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... ताकि ऑल वेदर चले लेदर, 'द लेदर लॉन्ड्री'

... ताकि ऑल वेदर चले लेदर, 'द लेदर लॉन्ड्री'

Monday August 24, 2015 , 5 min Read

द लेदर लॉन्ड्री की संस्थापक मल्लिका शर्मा कहती हैं- “जब मैं 23 साल की हुई तो मुझे अच्छी तरह याद है कि एक दिन मैं अपनी मां से लिपटकर खूब रोई थी- आपने मुझे निरा पढ़ाकू बना दिया जो तेज तो है मगर समाज और बाहरी संसार से बिल्कुल अनजान है! आपके कड़े अनुशासन और सतर्क निगाहों की वजह से मैंने अपना पूरा समय पढ़ाई में कड़ी मेहनत पर लगा दिया जबकि मेरे साथ के लड़के-लड़कियां क्लासेज बंक करते थे, पार्टियां करते थे और यहां तक कि रिलेशनशिप बना रहे थे!मैंने बहुत सारी चीजों को मिस किया है।”

मल्लिका कहती हैं- “और आज मैं अपने उन विचारों के ठीक उलट दृष्टिकोण रखती हूं। मैंने महसूस किया कि एक ‘अच्छे स्टूडेंट’ के रूप में जिन लक्षणों और गुणों को देखा जाता है वह वास्तव में प्रोडक्टिव वर्क के लिए बेहद जरूरी होता है जैसा कि मैं आज कर रही हूं। मैं डिटेल्स के लिए काफी हठी हूं, पेंडिंग एजेंडों को फॉलो करने के लिए कड़ी मेहनत करती हूं, क्या-क्या काम हैं उन्हें लिखती हूं और हर दिन उन्हें खत्म करती हूं, हासिल किये जाने वाले लक्ष्य निर्धारित करती हूं, सही से काम हो इसके लिए टाइमटेबल बनाती हूं, अपने लिए काम तय करती हूं, ईमानदार, फोकस्ड और समय की पाबंद हूं।” आज उन्हें एक अच्छा स्टूडेंट होने का कोई ‘मलाल’ नहींहै क्योंकि वह महसूस करती हैं कि उनकी कोई भी कोशिश व्यर्थ नहीं गई है। उन्हें इस बात का इल्म है कि इन सबका श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह उनकी मां है। अब आपको बताते हैं कि लेदर लॉन्ड्री करती क्या है? ये लेदर के बने कपड़ों, एसेसररिज, जूतों आदि के लिए प्रोफेशनल क्लीनिंग, कलरिंग, रि-फिनिशिंग, डिओडराइजिंग और रिपेयरिंग सर्विस करती है।

एंटरप्रेन्योर की पारिवारिक पृष्ठभूमि

मल्लिका के पिता एक सेल्फ-मेड मैन हैं। 11 साल तक एड़ियां रगड़ने के बाद वह आखिरकार अपना बिजनेस स्थापित करने में कामयाब हुए और पिछले 25 सालों से उसे कामयाबी से चला रहे हैं। मल्लिका ने एंटरप्रेन्योरशिप को अपने पिता से सीखा। मल्लिका के लिए उनके पिता की व्यवसायिक बुद्धिमत्ता हमेशा प्रेरणा देती रही है। उनकी मां का भी अपने 4 बच्चों के लालन-पालन में बेहद सपोर्टिव रोल था। उनका अपने सभी बच्चों पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा। मल्लिका हमेशा उनसे सीखती रहती है। मल्लिका की दो बड़ी बहनें भी एंटरप्रेन्योर हैं। संक्षेप में कहे तो ये एंटरप्रेन्योर्स का परिवार है।

लेदर लॉन्ड्री कैसे आया

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लेदर प्रोडक्ट्स के लिए लॉन्ड्री सर्विस का एक्सक्लूसिव आइडिया मल्लिका को अपनी बहन नेहा से मिला। एक शाम को वह काम के दौरान कॉफी पी रही थी तभी उनके दिमाग में अचानक ये विचार आया। मल्लिका को ये आइडिया काफी पसंद आया और वह इसे मूर्त रुप देने के लिए काम करना शुरू कर दी।

ब्रिटेन से फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स में पोस्ट-ग्रेजुएट करने वालीं शर्मा सिस्टर्स अपने वेंचर को लगातार इनोवेट और सुधारने की कोशिशें करती रहती हैं। इसके अलावा मल्लिका एक सर्टिफाइड लेदर केयर टेक्निशियन भी हैं जिन्होंने दुनिया भर में मशहूर लेदर केयर कंपनी एलटीटी में ब्रिटेन में प्रशिक्षण लिया है। वहां उन्होंने हर तरह के लेदर के क्लीनिंग और केयरिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीकों से लेकर कलर मिक्सिंग, रिपेयरिंग, लेदर रेस्टोरेशन और रि-कलरिंग तक सब कुछ सीखा।

द लेदर लॉन्ड्री को शुरू करने में बहुत सारे रिसर्च और अतिव्यस्थित प्लानिंग की जरुरत पड़ी। इसके अलावा उन्हें अक्सर लोगों को ऐसी शिकायतें करते देखा कि उनके ब्रांडेड लेदर प्रोडक्ट्स के रिपेयरिंग में महीनों का वक्त लग जाता है। 4 महीने पहले अपना वेंचर शुरु करने वाली 26 साल की युवा एंटरप्रेन्योर मल्लिका कहती हैं- “इसकी वजह ये थी कि लोग सीधे इन ब्रांड्स के स्टोर पर पहुंचते थे जो इन प्रोडक्ट्स को भारत के दूसरे शहरों या भारत से बाहर अपने वर्कशॉप में भेजते थे। इस प्रक्रिया में बहुत सारा समय लगता था और ये कहने की तो जरुरत ही नहीं है ये बहुत खर्चीला पड़ता है।”

लोकल सर्विस प्रोवाइडर्स तक पहुंचना

ऐसे में ये सवाल स्वाभाविक था कि क्यों ना तब लोकल सर्विस प्रोवाइडर्स के पास जाया जाए। द लेदर लॉन्ड्री ने दो ब्रांड्स के साथ पार्टनरशिप किया है जो लेदर लॉन्ड्री सर्विस की तलाश कर रहे अपने सभी कस्टमर्स को उनके पास भेजते हैं। मल्लिका की योजना इस तरह के ज्यादा से ज्यादा ब्रांड्स से टाई-अप का खासकर उनसे जिनके मुख्यालय दूसरे मेट्रो शहरों में हैं ताकि वह लेदर लॉन्ड्री के लिए डोर पिक-अप सुविधा दे सकें। मल्लिका का मानना है कि ऐसे टाई-अप से उन ब्रांड्स को भी काफी फायदा होता है क्योंकि वह ‘लेदर’ से जुड़े हर तरह की सर्विस के लिए वन-स्टॉप-शॉप बन जाते हैं। मल्लिका की योजना तो अंत में लेदर फर्निचर क्लीनिंग फील्ड में भी उतरने का है।

मल्लिका कहती हैं- “मुझे लगता है कि भारत में ये कॉन्सेप्ट बहुत ही शुरुआती चरण में है और भारतीय उपभोक्ताओं में इसकी पहचान बनने में अभी समय लग सकता है। मगर लोगों की बढ़ती आय और खर्च करने की क्षमता के साथ-साथ बढ़ते उपभोक्ता जागरुकता को देखते हुए, मुझे पक्का यकीन है कि ये तेजी से रफ्तार पकड़ेगा।” वह स्वीकार करती हैं कि ये आइडिया पूरी तरह से नया नहीं है और भारत में इस फील्ड में पहले से ही कई प्लेयर मौजूद हैं। महत्वपूर्ण ये है कि मल्लिका इसे औरों से कैसे अलग करती हैं।

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दिल्ली बेस्ड एंटरप्रेन्योर मल्लिका कहती हैं- “मैंने कभी भी प्राइस-वार जैसे तरीकों के जरिये कॉम्पटिटर्स को हाशिये पर लाने की योजना नहीं बनाई। मेरा फोकस एरिया सिर्फ और सिर्फ क्वालिटी है। मैं प्रभावी पैकेज और एक्सीलेंट क्वालिटी सर्विस देना चाहती हूं जो विनम्र, शिष्ट और समयबद्ध हो। हमारे टारगेट कस्टमर सेगमेंट मेंक्वालिटी की तलाश करने वाले कंज्यूमर शामिल हैं।” उस समय बहुत ही शानदार महसूस होता है जब लोग अपने दादा-दादी के समय के लेदर प्रोडक्ट्स को लेकर उनके पास आते हैं और सलाह मांगते हैं कि उन प्रोडक्ट्स को कैसे रि-स्टोर या संरक्षित किया जाये। जमीन पर मजबूती से जमे पैरों वाली ये आत्म-विश्वासी एंटरप्रेन्योर एक फेमिनिस्ट हैं जिसे पढ़ना, यात्रा करना काफी पसंद है।

मल्लिका टेनिस भी खेलती हैं और फिलहाल दिल्ली के आईआईएचआर से ह्यूमन राइट्स में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा कर रही हैं।