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‘संवाद’ से एक IAS अधिकारी बदल रहा है सरकारी हॉस्टलों की सूरत

‘संवाद’ से एक IAS अधिकारी बदल रहा है सरकारी हॉस्टलों की सूरत

Monday October 15, 2018 , 3 min Read

 ज्यादातर सरकारी हॉस्टल उपेक्षा के शिकार रहते हैं और वहां रह रहे छात्र-छात्राओं की कठिनाइयों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। लेकिन राजस्थान के माउंट आबू में युवा आईएएस अफसर ने 'संवाद' नाम से एक ऐसी पहल शुरू की है जिससे देश भर में मिसाल कायम की जा सकती है।

हॉस्टल की बच्चियों के साथ निशांत जैन

हॉस्टल की बच्चियों के साथ निशांत जैन


निशांत बताते हैं कि इन हॉस्टलों में अधिकतर बच्चे जनजातीय क्षेत्रों से आते हैं। इसलिए ये खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते थे। अधिकारियों के नियमित तौर पर हॉस्टल के भ्रमण की वजह से ये बच्चे खुलकर बात साझा करने लगे हैं।

हाल के दिनों में बिहार और यूपी में सरकारी छात्रावासों और बालिका गृहों में छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार की खबरें चर्चा में रहीं। ‘सोशल ऑडिट’ से कई जगहों पर बच्चों से हो रही ज़बरदस्ती का ख़ुलासा हुआ। वार्डन द्वारा छात्र-छात्राओं से ग़लत व्यवहार या शोषण जैसी ख़बरें दिल तो दहलाती ही हैं साथ ही हमारी व्यवस्था में छात्र-छात्राओं से सकारात्मक बातचीत की कमी को भी दर्शाती हैं। ज्यादातर सरकारी हॉस्टल उपेक्षा के शिकार रहते हैं और वहां रह रहे छात्र-छात्राओं की कठिनाइयों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। लेकिन राजस्थान के माउंट आबू में युवा आईएएस अफसर ने 'संवाद' नाम से एक ऐसी पहल शुरू की है जिससे देश भर में मिसाल कायम की जा सकती है।

2015 बैच के IAS निशान्त जैन माउंट आबू में बतौर SDM कार्यरत हैं। उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे SC/ST हॉस्टलों की विज़िट के दौरान बालक-बालिकाओं से जब संवाद स्थापित किया तो पाया बच्चों को सुविधाओं की ही नहीं, सपोर्ट और मार्गदर्शन की भी उतनी ही ज़रूरत है। निशांत को लगा कि अधिकारी हॉस्टलों में दौरा करने तो चले जाते हैं, लेकिन उनसे संवाद नहीं स्थापित कर पाते और इस वजह से बच्चों की समस्या का पता नहीं चल पाता।

हॉस्टल का निरीक्षण करने जाते निशांत जैन

हॉस्टल का निरीक्षण करने जाते निशांत जैन


इस स्थिति को बदलने के लिए IAS निशांत ने आबू रोड के अपने सभी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को एक-एक हॉस्टल गोद दे दिया। इन अधिकारियों को अब हर महीने वहाँ जाने, वहाँ की व्यवस्थाएँ दुरुस्त करने के साथ-साथ छात्र-छात्राओं से इन्फ़ोर्मल बात-चीत करने का ज़िम्मा सौंपा गया है। निशांत बताते हैं कि इन हॉस्टलों में अधिकतर बच्चे जनजातीय क्षेत्रों से आते हैं। इसलिए ये खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते थे। अधिकारियों के नियमित तौर पर हॉस्टल के भ्रमण की वजह से ये बच्चे खुलकर बात साझा करने लगे हैं। अधिकारी भी जब बच्चों से मिलते हैं तो उनकी समस्या सुनने के साथ ही अपना नंबर भी नोट करवा देते हैं ताकि किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर उन्हें तुरंत सहायता मिल सके।

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कुछ दिन पहले रविवार की छुट्टी के दिन अम्बेडकर हॉस्टल, माउंट आबू के करीब पंद्रह-बीस बच्चे SDM के घर पहुँचे और पिछली रात वॉर्डन द्वारा मार-पीट किए जाने की शिकायत की। SDM ने तुरंत बच्चों की शिकायत के आधार पर मुक़दमा दर्ज कराया और वॉर्डन को उस हॉस्टल से तत्काल हटा दिया। यह 'संवाद' पहल का ही परिणाम था कि बच्चों ने अपनी शिकायत लेकर सीधे एसडीएम के घर जा पहुंचे। 'संवाद' से न लेवल ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के मोटिवेशन लेवल में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि इन हॉस्टलों में रह रहे जनजातीय बच्चों का आत्मविश्वास भी तेज़ी से बढ़ा है।

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