किराये पर घर ढूंढ रहे हैं तो फाइनल करने से पहले ये चीजें जरूर चेक कर लें
किराये पर घर लेना जितना आसान लगता है उतना होता भी है बशर्ते आप इन जरूरी चीजों पर नजरअंदाज न करें. वरना घर रेंट आउट करने के बाद आपको दोगुना खर्चा और टेंशन उठानी पड़ सकती है.
कोविड के बाद ऑफिस खुल चुके हैं और जो नहीं खुले वो भी अब धीरे धीरे खुलने लगे हैं. कंपनियां एंप्लॉयीज को वापस ऑफिस बुला रही हैं. इस कारण किराय के घर और फ्लैट्स की काफी डिमांड आ रही है.
अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं जिन्हें कंपनियां वापस बुला रही हैं और आप किराये पर फ्लैट की तलाश कर रहे हैं तो ये आर्टिकल आपके काम आ सकता है. किराये पर घर लेना जितना आसान लगता है उतना होता भी है बशर्ते आप इन जरूरी चीजों पर नजरअंदाज न करें. वरना घर रेंट आउट करने के बाद आपको दोगुना खर्चा और टेंशन उठानी पड़ सकती है.
घर के इंटीरियर और एक्सटीरियर के अलावा घर की ओनरशिप चेक करना भी उतना ही जरूरी है. लीगर एडवाइजर्स के मुताबिक घर को किराये पर लेने से पहले प्रॉपर्टी मालिक के नाम और बाकी लीगल चीजों की जानकारी जरूर ले लें. आइए देखते हैं और किन चीजों पर ध्यान देकर आप मुसीबत में पड़ने से बच सकते हैं:
खुद जाकर अच्छी तरह छानबीन कर लें
घर को फाइनल करने से पहले, पेमेंट करने से पहले एक बार खुद जाकर घर के अंदर मौजूद सभी चीजों की खुद से छानबीन कर लें. घर में रखे फर्नीचर से लेकर प्लंबिंग, इलेक्ट्रिक और सैनिटरी फिटिंग सारी चीजों को अच्छी तरह जांच परख लें.
बतौर किरायेदार फ्लैट या ओनर से मिलकर फ्लैट की असल लोकेशन जरूर पता कर लें और जो भी बदलाव आपको कराने हों वो मकानमालिक को बता दें. खुद जाकर अपनी आखों से देखने का ये फायदा होता है कि आप कोई संभावित परेशानी पहले ही पहचान पाते हैं और घर में शिफ्ट होने से पहले उसे दूर कराना मुमकिन होता है.
मेंटनेंस चार्जेज
एक किरायेदार को फ्लैट रेंट पर लेने से पहले उसके मेंटनेंस चार्जेज से जुड़ी सभी नियम शर्तों की जानकारी होनी चाहिए. छोटी मोटी चीजें जैसे कि नल, बिजली के बोर्ड या फिर वायरिंग उतने बड़े खर्च न लगें लेकिन अगर पुताई, या फिर आलमारी, दरवाजे की मरम्मत जैसे बड़े खर्चे आ गए तो आपके और मकानमालिक के बीच इसे लेकर बहस हो सकती है. इसलिए फ्लैट लेने से पहले ही इन सारी चीजों पर चर्चा कर लें.
ब्रोकर का कमिशन
अगर ब्रोकर के जरिए डील कर रहे हैं उसके साथ भी कमिशन पर पहले बात कर लें. कुछ ब्रोकर एक महीने का किराया ब्रोकरेज के तौर पर लेते हैं तो कुछ ब्रोकर आधे महीने का किराया. घर फाइनल करने के बाद कोई झंझट ना हो इससे बेहतर है पहले ही इन बातों पर क्लैरिटी हासिल कर लें.
इसके अलावा ब्रोकरेज चार्जेज शहर के हिसाब से भी बदलते हैं. दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में अमूमन हाई डिमांड की वजह से ज्यादा ब्रोकरेज चार्ज देने पड़ते हैं. कई बार ब्रोकर ऑनलाइन कोई और फ्लैट दिखाकर पहले आपका अटेंशन हासिल करते हैं बाद में कोई और खराब फ्लैट दिखाकर जबरदस्ती लेने पर जोर बनाते हैं. इसलिए बेहतर होगा कि रेरा के पास रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के साथ डील करें.
सोसाइटी में फैसिलिटी
एक बिल्डर फ्लोर लेना तो फिर भी आसान है लेकिन उससे कहीं ज्यादा चुनौती भरा काम होता है सोसाइटी में फ्लैट लेना. इसलिए अगर आप सोसाइटी में फ्लैट देख रहे हैं तो थोड़ा ज्यादा सतर्क रहना चाहिए. मकानमालिक को भी अपने किरायेदार को पेड और अनपेड सभी तरह की सर्विसेज की जानकारी देनी चाहिए.
एक्स्ट्रा पार्किंग वेन्यू, कंडीशनल क्लब यूज, स्विमिंग पूल, डोर-टू-डोर सर्विस चार्जेज और रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन (RWA) फी जैसी चीजों के बारे में पहले पूछ लेना बेहतर होता है. अगर घर के मालिक ने आपको इन चार्जेज की डिटेल पहले नहीं दी तो हो सकता है कि आप गलत बजट का घर किराये पर ले बैठें.
लॉक-इन पीरियड, रेंटल हाईक कितना होगा
मकानमालिक और किरायेदार के बीच लीज एग्रीमेंट में मिनिमम लॉक-इन पीरियड की जानकारी साफ साफ लिखी होनी चाहिए, मसलन- 6 महीने या फिर एक साल या फिर तीन साल.
अमूमन ये लॉक-इन पीरियड 11 महीने या एक साल होता है. घर खाली करते समय नोटिस पीरियड कितना होगा, सिक्योरिटी एडजस्ट होगी या पूरे महीने का किराया देना होगा और मकानमालिक घर खाली करते समय पैसा वापस करेगा. इलेक्ट्रिसिटी बिल किस हिसाब से लगेगा ये सारी चीजें भी लिखी होनी चाहिए.
इस वजह से ये बेहद जरूरी होता है कि लीज एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ना चाहिए. कोई भी संशय हो तो एग्रीमेंट से पहले आप उसे जरूर क्लियर कर लें. इसके अलावा किराये में कितने समय बाद इजाफा होगा और कितना पर्सेंट बढ़ाया जाएगा इस पर भी एग्रीमेंट साइिन करते समय जरूर चर्चा कर लें. रेंटल हाइक और सिक्योरिटी डिपॉजिट मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2020 के हिसाब से तय होने चाहिए.
फ्लैट डॉक्यूमेंट
आप फ्लैट सीधे घर के मालिक के जरिए लें या फिर ब्रोकर के जरिए लें ये जरूर सुनिश्चित कर लें कि यह प्रॉपर्टी किसी विवाद में नहीं है. घर उसी के नाम पर है जिसके नाम पर आपको बताया गया है. कई बार ऐसा भी सुनने में आया है कि घर के मालिक घर को बेचने की तैयारी कर रहे हैं और उसके बाद भी घर किराये पर दे देते हैं.
बाद में किरायेदार को इस वजह से कई तरह के डिस्टर्बेंस होते हैं. इसलिए सुरक्षा के तौर पर मकानमालिक से पूछ लें कि नियर टर्म में उसके घर बेचने का कोई इरादा तो नहीं है.
इसके अलावा आप घर किसके किसके नाम पर रहा है, आखिरी बार किसने बिजली बिल का भुगतान किया था, उसकी रसीद, पानी का बिल, पूरे लेआउट कैसा है और घर के लेआउट में कोई बदलाव कर सकते हैं या नहीं, ब्रोकर का मकानमालिक के साथ कोई रिश्ता है क्या, और आपसे पहले उस घर में कौन रह रहा था उसकी बेसिक जानकारी भी पता कर लें