Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

क्यों होती है नींद में मृत्यु?

नींद में होने वाली मृत्यु के पीछे है एक भयावह बीमारी...

क्यों होती है नींद में मृत्यु?

Thursday June 29, 2017 , 5 min Read

13 फीसदी भारतीय स्लीप एपनिया से पीड़ित हैं। स्लीप एपनिया मतलब नींद में ही इंसान की मौत हो जाना। ये दुनिया में नींद से संबन्धित समस्याओं के सबसे आम प्रकारों से एक है। एक शोध के मुताबिक स्लीप एपनिया की वजह से उनींदे शख़्स के कार हादसे का शिकार होने की आशंका 12 गुना ज़्यादा होती है...

image


स्लीप एपनिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके बहुत से जोखिम कारक होते हैं और इन जोखिम कारकों की रोकथाम और उपचार के द्वारा इस बीमारी को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

स्पेन के शोधार्थियों ने सात निद्रा चिकित्सालयों के 5,600 मरीजों के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला। ऐसे लोग जिन्हें सोने की 14 प्रतिशत अवधि तक 90 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन मिलता है, उनमें कैंसर का खतरा उन लोगों की तुलना में दोगुना हो जाता है, जिन्हें स्लीप एप्निया नहीं होता। इस अध्ययन के नतीजे ऑस्ट्रिया के वियना में यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसायटी कांग्रेस में पेश किए गए।

13 फीसदी भारतीय स्लीप एपनिया से पीड़ित हैं। स्लीप एपनिया मतलब नींद में ही इंसान की मौत हो जाना। ये दुनिया में नींद से संबन्धित समस्याओं के सबसे आम प्रकारों से एक है। एक शोध के मुताबिक स्लीप एपनिया की वजह से उनींदे शख़्स के कार हादसे का शिकार होने की आशंका 12 गुना ज़्यादा होती है। स्लीप एपनिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके बहुत से जोखिम कारक होते हैं और इन जोखिम कारकों की रोकथाम और उपचार के द्वारा इस बीमारी को भी नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसका उपचार समय पर होना जरूरी है, क्योंकि एक बार बीमारी के हद से ज्यादा बढने पर इनका उपचार करना मुश्किल हो जाता है।

कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव और कुछ डॉक्टरी इलाज इस समस्या पर काबू आसानी से संभव है, लेकिन दिक्कत तब हो जाती है जब इसे अनदेखा छोड़ दिया जाए और एक दिन यह बड़ी समस्या के तौर पर सामने आ जाए। अनदेखा किया गया स्लीप एपनिया आपके काम-काज और जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है साथ ही यह हाई ब्लड प्रेशर दिल के दौरे अनियिमित धड़कन और टाइप-2 डायबिटीज़ का ख़तरा भी पैदा कर सकता है। स्लीप एपनिया से जूझ रहे लोगों के लिए गाड़ी चलाना ख़तरनाक है।

ये भी पढ़ें,

जागरूकता के अभाव में बढ़ रहा है पुरुषों में स्तन कैंसर

कितना खतरनाक है स्लीप एपनिया

मशहूर अमरीकी फ़िल्म सीरीज़ 'स्टार वॉर्स' की अभिनेत्री कैरी फ़िशर की मौत की प्रमुख वजह स्लीप एपनिया थी। डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि की है कि नींद में खर्राटे लेने और सांस में रुकावट सम्बंधित इस बीमारी स्लीप एपनिया से ऐसे लोगों में कैंसर का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है, जो गहरी नींद में सोते हैं। इसका दावा एक नए अध्ययन में किया गया है। 

अपने तरह के इस सबसे बड़े अध्ययन में पाया गया है, कि एपनिया में जिन लोगों में ऑक्सीजन का बहुत अभाव था, उन्हें अधिक खतरा है। नींद की इस बीमारी को पहले ही मोटापे, हृदय रोग, मधुमेह, दिन में होने वाली थकान और उच्च रक्तचाप से जोड़कर देखा जाता है। इस तरह के पीड़ितों को उपचार की सलाह दी जाती है, क्योंकि रात में ऑक्सीजन का स्तर बरकरार रखने से अन्य सम्बंधित बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। इस बीमारी से ब्रिटेन में करीब 50 लाख लोग प्रभावित हैं, जिनमें अधिकतर वयस्क उम्र और अधिक वजन के हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस स्थिति में नींद के दौरान श्वास नली की पेशियां शिथिल पड़ जाती हैं और जब तक दिमाग से पेशियों को दोबारा काम करने का संकेत नहीं मिलता, सांस 10 या उससे ज्यादा सेकेंड के लिए रुक जाती है।

ये भी पढ़ें,

ज़रूरी है डिलीवरी के बाद डिप्रेशन में जा रही मां का ख्याल रखना

स्लीप एपनिया के दो प्रकार

ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया: इस दशा में श्वास नली में अवरोध आ जाता है और व्यक्ति खर्राटे लेना शुरू कर देता है। ये इस विकार का सबसे आम रूप है। ओएसए से पीड़ित कई लोग अपनी समस्या के बारे में नहीं जानते हैं, उन्हें उसके बारे में पता नहीं चल पाता है क्योंकि वे यूं तो नींद में खर्राटे लेते हैं लेकिन जैसे ही करवट बदलते हैं तो उनकी सांस पहले की तरह सामान्य रूप से चलने लगती है।

सेंट्रल स्लीप ऐप्निया: इस दशा में सांस रुक जाती है क्योंकि मस्तिष्क, सांस की आवाजाही पर नियंत्रण रखने वाली मांस-पेशियों तक उचित संकेत नहीं भेजता है। सीएसए के मरीज़ गले में कुछ अटकन महसूस करते हुए या हाँफते हुए जाग जाते हैं और वे उस समये पूरे होश में रहते हैं।

किन लोगों को है सबसे ज्यादा जोखिम

मोटापे से ग्रस्त लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होनी की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। गर्दन के मोटा होने से सांस मार्ग छोटा हो सकता है और यह स्थिति मोटापे का संकेत हो सकती है। पुरुषों के लिए गर्दन की माप 17 इंच और महिलाओं के लिए 16 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का जोखिम बढ़ जाता है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के दौरान रक्त के ऑक्सीजन स्तर में अचानक कमी आना, ब्लड प्रेशर बढ़ना और कार्डियो-वैस्क्युलर सिस्टम पर दबाव बढ़ना सरीखी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इस रोग से ग्रस्त कई लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, जिससे हृदय संबंधी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जितना गंभीर होगा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिल का दौरा पड़ना, हृदय की धड़कन रुक जाना और स्ट्रोक होने का जोखिम उतना ही बढ़ जाता है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने की संभावना उन लोगों में दोगुनी हो जाती है, जिन्हें रात में अक्सर नाक बंद होने की समस्या रहती है। इलाज न होने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

ये भी पढ़ें,

क्यों करते हैं लोग आत्महत्या?