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छत्तीसगढ़ में पुलिस बल में शामिल होने के लिए ट्रांसजेंडर्स ने लगाई दौड़, नक्सलियों का करेंगे मुकाबला

पुलिस में भर्ती के लिए आयोजित हुई शारीरिक परीक्षा में कुल 11 ट्रांसडेंर्स ने हिस्सा लिया जिसमें से 10 ने सफलतापूर्वक इस बाधा को पार कर लिया। इस परीक्षा के लिए ट्रांसजेंडर तैयारी भी कर रहे थे। ये परीक्षाएं राज्य के हर जिलों में आयोजित हो रही हैं जो कि 27 मई तक चलेगीं।

(फोटो साभार - एएनआई)

(फोटो साभार - एएनआई)


ट्रांसजेंडर्स ने कहा कि हमारा न तो परिवार है और न ही बच्चे। न परिवार की चिंता है और न ही बच्चों की। हमें मौका दीजिए हम जान लड़ा देंगे समाज की सेवा में।

एक वक्त ऐसा भी था जब ट्रांसजेंडर्स के पास नौकरी या पढ़ाई करने की कोई सुविधा ही नहीं रहती थी। लेकिन अब सरकारें इनकी ओर ध्यान दे रही हैं और इन्हें शिक्षा के साथ ही नौकरी दिलाने का काम कर रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में हाल ही में पहली बार पुलिस भर्ती में ट्रांसजेंडर्स को शामिल किया गया है। यह पहल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद शुरू हुई है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि थर्ड जेंडर के लोगों को भी पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए। राज्य में पुलिस भर्ती के कुल 363 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चालू है।

पुलिस में भर्ती के लिए आयोजित हुई शारीरिक परीक्षा में कुल 11 ट्रांसडेंर्स ने हिस्सा लिया जिसमें से 10 ने सफलतापूर्वक इस बाधा को पार कर लिया। इस परीक्षा के लिए ट्रांसजेंडर तैयारी भी कर रहे थे। ये परीक्षाएं राज्य के हर जिलों में आयोजित हो रही हैं जो कि 27 मई तक चलेगीं। इसके बाद उन्हें लिखित परीक्षा पास करनी होगी, जिसके बाद ही उनका चयन होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस परीक्षा में पूरे राज्य से लगभग 45 ट्रांसजेंडर हिस्सा ले रहे हैं।

शारीरिक परीक्षा के दौरान इन ट्रांसजेंडरों को महिलाओं की श्रेणी में रखा गया। पहले दौड़ की बारी आई तो महिलाओं को 800 मीटर की रेस लगानी थी वहीं पुरुषों के लिए यह मापदंड 1500 मीटर का था। ट्रांसजेंडर पुलिस में शामिल हों इसके लिए राज्य सरकार भी उनका सहयोग कर रही है। फिजिकल टेस्ट के बाद उन्हें लिखित परीक्षा के लिए पुलिस डिपार्टमेंट के अलावा समाज कल्याण विभाग की तरफ से कोचिंग क्लास दिलाई जाएगी। अभी उनके लिए वर्कशॉप आयोजित कराई जा रही हैं।

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले देश के कुछ राज्यों में ट्रांसजेंडरों को पुलिस विभाग में नौकरी दी गई है। सबसे पहले तमिलनाडु में पृथिका यशिनि को पुलिस बनने का मौका मिला था। अभी कुछ महीने पहले ही राजस्थान के जालौर में रहने वाली गंगा कुमारी को लंबे संघर्ष के बाद पुलिस में नौकरी मिली थी। इन ट्रांसजेंडरों को शुरू से ही अवसर नहीं दिए जाते इसलिए ये ट्रेन या रेड लाइट पर भीख मांगने, नाचने-गाने जैसे कामों में लिप्त हो जाते हैं। ऐसी पहलें काफी जरूरी हैं, ताकि ये भी पूरे स्वाभिमान के साथ अपनी जिंदगी जी सकें।

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