Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

38 की उम्र में कैसे रहें 25 जैसे ऐक्टिव, सीखिए इस इनकम टैक्स ऑफिसर से

लुधियाना में रहने वाले अमित प्रताप सिंह इनकम टैक्स विभाग में डेप्युटी कमिश्नर हैं। इतने बड़े पद पर पहुंचने के साथ ही तमाम प्रकार की जिम्मेदारियां भी साथ आ जाती हैं। लेकिन अमित को दौड़ने से इतना प्यार है कि वह इसे छोड़ नहीं सकते। वह रोजाना दौड़ लगाते हैं और देशभर के फेमस मैराथन में हिस्सा भी लेते हैं।

अमित सिंह (फोटो साभार- इनकम टैक्स फेसबुक पेज)

अमित सिंह (फोटो साभार- इनकम टैक्स फेसबुक पेज)


इतना ही नहीं अमित ने अपनी दो छोटी बेटियों को भी दौड़ने के लिए ट्रेन्ड करना शुरू कर दिया है। उनकी 5 साल की बेटी का सूफी और तीन साल की शिफा है। सूफी तो दौड़ने में इतनी माहिर हो गई है कि 3 किलोमीटर की रेस सिर्फ 20 मिनट में खत्म कर लेती है।

अक्सर इंसान ऑफिस और काम के बोझ के तले इतना दब जाता है कि उसे खुद के स्वास्थ्य का ध्यान ही नहीं रहता। इस कारण वह धीरे-धीरे तमाम बीमारियों की गिरफ्त में फंसता चला जाता है। लेकिन 38 साल के अमित से सीख लेनी चाहिए जो 38 की उम्र में भी 25 जैसी ऊर्जा से भरे रहते हैं। लुधियाना में रहने वाले अमित प्रताप सिंह इनकम टैक्स विभाग में डेप्युटी कमिश्नर हैं। इतने बड़े पद पर पहुंचने के साथ ही तमाम प्रकार की जिम्मेदारियां भी साथ आ जाती हैं। लेकिन अमित को दौड़ने से इतना प्यार है कि वह इसे छोड़ नहीं सकते। वह रोजाना दौड़ लगाते हैं और देशभर के फेमस मैराथन में हिस्सा भी लेते हैं।

2009 बैच के आईआरएस अफसर अमित ने अपनी शारीरिक ऊर्जा और स्फूर्ति की बदौलत ही क्षेत्र में इनकम टैक्स से संबंधित 60 से अधिक छापे मारे हैं। अमित को दौड़ने से बेहद प्यार है जिसे एक तरह का नशा कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। उन्होंने अब तक 35 मैराथन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। इसमें पेरिस और इस्तांबुल जैसे देशों में होने वाली मशहूर दौड़ प्रतियोगिताएं शामिल हैं। वे मुंबई में हर साल होने वाली 42 किलोमीटर लंबी मैराथन का नियमित चेहरा हैं। वे मुंबई मैराथन में पिछले 6 सालों से लगातार हिस्सा ले रहे हैं और इसके जरिए वे 'आरुषि' नाम के एनजीओ के लिए फंड एकत्रित करते हैं।

इतना ही नहीं अमित ने अपनी दो छोटी बेटियों को भी दौड़ने के लिए ट्रेन्ड करना शुरू कर दिया है। उनकी 5 साल की बेटी का सूफी और तीन साल की शिफा है। सूफी तो दौड़ने में इतनी माहिर हो गई है कि 3 किलोमीटर की रेस सिर्फ 20 मिनट में खत्म कर लेती है। अमित ने बेंगलुरु, हैदराबाद, सांगला, जिम कॉर्बेट, शिमला और कई जगहों पर होने वाले प्रसिद्ध आयोजनों में हिस्सा लिया है। इसके पहले की पोस्टिंग में वे साइकिल से ऑफिस जाने के लिए चर्चा में थे। इसी साल जुलाई में वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल से यात्रा करने वाले हैं।

अपनी बेटी के साथ अमित सिंह

अपनी बेटी के साथ अमित सिंह


धावक होने के साथ ही अमित एक ट्रेकर भी हैं। उन्होंने लेह की चाादर में ट्रेकिंग की है औऱ अब वह माउंट एवरेस्ट को फतह करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए उन्होंने नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, उत्तरकाशी में ट्रेनिंग लेना भी शुरू कर दिया है। अमित बताते हैं कि रनिंग की वजह से ही अपने निजी जीवन और ऑफिस में आने वाली चुनौतियों को आसानी से हल कर लेते हैं। इससे उन्हें तनाव मुक्त जीवन जीने में काफी मदद मिलती है। वह रोजाना 10 किलोमीटर की दौड़ लगाते हैं और 20 से 25 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। वह कहते हैं कि इतनी मेहनत करने के बाद जो पसीना निकलता है वह आपके मन को हल्का कर देता है।

आईआरएस में सेलेक्ट होने से पहले 2006 में अमित का चयन इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और अपने इनकम टैक्स ऑफिसर बनने के सपने को 2009 में पूरा कर लिया। इस सर्विस के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, 'IRS आपको एक प्लेटफॉर्म देता है जिसके माध्यम से आप समाज, अर्थव्यवस्था और देश के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इस सर्विस के माध्यम से आप समाज के हर तबके के लिए काम कर सकते हैं।' तमाम युवाओं को प्रेरणा देने वाले अमित ने दो संगठन भी बनाए हैं जिसमें तकरीबन 750 सदस्य हैं जो दौड़ने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।

अमित कहते हैं, 'मेरी सभी युवाओं से अपील है कि कम से कम आधे घंटे ही सही अपनी बॉडी पर ध्यान दें। जो लोग दिन भर ऑफिस या अपने काम में सिर्फ कुर्सी पर ही बैठे रहते हैं वे भी कुछ न कुछ शारीरिक व्यायाम करते रहें। कुछ नहीं तो लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। इससे शरीर में सक्रियता बनी रहेगी। इसके अलावा खान पान पर भी खास ध्यान देना चाहिए।' अमित सिंह 38 साल की उम्र में इतने ऐक्टिव हैं कि किसी भी नौजवान को उनसे रश्क हो जाए। उनके लिए दौड़ना किसी मेडिटेशन से कम नहीं है। शायद यही वजह है कि वह अपने जीवन में अच्छा बैलेंस बनाकर चल रहे हैं।

यह भी पढे़ं: भारत का वो बहादुर रॉ एजेंट जिसने पाकिस्तानी सेना में मेजर बनकर दी थी खुफिया जानकारी