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स्टार्टअप कंपनियों में जॉब के बेहतरीन मौके, सोचिए, समझिए और जुट जाइए...

तस्वीर साभार-shutterstock.com

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हर तरफ चर्चा स्टार्टअप की है। सरकार भी स्टार्टअप के लिए नई नीतियां बना रही हैं, सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। ऐसे में जब स्टार्टअप अपनी कंपनी की शुरूआत कर रहे हैं तो नौकरी के अवसर भी बढ़ रहे हैं। ज़ाहिर है युवाओं में इस बात को लेकर भी उत्साह है। ऐसे में देखा ये भी जा रहा है कि न सिर्फ नौकरी करने वाले बल्कि नौकरी देने वालों में भी अलग तरह का उत्साह है। वो भी कर्मचारियों के साथ लंबा रिश्ता बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बना रहे हैं। कर्मचारियों को लुभाने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं।

प्रतिस्पर्धी बाजार में प्रतिभा की कमी को देखते हुए कुछ स्टार्ट-अप ने नये कर्मचारियों के लिये नई नीति अपनायी है। इसके तहत कर्मचारियों को ‘फ्री-लुक’ अवधि दी जाएगी जिसके तहत सभी नये कर्मचारियों को कंपनी की कार्यसंस्कृति को बेहतर तरीके से समझकर कंपनी में बने रहने या उसे छोड़ने का अधिकार होगा।

नये विचारों वाली कंपनियों यानी स्टार्ट-अप में कर्मचारियों को पहले 30 दिन जोड़े रखना बेहद अहम है क्योंकि कभी-कभी कुछ कर्मचारी अच्छे वेतन को देखते हुए ऐसी कंपनियों में काम करने का विकल्प चुनते हैं लेकिन प्राय: स्थापित कंपनियों के मुकाबले जरूरत के अनुसार काम करना या डिलीवरी देना उनके लिये मुश्किल होता है।

शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी सिंपलीलर्न ने ‘फ्री लुक नीति’ अपनायी है। यह वरिष्ठ प्रबंध स्तर समेत सभी स्तरों की नियुक्तियों पर लागू होती है। इसके तहत नये कर्मचारियों को अपने प्रशिक्षण तथा सिंपलीलर्न की प्रक्रिया एवं संस्कृति पर मुख्य रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है।

सिंपलीलर्न के सीओओ गेराल्ड जयदीप का कहना है- 

‘‘बीमा क्षेत्र में ‘फ्री लुक’ की तरह हम नये कर्मचारियों को हमारी कार्य संस्कृति, रोजगार प्रोफाइल के बारे में निर्णय करने की आजादी देते हैं और उन्हें स्वयं यह आकलन करने का मौका देते हैं कि क्या वे व्यक्तिगत और पेशेवर मानकों को देखते हुए काम करने के लिये उपयुक्त हैं या नहीं।’’ 

विशेषज्ञों के अनुसार बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी अधिक है जबकि दूसरी तरफ प्रतिभा की कमी है, ऐसे में कर्मचारियों को आकषिर्त करने और उन्हें बनाये रखने के लिये एक बेहतर रणनीति की जरूरत है।

प्रोप टाइगर डाट काम और मकान डाट काम के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी रोहित हस्तीर का कहना है-

‘‘इस प्रकार के ‘आनबोर्डिंग’ कार्यक्रम को कर्मचारियों ने मूल्यवान पाया है और हमें विश्वास है कि इसके जरिये उन्हें अच्छा अवसर मिलेगा तथा हम उन्हें जोड़े रख पाएंगे। इसका सीधा प्रभाव यह हुआ है कि पहले 90 दिन में कंपनी छोड़कर जाने वालों की संख्या कम हुई है।’’ 

मकान, जमीन के बारे में जानकारी देने वाली पोर्टल हाउसिंग डाट काम के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अजय नायर का कहना है- 

‘‘जब आप कर्मचारियों को जोड़ने की नई नीति की लागत की तुलना परंपरागत तरीके की लागत से करते हैं तो यह कुछ अधिक हो सकती है लेकिन इससे कर्मचारियों को लंबे समय तक बनाये रखने में मदद मिलेगी। इससे रोजगार के दौरान जो अवांछित : अप्रत्याशित लागत होती थी, उसकी भरपाई हो जाएगी।’’