छोटे विमान से 51 हजार किलोमीटर का सफर तय कर दुनिया घूमने जा रही हैं मां-बेटी
देश की पहली महिला माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट इंस्ट्रक्टर आंद्रे दीपिका माबेन का दिलचस्प हवाई सफर...
आंद्रे ने 15 साल की उम्र से ही जक्कुर में ग्लाइडर उड़ाना शुरू कर दिया था, उन दिनों वो एनसीसी कैडेट्स हुआ करती थीं। वह देश की पहली महिला माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट इंस्ट्रक्टर थीं।
19 साल की उनकी बेटी भी इस सफर में उनका साथ देने वाली हैं। एमी पेशे से फोटोग्राफर हैं और उन्होंने इसके लिए स्पेशल छुट्टी ले रखी है। एमी ने कहा कि वह इस रोमांचक यात्रा के दौरान अपनी मां की आंख और कान बनेंगी।
यह यात्रा अगले साल 18 फरवरी से शुरू होगी। मोटर ग्लाइडर के सहारे इस अविश्वसनीय यात्रा पर जाने का साहस अभी तक दुनिया की किसी भी महिला ने नहीं किया है।
हवा में उड़ना और दुनिया घूम लेना, ये ऐसे ख्वाब हैं जो हर किसी को आते हैं। लेकिन शायद ही कोई ऐसा हो जिसके ये ख्वाब पूरे हो पाते हों। कर्नाटक की मां-बेटी दीपिका और एमी अपने आप को खुशनसीब मानती हैं कि उन्हें ये मौका मिला है। उनके ख्वाब अब हकीकत में बदलने वाले हैं। कर्नाटक के मैसूर की रहने वाले आंद्रे दीपिका माबेन पेशे से फ्लाइट इंस्ट्रक्टर हैं। यानी जब कोई विमान उड़ान भरता है तो वे उसे दिशा निर्देश देती हैं। उन्हें 21 देशों का सफर करने का मौका मिला है वो भी मोटर ग्लाइडर से। खास बात यह है कि इस सफर के दौरान उनके साथ केवल उनकी बेटी एमी माबेन होंगी।
आंद्रे ने 15 साल की उम्र से ही जक्कुर में ग्लाइडर उड़ाना शुरू कर दिया था। तब वे एनसीसी कैडेट्स हुआ करती थीं। वह देश की पहली महिला माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट इंस्ट्रक्टर थीं। उनके पास 2003 में एयर रेस इंडिया में अल्ट्रालाइट महिला पायलट होने का रिकॉर्ड भी है। इस दौरान उन्होंने 5 दिन में 2,400 किलोमीटर का सफर तय किया था। 19 साल की उनकी बेटी भी इस सफर में उनका साथ देने वाली हैं। एमी पेशे से फोटोग्राफर हैं और उन्होंने इसके लिए स्पेशल छुट्टी ले रखी है। एमी ने कहा कि वह इस रोमांचक यात्रा के दौरान अपनी मां की आंख और कान बनेंगी। वह सोशल मीडिया पर इस यात्रा के बारे में लोगों को रूबरू कराती रहेंगी।
एमी ने कहा कि वह इस सफर के पलों को कैमरे में कैद करेंगी, जिसे बाद में वह किताब की शक्ल भी देंगी। इसमें मोटर ग्लाइडर यानी हल्के विमान का इस्तेमाल होगा। जिस एयरक्राफ्ट से यह सफर पूरा किया जाना है उसक नाम माही है। मुंबई की कम्यूनिकेशन कंपनी 'सोशल एक्सेस कम्युनिकेशन' ने अपने कैंपेन 'वी! विमिन एमपावरमेंट' के तहत इस यात्रा को स्पॉन्सर किया है।
साथ ही इस मिशन को महिला और बाल विकास मंत्रालय का भी सहयोग मिल रहा है। आंद्रे एक एयरोस्पेस कैंप्स भी चलाती हैं जहां वे 8 से 15 सालों के बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं। उन्होंने अब तक 10 हजार से भी ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दी है।
इस दौरान दोनों 51,000 किलोमीटर की यात्रा करेंगी। इस मुश्किल सफर को साहसी मां-बेटी की जोड़ी ने 80 दिनों में पूरा करने का संकल्प लिया है। दीपिका और एमी साउथ-ईस्ट एशिया के देशों के साथ ही जापान, रूस, अलास्का, नॉर्थ अमेरिकी देशों, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, यूरोप, ईरान और पाकिस्तान का सफर तय करते हुए भारत वापस लौटेंगी। यह यात्रा अगले साल 18 फरवरी से शुरू होगी। मोटर ग्लाइडर के सहारे इस अविश्वसनीय यात्रा पर जाने का साहस अभी तक दुनिया की किसी भी महिला ने नहीं किया है। दीपिका और उनकी बेटी एमी इस रोमांचक यात्रा के जरिये समाज में महिला सशक्तीकरण का संदेश देना चाहती हैं।
इसी बुधवार को बेंगलुरु स्थित जक्कूर एयरोड्रम पर आयोजित एक कार्यक्रम में मां-बेटी ने अपने आगामी यात्रा की घोषणा की। दीपिका और एमी स्लोवेनिया से इंपोर्ट साइनस पिपिस्टल 912 इंजन अल्ट्रा लाइट मोटर ग्लाइडर से उड़ान भरेंगी। इस विमान का नाम 'माही' रखा गया है। सफर की शुरुआत जक्कूर एयकोड्रम से होगी। इसमें 30-30 लीटर क्षमता के 2 फ्यूल टैंक हैं। यह विमान एक बार में 4.5 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है। यात्रा के दौरान फ्यूल भरने के लिए विमान को कम से कम 54 बार उतरना होगा। उड़ान सिर्फ दिन के समय ही होगी, क्योंकि दीपिका को रात में उपकरण के सहारे उड़ान भरने के लिए जरूरी एविएशन सर्टिफिकेट नहीं है। दीपिका का कहना है कि वह कोशिश करेगी कि एक बार फ्यूल डलवाने के बाद विमान लगातार 4.5 घंटे चले।
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