ खूबियां उनके अंदर हैं और हर दिन वह अपनी एक नई परिभाषा लिख रही हैं।
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