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महिलाओं को स्वस्थ और स्वच्छ रखने के लिए नए 'आकार' में ढालने की कोशिश...

आकार इन्नोवेशंस मासिक धर्म संबंधित प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए प्रयासरत

महिलाओं को स्वस्थ और स्वच्छ रखने के लिए नए 'आकार' में ढालने की कोशिश...

Tuesday August 11, 2015 , 5 min Read

भारत में ऐसी 31.2 करोड़ महिलाएं हैं जिन्हें मासिक धर्म संबंधी स्वच्छ और प्रभावी संरक्षण उपलब्ध नहीं है। हां, भारत में 10 में से 9 महिलाओं को हर महीने अपने शारीरिक अवरोध का सामना करना पड़ता है। फलतः महिलाएं गंदे कपड़े या पुरानी पत्तियों जैसी नुकसानदेह चीजों का सहारा लेती हैं जिनसे स्वास्थ्य संबंधी अपूर्णीय समस्याएं पैदा होती है।

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इन प्रचलनों की एक सबसे बड़ी उलझन यह है कि किशोरियां प्रायः एक सप्ताह तक स्कूल नहीं जाती हैं और दूसरों से पिछड़ते के कारण कालक्रम में पूरी तरह स्कूल छोड़ देने के लिए मजबूर हो जाती हैं। हर 4 में से एक लड़की किशोरावस्था में पहुंचते ही स्कूल छोड़ देती है। यही है भारत में अगली पीढ़ी की एक-चौथाई महिलाओं का भविष्य!

लड़कियों और महिलाओं के लिए इस अवरोध के कई चेहरे हैं। एक ओर अभी बाजार में बिकने वाली सेनिटरी नैपकिन बहुत महंगी हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद के लिए अनुपब्ध हैं। दूसरी ओर, किसी परिवार या समुदाय में मासिक धर्म के बारे में जानकारी पुरानी पीढ़ी की महिलाओं के जरिए दी जाती है जिससे प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी देखरेख के बारे में समझ में कमी रह जा सकती है। मासिक धर्म के बारे में चर्चा को प्रायः किनारे कर दिया जाता है और उस पर बात ही नहीं की जाती है।

ये सारी चीजें मासिक धर्म के बारे में अंतर्निहित अरुचि से प्रभावित हैं और इसका फैलाव पूरी दुनिया की संस्कृतियों में है। लेकिन भारत में मासिक धर्म के साथ जुड़ी वर्जनाएं बहुत गंभीर हैं और महिलाओं को कुछ खास चीजें खाने, कुछ खास लोगों से बोलने या यहां तक कि रोजमर्रे की गतिविधियों में भाग लेने से भी रोकती हैं। हर माह घटित होने वाले एक शारीरिक कार्य को अभी भी इस निगाह से देखा जाता है के इसके लिए महिलाओं को शर्मिंदा होना चाहिए।

आकार इन्नोवेशंस अब इन प्रतिबंधों को समाप्त करने पर काम कर रहा है। महिलाओं द्वारा चलाई जा रही अपनी सेनिटरी नेपकिन उत्पादन इकाई के जरिए वह कंपोस्ट बनाए जाने लायक सैनिटरी नैपकिन का उत्पादन करने में सक्षम है जो किफायती ही नहीं हैं, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय गुणवत्ता संबंधी सारे मानकों पर खरी उतरती हैं। और ग्रामीण लोगों तक पहुंचाने के लिए इनमें से प्रत्येक इकाई रणनीतिक रूप से देश के सर्वाधिक सुदूर क्षेत्रों में लगाई गई है। मिनी-फैक्टरी के नाम से जानी जाने वाली पैड बनाने वाली प्रत्येक इकाई में 10-15 महिलाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। अभी सारे पैड आकार के जरिए गैर-सरकारी संगठनों या सरकार को वितरित किए जाते हैं, महिला समुदायों को नहीं जिन्हें इनकी सबसे अधिक जरूरत है।

इसलिए आकार को और भी कुछ करने की जरूरत है। मासिक धर्म के साथ जुड़ी संबंधी गूढ़ पर्दे की संस्कृति से निपटे बिना एक संस्था के बतौर आकार समाज में पूर्ण भागीदारी नहीं कर पाने वाली महलाओं तक नहीं पहुंच सकता। इस चुनौती से जूझने के लिए आकार महिलाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया में है जो अपने समुदायों में जाकर प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाएं। इसका अर्थ हुआ कि इस पर काफी रकम खर्च करनी होगी ताकि आकार आकर्षक कार्यक्रम तैयार कर सके जो ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों को व्यापक, परस्पर संवाद वाली पाठ्यचर्या के जरिए मासिक धर्म से जुड़ी साफ-सफाई के बारे में शिक्षित करे जिसमें खेल, वीडियो आदि चीजें भी हों। आकार इन्नोवशंस उनको इस प्रकार शिक्षित करने के प्रति आशावान है कि उनमें आत्मविश्वास आए और मासिक धर्म संबंधी साफ-सफाई के साथ जुड़ी सांस्कृतिक वर्जनाओं के बारे में बोलने के लिए पर्याप्त जुनून पैदा हो और वे अपनी, माताओं, बहनों चाचियों-मामियों, और बहनों के लाभ के लिए उठ खड़ी हों।

आकार सोशल वेंचर्स का दूसरा घटक महिलाओं को ग्रामीण उद्यमियों के रूप में प्रशिक्षित करना है (जिन्हें प्यार से आनंदी बेन कहा जाता है) जो आसपास के गांवों में लड़कियों महिलाओं के घरों में जाकर मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के उत्पाद बेचेंगी और बांटेंगी। इस तरह स्थानीय उद्यमी अपने वर्तमान सामाजिक सर्कल में प्रजनन स्वास्थ्य की पैरोकार बन जाएंगी जिन पर अन्य महिलाएं और लड़कियां विश्वास कर सकती हैं।

ये साधारण नवाचार देश के कुछ सर्वाधिक गरीब क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल में और महिलाओं के अपने काम में रहने रहने के लिहाज से काफी असरदार हैं। स्थानीय अर्थव्यवस्था में अधिक पूंजी लगाकर और अक्सर स्थानीय संसाधनों की को खींच लेने वाले बड़े निगमों का विकल्प उपलब्ध कराकर आकार ने अन्य व्यवसायों के लिए स्वतंत्र, टिकाऊ पूंजी का एक प्रेरक प्रभाव पैदा किया है। और सबसे बड़ी बात है कि इससे लड़कियों और महिलाओं की पीढि़यों को फायदा होगा हो समाज का सक्रिय सदस्य बन सकेंगी जो खुद पैसा कमा सकेंगी और अपने शरीर पर उनका अधिकार होगा।

'आकार' अपने आकार को और बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। फिलहाल पूरे देश में आकार की 10 उत्पादन इकाइयां हैं और अगले साल तक 40 अन्य खुलने वाली हैं।

आकार का इरादा एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा करने का है जो मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को लेकर व्याप्त चुप्पी को तोड़े और ऐसी जागरूकता पैदा करे जो अपने शरीर को लेकर गर्व की अनुभूति कराने के लिए महिलाओं का सशक्तीकरण करे।