दिल्ली के स्टार्टअप Primebook ने शार्क टैंक में जुटाई 75 लाख रुपये की फंडिंग
उन्हें यह राशि लेंसकार्ट Lenskart के फाउंडर पीयूष बंसल और बोट boAt Lifestyle कंपनी के फाउंडर अमन गुप्ता ने दी. कंपनी ने बंसल और गुप्ता के 3 प्रतिशत इक्विटी के संयुक्त प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
मेड इन इंडिया एंड्रॉयड ब्रांड प्राइमबुक
ने टीवी रियलटी शो शार्क टैंक सीजन-2 (Shark Tank Season-2) में जाकर 75 लाख रुपये की इंवेस्टमेंट हासिल कर ली है. उसने यह फंडिंग 25 करोड़ रुपये के मौजूदा वैल्यूएशन के साथ जुटाई है.उन्हें यह राशि लेंसकार्ट
के फाउंडर पीयूष बंसल और बोट कंपनी के फाउंडर अमन गुप्ता ने दी. कंपनी ने बंसल और गुप्ता के 3 प्रतिशत इक्विटी के संयुक्त प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.कंपनी ने एक बयान में कहा कि प्राइमबुक जुटाई गई धनराशि का उपयोग अपने कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए ब्रांड के टेक इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग सिस्टम को और मजबूत करने के लिए करेगी.
शार्क टैंक के जजों के सामने पेश किए गए अपने ऑफर में प्राइमबुक के फाउंडर्स और टीम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अगर छात्र कंप्यूटर का उपयोग करते हैं तो वे शिक्षा पर होने वाले खर्च को 85 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं लेकिन भारत में 10 में से केवल एक बच्चे को इसका उपयोग करने को मिलता है. इसलिए, ब्रांड को भारत में 23 करोड़ बच्चों को एक हाई-क्वालिटी लैपटॉप तक पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाने के दृष्टिकोण के साथ बनाया गया था.
पांचों शार्क्स से एकजुट ऑफर के साथ ब्रांड को विनीता सिंह, अमन गुप्ता, पियूष बंसल और अनुपम मित्तल से अलग-अलग ऑफर भी मिला.
प्राइमबुक के को-फाउंडर और सीओओ अमन वर्मा ने कहा कि प्राइमबुक में हम वास्तव में मानते हैं कि जीनियस हर घर में बनाए जा सकते हैं. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सीखने की चाह रखने वाले शिक्षार्थियों के लिए टेक्नोलॉजी बाधा बनने के बजाय सफलता का माध्यम बने.
शार्क टैंक से मिला निवेश हमें अपनी नजरिए को विकसित करने और अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करने के लिए सही टीम नियुक्त करने की अनुमति देगा ताकि हम देशभर के शिक्षार्थियों तक पहुंच सकें.
बता दें कि, दिल्ली स्थित स्टार्टअप प्राइमबुक की शुरुआत साल 2018 में आईआईटी दिल्ली के दो पूर्व छात्रों अमन वर्मा और चित्रांशु महंत ने की थी. कंपनी का दावा है कि वह हाईब्रिड और ई-लर्निंग के आसानी से बदलाव के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), स्कूलों और एडटेक कंपनियों के साथ काम करती है.
Edited by Vishal Jaiswal