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अस्पताल में 12,000 महीने तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी गरीबों के लिए बनवा रहे घर

'जेस्ट ऑफ लाइफ' पहल के तहत अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी कर रहे हैं ये नेक काम...

अस्पताल में 12,000 महीने तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी गरीबों के लिए बनवा रहे घर

Thursday June 21, 2018 , 3 min Read

इन कर्मचारियों ने एक पहल शुरू की है जिसका नाम है 'जेस्ट ऑफ लाइफ'। इस पहल के तहत आदिवासियों के लिए रहने के लिए घर बनाया गया और गरीब मरीजों के डायलिसिस का खर्च उठाया जाता है।

जेस्ट ऑफ लाइफ के सदस्य (तस्वीर साभार- द न्यूज मिनट)

जेस्ट ऑफ लाइफ के सदस्य (तस्वीर साभार- द न्यूज मिनट)


गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए जो पैसे इकट्ठे किये जाते हैं उसमें डॉक्टर से लेकर नर्स और इलेक्ट्रीशियन से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ तक सहायता करते हैं। जेस्ट ऑफ लाइम में 35 ऐक्टिव मेंबर हैं।

उनकी महीने की सैलरी सिर्फ 12,000 रुपये है। इस लिहाज से देखें तो उनकी जिंदगी मुश्किलों से गुजरती होगी, लेकिन उनका दिल इतना बड़ा है कि सैलरी से उनकी कोई तुलना ही नहीं की जा सकती। हम बात कर रहे हैं केरल के थ्रिसूर में स्थित अश्विनी हॉस्पिटल में काम करने वाले कर्मचारियों की। इन कर्मचारियों ने एक पहल शुरू की है जिसका नाम है 'जेस्ट ऑफ लाइफ'। इस पहल के तहत आदिवासियों के लिए रहने के लिए घर बनाया गया और गरीब मरीजों के डायलिसिस का खर्च उठाया जाता है। इतना ही नहीं गरीब परिवारों का अच्छे से गुजारा हो सके इसके लिए हर महीने उन्हें जरूरत का सामान भी दिलवाया जाता है।

इस पहल के बारे में द न्यूज मिनट से बात करते हुए प्रोग्राम के कॉ ऑर्डिनेटर अनूप बताते हैं कि शुरू में एक छोटे से काम की शुरुआत हुई थी जो कि बदलकर एक मुहिम बन गई। अनूप हॉस्पिटल में एक इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने कहा, 'मेरा एक पत्रकार दोस्त एक बार थ्रिसूर के ग्रामीण इलाके में गया और उसने देखा कि वहां लोग शीट्स से बने हुए घरों में रहते हैं। हमें भी इसके बारे में नहीं मालूम था इसलिए इसके बारे में जानकर हैरानी हुई। मैंने अपने कुछ सहकर्मियों से बात की और वहां का दौरा किया।'

अनूप बताते हैं कि वहां उन्होंने देखा कि उस परिवार में कुछ छोटे से बच्चे भी थे। बारिश के मौसम में उन्हें छत की तलाश में कहीं और जाना पड़ता था। इससे अस्पताल में काम करने वाले लोगों को आश्चर्य हुआ और उन्होंने फैसला कि पैसे इकट्ठे कर के वे उस परिवार के लिए एक घर बनाएंगे। दो महीने के अंदर ही घर बन कर तैयार हो गया जिसकी लागत 1.5 लाख रुपये आई। इसके बाद तो जरूरतमंदों की मदद करने का सिलसिला शुरू हो गया। इस मुहिम का नाम भी रख दिया गया। इस मुहिम को शुरू हुए छह महीने से भी अधिक बीत रहे हैं और अब तक पैसा इकट्ठा कर के 65 डायलिसिस का खर्च भी उठाया गया है।

गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए जो पैसे इकट्ठे किये जाते हैं उसमें डॉक्टर से लेकर नर्स और इलेक्ट्रीशियन से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ तक सहायता करते हैं। जेस्ट ऑफ लाइम में 35 ऐक्टिव मेंबर हैं। हालांकि एम्प्लॉई एसोसिएशन में 800 के आसपास सदस्य हैं, लेकिन सक्रिय रूप से संगठन को यही 35 कर्मचारी चलाते हैं। लियो नाम के एक व्यक्ति अस्पताल में पिछले 16 सालों से अटेंडेंट का काम करते हैं। वह कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी नेक काम के लिए सभी डॉक्टर और कर्मचारी साथ आए हैं। अनूप कहते हैं कि एकता में शक्ति होती है। महीने में काफी कम सैलरी पाने वाले के लिए किसी की मदद करना मुमकिन नहीं हो पाता लेकिन सब मिलकर थोड़ी मदद करें तो काफी कुछ किया जा सकता है।

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