'ईकॉमर्स सेक्टर में सबको बराबरी का मौका देगा ONDC; नहीं रहेगी किसी की मोनोपॉली'
ONDC चीफ एक्जिक्यूटिव टी कोशी के मुताबिक आने वाले दिनों में इस प्लैटफॉर्म से ईकॉमर्स का पूरा सिस्टम बदल जाएगा ठीक वैसे ही जैसे UPI ने पेमेंट की दुनिया बदल दी. बैंक से लेकर फिनटेक प्लटैफॉर्म भी ONDC लिंक्ड प्लैटफॉर्म के लिए सर्विस देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के सीईओ टी कोशी पास के रेस्त्रां से सलाद ऑर्डर करने के लिए अपने फोन में पेटीएम खोलते हैं. लेकिन इतनी सुबह-सुबह रेस्त्रां खुला नहीं था. कोशी कहते हैं कि वो आए दिन इस रेस्त्रां से ऑर्डर करते रहते हैं. मगर आने वाले दिनों में मुझे ऐसी दिक्कत नहीं क्योंकि जल्द ही ONDC इसका हल देने लगेगी.
इस नेटवर्क को लाने का मकसद सभी वेंडर्स को एक जगह पर लाना और खासकर ईकॉमर्स में बड़े मार्केटप्लेस और एग्रीगेटर को भारतीय तरीके से प्रतिस्पर्धा देना है. ONDC इसके अलावा कोच्चि में मोबिलिटी या कैब बुकिंग फैसिलिटी को भी टेस्ट कर रहा है. कोशी कहते हैं, ONDC सिर्फ विकासशील देश की दिक्कत दूर करने की कोशिश नहीं कर रहा है. दुनिया के सभी देशों में ईकॉमर्स सिस्टम कुछ गिनी चुनी कंपनियों के हाथ में आ गया है. ये कंपनियां इतनी बड़ी हो गई हैं कि इन्हें कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो गया है.
ONDC पर इस समय सेलर्स हिस्से के लिए छोटे मर्चेंट्स से काफी इंक्वायरी मिल रही है. मगर खरीदारों वाला हिस्सा अभी भी असंगठित है. अभी तक सिर्फ पेटीएम मॉल ही पूरी तरह ऑनबोर्डिंग के साथ पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है. IDFC फर्स्ट बैंक और फोनपे भी जल्द ही ONDC सपोर्टिव प्लैटफॉर्म लॉन्च कर देंगे. आज की तारीख में ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जिनके पास इस समय इंडिया के डिजिटल कॉमर्स का दो तिहाई हिस्सा है, उनसे मुकाबला करना बहुत मुश्किल है.
कोशी कहते हैं, भविष्य में कोई भी अगर अपना कोई प्रॉडस्ट या सर्विस बेचना चाहता है तो उसे अपना कैटलॉग खुद बनाना होगा या थर्ड पार्टी एग्रीगेटर या पिर टेक्नॉलजी सर्विस प्रोवाइडर से बनवा सकता है. इस तरह हर सेलर एक ही जगह कारोबार कर पाएगा. उसे ईकॉमर्स कंपनी की जरूरत नहीं होगी. ऐमजॉन भी अपना कारोबार करेगा, फ्लिपकार्ट भी. ये दोनों भी ओएनडीसी का पार्ट बन जाएंगे.
आसान शब्दों में कहें तो ODNC ईकॉमर्स सेक्टर के डेमोक्रेटाइज करने जा रहा है, और आने वाले दिनों में इस ईकोसिस्टम में पार्टिसिपेंट्स के लिए बहुत कुछ बदलने वाला है. कुल मिलाकर कर कहें तो एक तरह से जिस ईकॉमर्स को आज हम जानते हैं वो आने वाले दिनों में खत्म हो जाएगा.
क्या है तैयारी?
कोशी कहते हैं कि ग्रोसरी और फूड डिलीवरी सेगमेंट सबसे मुश्किल वर्टिकल होते हैं, और सबसे ज्यादा मेहनत मांगते हैं. क्योंकि इन्हें हाइपलोकल स्तर पर शुरू करना पड़ता है. अच्छी बात ये है कि ONDC इन सबसे मुश्किल सेगमेंट्स की अप्रैल से कुछ शहरों में टेस्टिंग शुरू कर चुका है.
हम दिखाना चाहते थे कि सबसे मुश्किल सेगमेंट कैसे सफल हो सकती है. बतादें कि पेटीएम खरीदारों के लिए ONDC प्लैटफॉर्म लाने वाला पहला बिजनेस था. उसके बाद IDFC फर्स्ट बैंक ने भी ONDC प्लैटफॉर्म लॉन्च कर दिया है. फोनपे भी इस कतार में है, और यह बेंगलुरु के साथ ONDC नेटवर्क लॉन्च कर सकता है. कोटक महिंद्रा बैंक जिसने ONDC में 7.84 पर्सेंट हिस्सा लिया है, वह भी जल्द ही बायर्स के लिए ONDC नेटवर्क सपोर्टेड सिस्टम लाने वाला है.
कैसे काम करेगा ONDC?
ONDC एक ओपन प्रोटोकॉल की तरह काम करेगी. खरीदार को नेटवर्क पर सेलर की कैटलॉग नजर आएगा. कोशी कहते हैं ये बिल्कुल उसी तरह काम करेगा जैसे इंटरनेट या फिर ईमेल नेटवर्क लोगों को एक दूसरे से कॉन्टैक्ट करने देते हैं. रेस्त्रां, ग्रोसर्स और अन्य चीजों के वेंडर्स के लिए अमूमन गोफ्रूगल, ईसमुदाय और स्नैपडील एग्रीगेटर की तरह काम करती हैं.
ONDC प्लैटफॉर्म पर पेटीएम, जैसे ऐप्स अवेलेबल होंगे जहां यूजर आराम से एक ही सामान के दाम अलग-अलग प्लैटफॉर्म पर देख सकेंगे और जहां से मन करे वहां से खरीदने का फैसला कर सकते हैं. हां, लेकिन इस डेमोक्रेटाइजेशन का ये मतलब नहीं है कि कुछ कंपनियां ONDC का बड़ा मार्केट शेयर हासिल नहीं कर सकतीं. आपके पास कितने यूजर हैं ये आपको बड़ा नहीं बनाएगा बल्कि आप अपने सेगमेंट में क्या खास कर रहे हैं और क्या इनोवेट कर रहे हैं इससे आपको फायदा मिलेगा.
इसे इस तरह समझते हैं, एक खरीदार को अगर खाने की कोई चीज खरीदने होगी वो ONDC ऐप खोलेगा. वहां उसे सभी रेस्त्रां के मेनू मिलेंगे. इसी तरह अगर कोई कंपनी वेडिंग गिफ्ट्स और अन्य संबंधित चीजें चाहिए तो उस क्षेत्र की सभी दुकानें या स्टोर नजर आ जाएंगे. जब कोई बायर किसी प्रॉडक्ट या सर्विस के लिए सर्च करता है तो उसके लिए सभी सेलर्स की तरफ से ONDC पर ऐप पर सभी विकल्प आ जाएंगे.
खरीदार जिस भी सेलर को ऑर्डर देगा उसके पास नोटिफिकेशन पहुंच जाएगा. अब ONDC पर मौजूद सर्विस प्रोवाइडर सेलर से सामान लेकर खरीदार तक पहुंचाने का काम करेंगे. अगस्त के आखिरी सप्ताह में 60 शहरों में लगभग 250 मर्चेंट्स ONDC से जुड़े हैं. डिलीवरी के लिए ONDC ने शिपरॉकेट, डंजो, ईकार्ट, ईकॉम एक्सप्रेस, लोडशेयर और ग्रैब के साथ लॉजिस्टिक पार्टनरशिप की है.
शिकायत कैसे दूर होगी?
कोशी बताते हैं, ONDC पर आने वाली हर एंटिटी को नेटवर्क की मौजूदा और आने वाली सभी पॉलिसी के लिए एक स्टैंडर्ड, नॉन निगोशिएबल नेटवर्क वाइड अग्रीमेंट साइन करना पड़ेगा. इन नीतियों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ और बर्खास्त भी किया जाएगा. जैसे ही ऐप का प्रोटोकॉल टेस्ट हो जाएगा वैसे ही हम इसका नाम रखेंगे और सिर्फ वही काम कंपनियां काम कर सकेंगे जो प्लैटफॉर्म पर रजिस्टर होंगी.
ONDC ने एक सेलर को नकली सामान बेचने के लिए प्लैटफॉर्म से हटा दिया था. ONDC अभी ऑनलाइन पर आने वाली शिकायतों को दूर करने के लिए कुछ महीनों में मैकेनिजम लाने पर काम कर रही है. इसमें एक थर्ड पार्टी ऑनलाइन डिस्प्यूट रेजॉल्यूशन प्लैटफॉर्म जोड़ना भी हो सकता है. घटिया क्वॉलिटी का सामान बेचने वालों को कम स्कोर दिया जाएगा जो प्लैटफॉर्म पर नजर आएगा.
ONDC का क्या असर पड़ेगा?
कोशी को उम्मीद है कि ONDC का भारत में डिजिटल कॉमर्स पर कई गुना असर होगा. खासकर छोटे मर्चेंट्स को सबसे फायदा होगा क्योंकि एक ऑर्गनाइज्ड सेक्टर का हिस्सा बनकर उनके पास और अधिक क्रेडिट तक पहुंच होगी. आज की तारीख में इस समय खरीदारों का मार्केट 4 पर्सेंट है और सेलर्स की हिस्सेदारी 1 पर्सेंट. ONDC की वजह से ये दोनों ओर से हिस्सेदारी बढ़ने वाली है.
कॉमर्स डिपार्टमेंट के इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं, इंडिया में बिकने वाले सभी ऑनलाइन गुड्स की कुल वैल्यू 2030 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. जो 2021 में महज 60 अरब डॉलर थी. जेएम फाइनैंशल ने 'ONDC: डिसरप्शन ऑर इवॉल्यूशन' नाम की रिपोर्ट में कहा, ईकॉमर्स एक ऐसे स्तर पर पहुंच रहा है जहां यह फूड से लेकर इंश्योरेंस तक की इंडस्ट्री पर असर डाल रहा है. IBEF के अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन बिक्री का मार्केट 2024 तक 10.7 पर्सेंट तक पहुंच सकता है.
इसका मतलब ये है कि डिजिटल में कन्वर्जन ही आगे का भविष्य है और इसलिए सरकार चाहती है कि इस ईकोसिस्टम में भाग लेने वाले सभी पार्टिसिपेंट्स को फायदा मिले. कोशी ONDC को एक ऐसा प्लैटफॉर्म बताते हैं जो सभी को बराबर अवसर देगा.
वो कहते हैं, ONDC एक ऐसा प्लैटफॉर्म होगा जहां हर शख्स अपना सामान ऑफर कर सकेगा जिसमें वो खुद को सबसे बेहतर समझता हो, जहां उसे लगता हो कि वो इनोवेट कर सकता है उसे अपने सामान को ऑफर करने का मौका मिलेगा. अगर आपके पास वाकई अच्छा आइडिया है तो आपको अच्छा बिजनेस मिलेगा.