300 किमी प्रति लीटर माइलेज वाली पेट्रोल कार तैयार कर रहे हैं ये छात्र, पा लिया है 200 किमी प्रति लीटर का रिकॉर्ड माइलेज
वीआईटी में छात्रों की 'टीम ईको टाइटन्स' 300 किलोमीटर प्रति लीटर माइलेज वाले इंजन पर लगातार काम कर रही है।
देश में आमतौर पर पेट्रोल से चलने वाली कारें 18-20 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती हैं, लेकिन वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र बीते कुछ सालों से इस दिशा में बड़ा बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। छात्रों की यह ‘टीम ईको टाइटन्स’ कार के माइलेज को लेकर अभूतपूर्व सफलता हासिल कर चुकी है, लेकिन इनके लिए रास्ता अभी लंबा है और इनकी कोशिश लगातार जारी है।
छात्रों की यह टीम 300 किलोमीटर प्रति लीटर माइलेज क्षमता वाला इंजन विकसित करने की दिशा में बढ़ रही है, हालांकि टीम द्वारा बनाए गए इंजन ने 200 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज प्राप्त कर लिया है।
इस टीम का गठन साल 2011 में किया गया था, तब बैच के छात्रों ने इस खास इंजन को लेकर अपने डिजाइन पर काम करना शुरू किया था। शुरुआत के कुछ साल हालांकि टीम कुछ खास नहीं कर सकी और उसके बाद साल 2018 में टीम ने शेल के इंडियन इवेंट को जीत कर अपनी काबिलियत को साबित कर दिया।
टीम अपने पेट्रोल इंजन को लेकर आगे बढ़ रही है। टीम में करीब 24 लोग हैं, जिसमें सीनियर्स और जूनियर्स शामिल हैं और यह सिलसिला साल दर साल इसी तरह चलता रहता है। पास आउट छात्रों के टीम छोड़ने के साथ ही नए छात्र ये ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेते हैं।
कैसा है प्रोजेक्ट?
फिलहाल टीम को लीड कर रहे शुभम ने योरस्टोरी को बताया कि टीम सुपर माइलेज व्हिकल बनाना चाहती है और इसके लिए इंजन पर काम करने के साथ ही वो अपनी कार की चैसी को कार्बन फाइबर से निर्मित करते हैं, जिससे कार का वजन कम से कम रहे।
शुभम बताते हैं,
“हम 300 किलोमीटर प्रति लीटर माइलेज वाली कार बनाना चाहते हैं, हालांकि हमने 190-200 किलोमीटर प्रति लीटर तक का माइलेज पा लिया है।”
इस अधिक माइलेज के लिए फोर स्ट्रोक सिंगल सिलेन्डर इंजन को ट्यून किया जाता है। टीम इस इंजन को लगातार टेस्ट करती है और सुधार करते हुए इंजन के माइलेज को बढ़ाने का काम करती है। इस काम को करने के लिए टीम के सदस्य दिन में अपने कॉलेज की पढ़ाई को खत्म करने के बाद रात में इस पर जुटते हैं।
जीते हैं कई अवार्ड
इस साल टीम ने वर्चुअल शेल ईको-मैराथन एशिया ऑफ-ट्रैक अवार्ड्स में कम्युनिकेशन अवार्ड जीता था। टीम ने 2017 के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई कई प्रतियोगिताओं में खिताब अपने नाम किए हैं। टीम अवार्ड के साथ मिलने वाली राशि को अपने प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करती है।
2018 के शेल ईको मैराथन अवार्ड्स में टीम ने 250 मील प्रति गैलन पेट्रोल का माइलेज अर्जित करते हुए प्रोटोटाइप और अर्बन कॉन्सैप्ट आइस कैटेगरी में भारत में पहला स्थान अर्जित किया था।
लागत और भविष्य के प्लान
वर्तमान में काम का निर्माण करने के लिए टीम के सदस्य ही अधिकांश खर्च खुद उठाते हैं और इसके अलावा विदेश में होने वाले किसी कंपटीशन में भाग लेने के लिए इन सदस्यों को खुद कार को शिप करने से लेकर नया खर्चों को वहन करना पड़ता है और यह खर्च 10 लाख रुपये तक आ जाता है। इसमें टीम को कुछ पैसा स्पॉन्सर से भी मिल जाता है।
आज जब हर कोई इलेक्ट्रिक कारों की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहा है, तब यह टीम भी इससे पीछे नहीं है। टीम अब भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों पर काम करने का खाका तैयार कर रही है।