घरों में काम करने वाली महिला ने वर्ल्ड रेसिंग चैंपियनशिप के लिए किया क्वॉलिफाई
तिरुचिरापल्ली जिले के तुरैयुर में जन्मीं वसंती करीब दस साल पहले रोजगार की तलाश में कोयंबटूर आई थीं। उनके पति आनंदन एक प्राइवेट कंपनी में बस ड्राइवर का काम करते हैं।
आज से दो साल पहले अगर किसी ने वसंती से पूछा होता कि वह आगे क्या करना चाहती हैं तो उनका जवाब यही होता कि कुछ और काम मिल जाए जिससे परिवार का गुजारा अच्छे से हो सके। यह हकीकत है। वसंती इससे पहले घरेलू कामकाज करने वाली महिला थीं।
36 साल की वसंती स्पेन में आयोजित होने वाली वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में स्टीपलचेज प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं। आज से दो साल पहले अगर किसी ने वसंती से पूछा होता कि वह आगे क्या करना चाहती हैं तो उनका जवाब यही होता कि कुछ और काम मिल जाए जिससे परिवार का गुजारा अच्छे से हो सके। यह हकीकत है। वसंती इससे पहले घरेलू कामकाज करने वाली महिला थीं। वह कोयंबटूर में दो घरों में काम करने जाती थीं और उसके बाद एक छोटे से रेस्टोरेंट में खाना भी बनाती थीं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन इस लेवल पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
दि न्यूजमिनट की रिपोर्ट के मुताबिक तिरुचिरापल्ली जिले के तुरैयुर में जन्मीं वसंती करीब दस साल पहले रोजगार की तलाश में कोयंबटूर आई थीं। उनके पति आनंदन एक प्राइवेट कंपनी में बस ड्राइवर का काम करते हैं। वहीं वसंती घरों में जाकर डोमेस्टिक वर्कर की तरह काम करती थीं। लेकिन 2017 में वंसती की किस्मत तब बदली जब उन्हें पास के इलाके में ही 35 साल से अधिक उम्र के लोगों की रेस प्रतियोगिता के बारे में जानकारी मिली। वह कहती हैं, 'मेरे पति ने मुझे वॉट्सऐप पर आया मैसेज दिखाते हुए पूछा कि क्या मैं इस दौड़ में हिस्सा लेना चाहती हूं। चूंकि इस दौड़ के विजेताओं को पैसे भी मिलने थे इसलिए मैं राजी हो गई।'
इसके बाद वसंती अपने बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले कोच वैरवन के पास गईं। उनके दो बच्चे 14 और 16 साल के हैं, जो कि जेनेसिस फाउंडेशन द्वारा चलाए जाने वाले प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग करते हैं। कोच वैरवन ने कहा, 'वसंती ने जब दौड़ने की इच्छा जताई तो हमें खुशी हुई। उसके बच्चे पहले से ही हमारे समर कैंप का हिस्सा बन चुके थे।' वंसती ने 15 दिनों की ट्रेनिंग ली और समर कैंप में हिस्सा लिया। इसके बाद वह रेस में दौड़ीं और 10 हजार की पुरस्कार राशि भी जीती। इसके बाद उन्होंने काम छोड़ कर सिर्फ दौड़ने पर ध्यान केंद्रित कर दिया। कोच वैरवन ने उन्हें अच्छे से ट्रेनिंग दी।
वसंती ने डिस्ट्रिक्ट मीट में भी हिस्सा लिया और 5,000 मीटर और 1500 मीटर इवेंट में जीत दर्ज की। इससे वह राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए क्वॉलिफाई भी कर गई थीं। हैरत की बात ये है कि इससे पहले वसंती ने कभी अपने जीवन में किसी भी दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 800मीटर, 1500 मीटर और 500 मीटर में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह प्रतियोगिता मास्टर्स एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित की गई थीं। यहां स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही वसंती ने स्पेन में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वॉलिफाई कर लिया।
अब वसंती दिन भर अपनी ट्रेनिंग में समय व्यतीत करती हैं। वह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम कोयंबटूर में सुबह 5.30 बजे उठकर दो घंटे तक अभ्यास करती हैं। शाम को वह दोबारा स्टेडियम जाती हैं। अपने पति और बच्चों को सारा श्रेय देने वाली वसंती कहती हैं कि उन्हें परिवार की तरफ से काफी सपोर्ट मिला। इसके बगैर वह आज यहां नहीं होतीं। हालांकि वसंती को स्पेन जाने का खर्च खुद से उठाना है और इसके लिए तीन लाख रुपयों की जरूरत होगी। उन्होंने अभी तक केवल 30 हजार रुपये ही जुटाए हैं। अगर आप भी वसंती की मदद करना चाहते हैं तो उनके कोच से 9042889888 पर संपर्क कर सकते हैं।
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