Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

मिलें UPSC का सपना संजोए दृष्टिबाधित छात्रों को रोशनी देने वाले अकेला राघवेंद्र से

मिलें UPSC का सपना संजोए दृष्टिबाधित छात्रों को रोशनी देने वाले अकेला राघवेंद्र से

Tuesday October 15, 2019 , 4 min Read

भारत में कई कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स यानी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं। इनमें से यूपीएससी या सिविल सर्विस एग्जाम को सबसे कठिन माना जाता है। इस परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों की दर मात्र 25 फीसदी है। साल 2018 में यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा में बैठे 8 लाख स्टूडेंट्स में से केवल 10,500 छात्र ही मेन्स की परीक्षा के लिए पास हुए। हर साल परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट्स में से दृष्टिबाधित छात्रों की संख्या भी काफी होती है।


k

अकेला राघवेंद्र

हाल ही में खबर आई है कि भारत की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अफसर प्रांजल पाटिल ने तिरुवनंतपुरम में सब कलेक्‍टर का पद संभाला है। दृष्टिबाधित छात्रों की बात की जाए तो वे ब्रेल लिपी के माध्यम से पूरे सिलेबस का केवल 20 फीसदी ही पढ़ पाते हैं। इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए हैदराबाद के अकेला राघवेंद्र ने साल 2016 से दृष्टिबाधित छात्रों को यूपीएससी के लिए ट्रेनिंग देना शुरू किया।


साथ ही उन्होंने यूपीएससी सिलेबस का एक बड़ा हिस्सा ब्रेल लिपि और ऑडियोबुक फॉर्मैट में पब्लिश भी किया। किसी पाठ्यक्रम का ऑडियोबुक फॉर्मैट में पब्लिकेशन भारत में पहली बार हुआ। इस ऑडियो बुक को तैयार करने के लिए अकेला ने पाठ्यक्रम पर रिसर्च और पढ़ाई के तरीके खोजने में 7 साल लगाए।


तेलंगाना टुडे से बातचीत में अकेला ने बताया,

'मैंने पूरा, विस्तारपूर्ण और सटीक पाठ्यक्रम तैयार किया। मैंने देखा कि पढ़ने के लिए कई किताबें होने के बाद भी उन्हें कोई भी नहीं पढ़ता है। बस इसी वजह से मैंने एक मास्टर फाइल और ऑडियो वर्जन तैयार किया। आजकल हर किसी के पास एक स्मार्टफोन है। इसलिए रोजाना मैं पढ़ने के लिहाज से दो या तीन जरूरी लेसन (पाठ) अपलोड करता हूं। इसमें से स्टूडेंट्स ने कितना सीखा या समझा? यह पता करना एक तीसरा मापदंड है।'

अकेला खुद भी एक सिविल सर्विस एग्जाम एस्पिरेंट थे। उन्होंने साल 1994 से 1999 के बीच कई बार सिविल सर्विस की परीक्षा दी। दुर्भाग्य से वह मात्र 12 अंक से चूक गए। तेलंगाना टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक असफलता के बाद अकेला ने बताया,

'मैंने विश्लेषण किया कि इतनी मेहनत के बाद भी मैं कहां गलत रहा और मैंने अपनी कमियों को समझा। लेकिन तब तक मैं अपने सारे प्रयास खो चुका था। इसलिए मैंने तय किया कि मैं यूपीएससी में सफल होने का सपना संजोए स्टूडेंट्स को गाइड करूंगा। इसके साथ ही साल 2001 में मैंने दिलसुखनगर में अपना आईएएस कोचिंग सेंटर खोला।'



ऑडियोबुक के आइडिया के बारे में 'एफर्ट्स फॉर गुड' से बात करते हुए अकेला ने बताया कि इस ऑडियोबुक का आइडिया उन्हें साल 2016 में आया जब वह घूमने के लिए यूएस (अमेरिका) गए हुए थे।

उन्होंने बताया, 'मैं जानकर हैरान हुआ कि यूएस में दृष्टि और शारीरिक रूप से दिव्यांग छात्रों को कई सुविधाएं मिल रही थीं। उसी ने मुझे भारतीय छात्रों के लिए ऐसा ही एक सिस्टम बनाने के लिए प्रेरित किया।'
k

दृष्टिबाधित छात्रों को पढ़ाते अकेला राघवेंद्र


अपनी इस यात्रा के बाद अकेला ने अपने दो दृष्टिबाधित छात्रों सागर और शिवप्रकाश के साथ मिलकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए 30 से 35 अति महत्वपूर्ण किताबों को ऑडियो फॉर्मैट में इकठ्ठा किया। सागर और शिवप्रकाश अब यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। यह प्रॉजेक्ट साल 2018 की शुरुआत में पूरा हुआ और इसके लिए अकेला ने अपनी बचत से ही 5 लाख रुपये खर्च कर दिए।


एफर्ट्स फॉर गुड से अपनी किताब के बारे में बात करते हुए अकेला ने कहा,

'किताब का आखिरी संस्करण दोनों छात्रों (सागर और शिवप्रकाश) और कई वॉलिंटिअर्स से फीडबैक लेने के बाद पब्लिश किया गया। इसलिए इस किताब में शायद ही कोई कमी हो! अब आप मुझे थोड़ा बहुत आदर्शवादी व्यक्ति कह सकते हैं।'


यह ऑडियो बुक अंग्रेजी भाषा में है और इसे online-ias.com से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है। साथ ही इसे पूरे देश के किसी भी हिस्से में ऐक्सेस किया जा सकता है।