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फेसबुक पेज के जरिए कैसे बचाई गई एक बेसहारा वृद्ध की जिंदगी

सोशल मीडिया का पॉज़िटिव असर...

फेसबुक पेज के जरिए कैसे बचाई गई एक बेसहारा वृद्ध की जिंदगी

Friday December 22, 2017 , 3 min Read

आंध्र प्रदेश के राजमंड्री शहर के नाम से पेज चलाने वाले आदित्य वैभव ने सड़क पर बेसहारा पड़े एक व्यक्ति की जान बचाने में मदद की। सड़क पर लावारिस बीमार पड़े व्यक्ति की मदद करने के लिए उन्होंने अपने फेसबुक पेज का सहारा लिया।

बेसहारा वृद्ध

बेसहारा वृद्ध


चोट इतनी भयंकर थी कि उसका उठना भी बंद हो गया था। आदित्य के पिता ने उसकी देखभाल के लिए एक नर्स को बुलाया। लेकिन इससे उसकी हालत में सुधार आना संभव नहीं लग रहा था।

 वृद्ध को अगर समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो बहुत संभव है कि वह सड़क पर यूंही पड़े-पड़े मर जाते। लेकिन एक व्यक्ति की सोच और पहल ने किसी की जिंदगी बचा ली।

सोशल मीडिया हम सबकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। इन दिनों लोग अपने दिन का सबसे ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताते हैं, लेकिन इसी इंटरनेट की मदद से मानवता की रक्षा भी की जा रही है। सोशल मीडिया वह ताकत है जो हमें दुनियाभर के लोगों से जोड़े रखती है। हाल ही में सोशल मीडिया की ताकत का एक उदाहरण देखने को मिला। आंध्र प्रदेश के राजमंड्री शहर के नाम से पेज चलाने वाले आदित्य वैभव ने सड़क पर बेसहारा पड़े एक व्यक्ति की जान बचाने में मदद की। सड़क पर लावारिस बीमार पड़े व्यक्ति की मदद करने के लिए उन्होंने अपने फेसबुक पेज का सहारा लिया और देखते ही देखते कई सारे लोगों ने मदद का हाथ बढ़ा दिया।

आदित्य ने बताया, 'मेरे पिता श्री राजा गोपाल ने सड़क पर एक बेसहारा वृद्ध को देखा था, जिसकी उम्र लगभग 60 साल के आस-पास थी।' वहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक वह वृद्ध सिंम्हाचलन गोदावरी गुट्टू रोड पर पांच सालों से रह रहा है। लेकिन किसी ने उसकी हालत की ओर ध्यान नहीं दिया। एक दिन उसके पैर में गंभीर चोट लग गई जिसके बाद वह वहीं फुटपाथ पर ही पड़ा रहा। चोट इतनी भयंकर थी कि उसका उठना भी बंद हो गया था। आदित्य के पिता ने उसकी देखभाल के लिए एक नर्स को बुलाया। लेकिन इससे उसकी हालत में सुधार आना संभव नहीं लग रहा था।

आदित्य ने स्थानीय नेताओं से भी संपर्क किया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद अपने फेसबुक पेज से उस व्यक्ति की मदद के लिए एक पोस्ट लिखा। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें मैसेज आने लगे। लोगों ने सिम्हाचलन की मदद करने में दिलचस्पी दिखाई। वहां के एक स्थानीय नेता कांडुला दुर्गेश अपने कुछ साथियों के साथ आए और सिम्हाचलन को अस्पताल में भर्ती कराया। कांडुला एमएलसी भी रह चुके हैं और सर्वांथी नाम से एक सामाजिक संगठन भी चलाते हैं। अब सिम्हाचलन की तबीयत में काफी सुधार आया है और वह अपनी चोटों से भी उबर रहे हैं।

सिम्हाचलन को अगर समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो बहुत संभव है कि वह सड़क पर यूंही पड़े-पड़े मर जाते। लेकिन एक व्यक्ति की सोच और पहल ने किसी की जिंदगी बचा ली। हालांकि अभी उन्हें पूरी तरह ठीक होने में काफी वक्त लगेगा, लेकिन फिर भी अस्पताल में उनकी हालत खतरे से बाहर है। आदित्य ने कहा कि सोशल मीडिया का ऐसा इस्तेमाल हमारे समाज की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है, तभी इंसानियत जिंदा रह पाएगी।

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