IAS बनने के लिए ठुकराया 22 लाख का पैकेज, हासिल की 44वीं रैंक
ऐसा कम ही होता है कि अच्छी खासी नौकरी करने की बजाय आईएएस की तैयारी की जाए। लेकिन हिमांशु को खुद पर भरोसा था। उन्हें अपनी प्रतिभा और मेहनत पर भरोसा था...
हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु जैन को इस बार UPSC की परीक्षा में 44वीं रैंक मिली है। हिमांशु ने समाज को कुछ देने ले लिए सिविल सर्नेविसिज़ का रास्ता चुना और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज की जगह समाज के लिए कुछ देने के वास्ते सिविल सर्विस को चुना।
आईएएस बनने के बाद हिमांशु समाज के युवाओं को नई दिशा देना चाहते हैं।a12bc34de56fgmedium"/>
हिमांशु जैन ने ऑनलाइन रिटेलर अमेजन के 22 लाख सालाना पैकेज केऑफर को ठुकरा दिया। इससे पहले भी हिमांशु दो बार UPSC की सिविल सेवा परीक्षा दे चुके हैं और कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 44वीं रैंक हासिल कर ली।
22 लाख का सालाना सैलरी पैकेज ठुकराकर अपने IAS बनने के सपने को साकार करने वाले हिमांशु जैन ने दुनिया के सामने ये साबित कर दिया है, सपनों के आगे रुपयों की कोई कीमत नहीं होती। हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु जैन को इस बार UPSC की परीक्षा में 44वीं रैंक मिली है। उन्होंने बड़ी मल्टीनेशनल अॉनलाइन रिटेलर कंपनी 'अमेजन' में लाखों के पैकेज की जगह समाज को कुछ देने के लिए सिविल सर्विस को चुना। हिमांशु के पिता जींद में ही दुकान चलाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले हिमांशु ने अपनी शुरुआती पढ़ाई जींद के डीएवी स्कूल से की। इसके बाद उन्हें हैदराबाद के ट्रिपल आईटी (IIIT) में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन मिल गया।
"हैदारबाद के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इनफ़ोर्मेशन टेक्नोलॉजी से पीजी करने वाले हिमांशु ने अमेजन में इंटर्नशिप की थी, जिसके बाद अमेजन ने उन्हें 22 लाख सालाना सैलरी पैकेज का ऑफर दिया था। खबरों की मानी जाये तो हिमांशु को आरबीआई जैसी बैंक में मैनेजर की नौकरी भी मिली थी, लेकिन वहां भी उन्होंने नौकरी करने की बजाय दिल्ली आकर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करना बेहतर समझा।"
कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद हिमांशु ई रीटेलिंग कंपनी अमेजन में इंटर्नशिप करने लगे। तीन महीने की इंटर्नशिप खत्म करने के बाद अमेजन ने उन्हें 22 लाख का पैकेज ऑफर किया। लेकिन हिमांशु के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। बचपन से ही आईएएस बनने का ख्वाब देखने वाले हिमांशु को लगा कि अब मुझे नौकरी या यूपीएससी में से एक को चुनना है। वह अजब दुविधा में थे। 22 लाख का भारी भरकम पैकेज छोड़कर आईएएस की तैयारी करना आसान फैसला नहीं था, लेकिन हिमांशु ने अपने ख्वाब को तवज्जो दी और नौकरी करने की बजाय आईएएस की तैयारी में लग गए। ऐसा कम ही होता है कि अच्छी खासी नौकरी करने की बजाय आईएएस की तैयारी की जाए। लेकिन हिमांशु को खुद पर भरोसा था। उन्हें अपनी प्रतिभा और मेहनत पर भरोसा था इसलिए बिना संकोच किए उन्होंने नौकरी नहीं की और तब जबकि नौकरी करते हुए वे ज्यादा पैसे कमा सकते थे, बजाय IAS बनकर पैसा कमाने के। लेकिन प्राथमिकता जब पैसा न हो, तो पंखों का आकाश कोई और ही होता है।
हिमांशु के चाचा और चाची डॉक्टर हैं और वे हिमांशु से बहुत प्यार भी करते हैं। इसीलिए उनकी चाची मीनाक्षी जैन ने अस्पताल में बैठाकर घंटों उन्हें पढ़ाया। इसी मेहनत का फल था कि हिमांशु आज आईएएस बन गए हैं। हिमांशु के पिता पवन जैन ने कहा कि चाचा डॉ. अनिल जैन ने आईआईआईटी की परीक्षा पास करने के बाद हिमांशु के अंदर आईएएस बनने के जज्बे को जिंदा रखा। हिमांशु का कहना है, कि 'चाची ने उनके अंदर आईएएस बनने के जज्बे को मजबूत किया जिसका नतीजा है, कि उन्होंने ये एग्जाम पास किया। आईएएस बनने के बाद हिमांशु समाज के युवाओं को नई दिशा देना चाहते हैं।'
हिमांशु के घरवालों के मुताबिक 'एक दिन हिमांशु के स्कूल में कलेक्टर निरीक्षण करने आए। कलेक्टर के रुतबे और पावर को देख हिमांशु ने क्लास टीचर से पूछा था ये कलेक्टर कैसे बनते हैं। बस उसी दिन से हिमांशु ने कलेक्टर बनने की ठान ली थी और आज अपनी कोशिश से वह आईएएस बन भी गए।'
हिमांशु का कहना है, कि 'लक्ष्य बनाओ और तब तक हार न मानो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।'