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कभी खुद बेघर थे आज फुटपाथी बच्चों की मदद करने वाले उद्यमी और लेखक अमीन शेख

कभी खुद बेघर थे आज फुटपाथी बच्चों की मदद करने वाले उद्यमी और लेखक अमीन शेख

Thursday November 03, 2016 , 5 min Read

पांच साल की उम्र में वो घर से भाग गये थे, इसके बाद उन्होने भीख मांगी, चोरियां की, जूते पॉलिश कर किसी तरह जिंदगी को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन आज वो आत्मनिर्भर हैं, लेखक हैं, उद्यमी हैं और जिन बच्चों का बचपन कहीं खो गया है उनके लिए काम कर रहे हैं। पैंतीस साल के अमीन शेख मुंबई में जल्द ही ‘बॉम्बे टू बार्सिलोना’ नाम से एक कैफे खोलने जा रहे हैं जो ना सिर्फ सड़क पर रहने वाले बच्चों को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करेगा, बल्कि वहां मिलने वाला खाने-पीने का समान लोगों की सेहत को ध्यान में रख कर परोसा जाएगा।

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अमीन का बचपन काफी मुश्किल हालात में बीता था। जब वो पांच साल के थे तब से ही उन्होंने एक चाय की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया था। जहाँ पर उनको हर रोज़ दो रुपये मेहनताना मिलता था। एक दिन उनके हाथ से फिसल कर चाय का बर्तन और कुछ गिलास जमीन पर गिरकर टूट गये। तब उन्होंने सोचा कि अगर वो घर जाएंगे तो उनके माता-पिता उनकी पिटाई करेंगे और अगर चाय के दुकानदार को उन्होने ये बात बताई तो वो भी उनको मारेगा। इसलिए उन्होने सबकुछ छोड़ भागने का फैसला लिया। इस तरह वो मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन में आकर रहने लगे। जहाँ पर उन्होंने देखा कि उनके जैसे कई ओर घर से भागे दूसरे बच्चे भी वहांँ पर रह रहे हैं और भीख मांगकर और कूड़े में पड़े खाने को खाकर जिंदा हैं। इस तरह करीब तीन सालों तक गरीबी, छोटा मोटा काम धंधा करने और पार्कों में रात गुज़ारने को मजबूर अमीन पर एक दिन एक स्वंय सेवी संस्था ‘स्नेहसदन’ की सिस्टर की नज़र पड़ी और वो उनको उनकी बहन के साथ अपनी संस्था में ले आई। जहां पर पहले से ही ऐसे कई सारे बच्चे रह रहे थे जो अपने घरों से भाग गये थे। तब अमीन की उम्र केवल आठ साल थी। इस तरह उन्होने यहाँ रहकर पढ़ाई की। अमीन के मुताबिक

 “मुझे पहली बार अहसास हुआ की घर क्या होता है, घरवालों से मिलने वाला प्यार कैसा होता है। मैंने स्नेहसदन में रहकर ही पढ़ाई की, लेकिन मैं पढ़ाई में ज्यादा अच्छा नहीं था इसलिए मैं सिर्फ सातवीं क्लास तक ही पढ़ सका।” इस तरह 18 साल की उम्र होते ही उन्होने ड्रॉइवर बनने का लाइसेंस ले लिया जिसके बाद उन्होने ‘स्नेहसदन’ से करीबी रहे एक शख्स के यहा ड्रॉइवर की नौकरी शुरू कर दी।
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हिम्मत, मेहनत और वफादारी के साथ किये गये अमीन के काम से खुश होकर उनके मालिक ने उनके लिए एक ट्रैवल कंपनी खोली और जिसका नाम रखा ‘स्नेह ट्रैवल’। लेकिन ‘स्नेह ट्रैवल’ स्थापित करने से पहले उनको मौका मिला बार्सिलोना जाने का। यहाँ पर उन्होने देखा की कोई बच्चा सड़क पर फटेहाल जिंदगी नहीं गुज़ारता और यहां के लोग काफी जिंदादिल हैं। ये बात उनको पसंद आई। इसके बाद उन्होने तय किया कि वो अपने वतन लौट कर सड़कों में रहने वाले बच्चों के लिए कुछ काम करेंगे। इसके लिए उन्होंने अपने जीवन के ऊपर एक किताब लिखी जिसका नाम है “बॉम्बे लाइफ इज लाइफ: आई बिकॉज ऑफ यू”। 

खास बात ये है कि अमीन ना सिर्फ इस किताब के लेखक हैं बल्कि प्रकाशक भी हैं। ये किताब 8 भाषाओं में छप चुकी है। इनमें इतालवी और कैटलन भाषा भी शामिल है। उनके मुताबिक अब तक उनकी किताब की 8 हजार से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं और ये किताब ई-बुक स्टोर पर भी उपलब्ध है। अमीन बताते हैं कि उन्होने ना सिर्फ इस किताब को लिखा और छपवाया बल्कि उसे बेचने का काम भी किया। अमीन के मुताबिक इस किताब से मिलने वाला पैसा वो सड़कों पर रहने वाले बच्चों के विकास पर खर्च करना चाहते हैं। इसके लिए वो ‘बॉम्बे टू बार्सिलोना’ नाम के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। अमीन के मुताबिक ये एक कैफे हाउस होगा जहां पर काम करने वाले लोग सड़कों में रहने वाले बच्चे ही होंगे जो अब बड़े हो गये हैं। जो यहां रहकर ना सिर्फ आर्थिक तौर पर मजबूत बनेंगे बल्कि इस कैफे से होने वाले मुनाफे को उन बच्चों की शिक्षा में खर्च किया जाएगा जो किन्ही वजहों से सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। अमीन चाहते हैं कि सड़कों पर रहने को मजबूर बच्चों को ना सिर्फ सुरक्षित वातावरण मिले बल्कि उनकी शिक्षा पर भी ध्यान दिये जाने की काफी जरूरत है। अमीन बड़ी ही साफगोई से बताते हैं कि उन्होने सिर्फ सातवीं क्लास तक की पढ़ाई की है, लेकिन जितनी अच्छी वो हिन्दी बोलते हैं उससे कहीं ज्यादा वो अंग्रेजी में बात करना पसंद करते हैं।

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अमीन का कहना है, “सड़कों पर रहने वाले बच्चों की किस्मत मेरे जैसी नहीं होती। मैं जिंदगी में काफी कुछ पाना चाहता हूं इसके लिए मैं काफी मेहनत करता हूं। मैं आज भी सड़क में रहने वाला इंसान ही हूं और मैं सड़कों पर रहने वाले बच्चों के लिये काम कर रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि उन बच्चों को वो तकलीफ उठानी पड़े जो मैंने अपनी जिंदगी में उठाई हैं।” 

अमीन की ‘बॉम्बे टू बार्सिलोना’ नाम की महत्वाकांक्षी योजना के तहत वो अपने कैफे को युवा कलाकारों के लिए एक प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं। जहां पर वो ना सिर्फ अपनी कला का बल्कि अपनी योग्यता का परिचय दूसरे लोगों को करा सकें। अमीन सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं। तभी तो उनकी ना सिर्फ अपनी वेबसाइट है बल्कि फेसबुक, ट्विटर और दूसरी सोशल मीडिया की जगहों पर वो लगातार सक्रिय रहते हैं। 35 साल हो चुके अमीन ने अब तक शादी नहीं की है। उनका मानना है कि जब तक वो दूसरे की जिम्मेदारी उठाने लायक नहीं हो जाता तब तक वो शादी नहीं करेंगे। हालांकि उन्होने अपनी छोटी बहन को पढ़ा लिखा कर इस काबिल बना दिया है कि वो अपने पैरों पर खड़े हो सके।

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फिलहाल अमीन को ‘बॉम्बे टू बार्सिलोना’ नाम के अपने प्रोजेक्ट के लिए निवेशकों की तलाश है। इसके अलावा वो चाहते हैं कि वो जो भी काम करें उसका फायदा कैफे को मिले ताकि सड़क में रहने वाले बच्चों तक मदद पहुंच सके।