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दसवीं के 3 छात्रों ने शुरू किया स्टार्टअप, मिल गई 3 करोड़ की फंडिंग

10वीं में पढ़ने वाले तीन बच्चों ने सिर्फ एक साल में तैयार किया अपने बिज़नेस का मॉडल...

दसवीं के 3 छात्रों ने शुरू किया स्टार्टअप, मिल गई 3 करोड़ की फंडिंग

Sunday June 18, 2017 , 5 min Read

जयपुर के स्कूल नीरजा मोदी की कक्षा 10 में पढ़ने वाले तीन दोस्तों ने एक साल में ही अपने बिज़नेस का पूरा मॉडल तैयार करके फंडिंग के लिए निवेशक भी ढूंढ लिया है। इतनी कम उम्र में ये जज़्बा ये लगन देखने लायक है। आईये जानें कि ऐसा कौन सा बिज़नेस मॉडल है, जिसमें निवेशक 3 करोड़ की फंडिंग के लिए तैयार हो गया...

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वे तीनों छात्र जो शुरू कर रहे हैं काफी कम उम्र में अपना स्टार्टअप। फोटो साभार: सोशल मीडियाa12bc34de56fgmedium"/>

जहां 10 वीं में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई के अलावा सिर्फ खेलते नज़र आते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो इस छोटी सी उम्र में ही कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं। जयपुर के चैतन्य गोलेचा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन को अपने बिजनेस शुरू करने के लिए करोड़ों का फंड मिला है।

इन बच्चों को जिस कंपनी ने फंडिंग में मदद की है उनके लिए मार्केटिंग और रिसर्च की जिम्मेदारी भी इन पर ही है। उनके इस स्टार्टअप का एक प्लांट जल्द ही इंदौर में बनाया जाएगा।

आजकल के बच्चे पढ़ाई के अलावा यदि कुछ सोच समझ पाते हैं, तो वह है खेल-कूद लेकिन जयपुर के तीन होनहार बच्चों ने इस बात को झूठला दिया है। उनके लिए खेल शायद बहुत पीछे छूट गये हैं, क्योंकि 10वीं में पढ़ने वाले इन बच्चों ने स्टार्टअप का एक ऐसा यूनिक आइडिया निकाला है, जिसके लिए उन्हें निवेशक भी मिल गये हैं और निवेश कोई मामूली नहीं बल्कि 3 करोड़ का है। ये वही बच्चे हैं, जिनके आइडिया को एक फेस्ट में बाहर का रास्ता दिखाते हुए ये कहा गया था कि, "वे अभी इस तरह की किसी भी प्रतियोगिता के लिए तैयार नहीं हैं।"

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जयपुर, राजस्थान के दसवीं में पढ़ने वाले तीन बच्चे छोटी-सी उम्र में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं। जयपुर के चैतन्य गोलेचा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए करोड़ों का फंड मिला है। तीनों 10वीं कक्षा के छात्र हैं और 'इंफ्यूजन बेवरेज' नाम से अपना स्टार्टअप शुरू करने वाले हैं। इन बच्चों ने सिर्फ एक साल में ही अपने बिजनेस का पूरा मॉडल तैयार कर लिया है और साथ ही अपने स्टार्टअप बिजनेस के लिए निवेशक भी ढूंढ़ लिया है, जो 3 करोड़ रुपए की फंडिंग करने जा रहा है। ये तीनों बच्चे जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में पढ़ते हैं। इन बच्चों ने मिलकर एक फ्लेवर्ड वॉटर का बिजनेस शुरू किया है, जिसमें किसी तरह के प्रिज़र्वेटिव का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसकी खास बात यह है, कि इसमें चीनी और सोडा का भी इस्तेमाल नहीं किया है। सबसे खास बात ये है कि 'इंफ्यूजन बेवरेज' को FSSAI से हरी झंडी मिल चुकी है।

पहली बार में रिजेक्ट हो गया था आईडिया

उन तीनों बच्चों में से एक चेतन्य गोलेचा के मुताबिक, 'जिस प्रोडक्ट को हम तैयार कर रहे हैं, उसे फेस्ट के जज ने पसंद नहीं किया था। उन्हें फेस्ट के जज ने पहले राउंड से ही बाहर निकाल दिया था। एक घंटे के भीतर वो प्रतियोगिता से बाहर हो गए थे। लेकिन इसके बावजूद हमें 150 फ्लेवर्ड वाटर का ऑर्डर मिल गया।' तीनों ने पिछले साल अप्रैल में स्कूल के इंटरप्रेन्योरशिप फेस्ट में हिस्सा लिया था। तीनों ने मौके को हाथोंहाथ लिया और 150 बोतलें डिलीवर कर दीं। उस दिन के बाद इन छात्रों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक साल के अंदर ही इन तीनों ने मिलकर अपने बिजनेस के आइडिया की रूप-रेखा तैयार कर अपने पहले बिजनेस के लिए निवेशक भी ढूंढ़ निकाला।

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ठान लो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता

इन छात्रों के मुताबिक, 'इस स्टार्टअप की मुख्य थीम यही थी कि बिना प्रिजर्वेटिव के फ्लेवर्ड पानी बनाना। हमने गूगल पर गहन रिसर्च की और बिना चीनी और सोडे के एक बेहतर ड्रिंक बनाई। लेकिन जल्द ही हमें अहसास हो गया था कि जब तक आप नाबालिग हैं, तब तक इस आइडिया को हकीकत में तब्दील करना आसान नहीं है। लाइसेंस, खाद्य विभाग से जरूरी अनुमतियां और एफएसएएसएआई से अप्रूवल लेना एक मुश्किल काम है। हम नाबालिग थे, इसलिए हमारे माता-पिता ने यह इजाजत ली।' अपने आइडिया को और बेहतर करने के मकसद से उन्होंने IIT कानपुर, IIM इंदौर के आंत्रेप्रेन्योर कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया, जिसमें उन्हें खासी प्रशंसा मिली। लेकिन बड़ी कामयाबी तब मिली जब मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट अॉफ टेक्नॉलजी को यह आइडिया पसंद आया। उन्होंने तीनों छात्रों की इस टीम को इसके पेटेंट के लिए अप्लाई करने में मदद की, जो कि टीम लिए एक शुरुआती चरण था। अब तो उनका ये स्टार्टअप एफएसआईआई से प्रमाणित है।

इन बच्चों को जिस कंपनी ने फंडिंग में मदद की है, उनके लिए मार्केटिंग और रिसर्च की जिम्मेदारी भी इन पर ही है। उनके इस स्टार्टअप का एक प्लांट जल्द ही इंदौर में बनाया जाएगा। इन छात्रों ने एक साल से भी कम समय में आइडिया, इन्वेस्टर्स खोजना और अपने प्रॉडक्ट को हकीकत बनते देखा है, जोकि बाकियों के लिए एक मिसाल है।

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