तेजी से बदलते शिक्षा के स्वरूप में तकनीक का भविष्य
आज के वक्त में भारत जैसे देश में 5G कनेक्टिविटी हर घर तक पहुंच रही है. साथ ही अफोर्डेबल प्राइस प्वाइंट में स्मार्टफोन मौजूद है. ऐसे दौर में शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है.
कोविड महामारी ने शिक्षा के लिए तकनीक की जरुरत का एहसास कराया है. तकनीक के इस्तेमाल से शिक्षा का दायरा बढ़ा है. मतलब शहरों और बड़े शहरों तक सीमित क्वॉलिटी एजूकेशन को गांवों तक पहुंचाने में मदद मिली है. आज के वक्त में भारत जैसे देश में 5G कनेक्टिविटी हर घर तक पहुंच रही है. साथ ही अफोर्डेबल प्राइस प्वाइंट में स्मार्टफोन मौजूद है. ऐसे दौर में शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है.
महंगी शिक्षा से छुटकारा
भारत में क्वॉलिटी एजूकेशन काफी महंगी है, लेकिन ऑनलाइन एजूकेशन की वजह से शिक्षा को अफोर्डेबल बनाया जा सका है. इसमें आपको बेसिक उपकरण जैसे स्पीकर, कैमरा और इंटरनेट की जरूरत होती है. इसकी मदद से शिक्षा हर एक बच्चे तक पहुंच सकी है. इसके लिए ज्यादा पैसे नहीं देने होते हैं. कई वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर फ्री में एजूकेशनल वीडियो मौजूद है. वही कुछ प्रोफेशनल एजूकेशन के लिए मंथली या एनुअल बेस पर सब्सक्रिप्शन चार्ज लेते हैं.
AI ड्रिवेन पर्सनलाइज्ड एक्सपीरिएंस
एआई की मदद से पर्सनलाइज्ड एक्सपीरिएंस दिया जाता है. यह शिक्षा का नया तरीका है, जिसमें हर एक छात्र की जरुरत, पसंद और उसकी रुचि के हिसाब से उसकी स्किल डिवलप करने में मदद मिलती है. एआई किसी बच्चे के सीखने की गति पर नजर रखता है. इससे उस बच्चे के हिसाब से कोर्स को डिजाइन किया जा सकता है. एआई टूल से कलेक्ट डेटा के आधार पर बच्चों के भविष्य को लेकर एक प्लान तैयार किया जा सकता है. इससे बच्चे के मानसिक विकास के ग्रोथ में मदद मिलती है.
वर्चुअल क्लास रूम
ई-लर्निंग की दिशा में शिक्षा ऑनलाइन क्लास से आगे बढ़ चुकी है. दरअसल ऑनलाइन क्लास में बच्चे कैमरा बंद करके दूसरे काम में जुट जाते थे. लेकिन मशीन लर्निंग और वर्चुअल रिएलिटी की मदद से इंटरैक्टिव क्लास को डिजाइन किया जाता है. इसमें अवतार की मदद से एक वर्चुअल क्लास रूम तैयार किया जाता है, जिसमें हर एक बच्चे का अवतार मौजूद होता है, जिसे वीआर हेडसेट की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है. यह का शिक्षा का नया चेहरा हो सकता है, जहां हर अवतार की उपस्थिति से लेकर उसके मूवमेंट से लेकर हर हरकत को देखा जा सकता है.
क्लाउड कंप्यूटिंग
मौजूदा वक्त मे क्लाउड कंप्यूटिंग बेस्ड एजूकेशन में काफी इजाफा दर्ज किया जा रहा है, क्योंकि इससे बड़े स्तर पर छात्रों तक पहुंचा ज सकता है. साथ ही क्लाउड कंप्यूटिंग से आपको डेटा के स्टोरेज से लेकर उसके प्रबंधन और होस्टिंग के काम से छुटकारा मिल जाता है. आज के वक्त में AWS, Google समेत कई कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम करती है, जिसकी मदद से आप अपनी क्लास रुम को डिजिटल शिफ्ट कर सकते हैं. इसके लिए आपको बेहद कम रिसोर्स की जरूरत होती है.
प्रैक्टिकल बेस्ड नॉलेज
शिक्षा के डिजिटलीकरण से नॉलेज का दायरा काफी बढ़ गया है. साथ ही डिजिटल ग्रॉफिक्स और 3D मॉडल, एनिमेशन, और डिजिल अवतार की मदद से प्रैक्टिकल बेस्ड शिक्षा में इजाफा हो रहा है, जिससे बच्चों को किसी जटिल सवाल या फिजिक्स और केमेस्ट्री की थ्योरी को समझाना आसान हो गया है, जो पहले तक मुमकिन नहीं था. ऐसे में कम उम्र के बच्चों के लिए डिजिटल एजूकेशन एक वरदान के तौर पर साबित हुई है.
क्रिएटिव और स्मार्ट एजूकेशन
ऐसा सुनने को मिलता है कि आज के बच्चों काफी स्मार्ट हो गए हैं, लेकिन बच्चें नहीं, दरअसल टेक्नोलॉजी स्मार्ट हुई है, आज के वक्त में टेक्नोलॉजी लगातार इंप्रूव हो रही है, ऐसे दौर में किसी भी बच्चे के पास सीखने के ज्यादा सोर्स हैं. बच्चों ऑडियो और विजुअल्स कई मोड से सीख सकते हैं. साथ ही ऑनलाइन रीडिंग के ढ़ेर सारे टूल मौजूद हैं. ऐसे में बच्चों की स्किल्स तेजी से इंप्रूव हो रही है. इसके अलावा बच्चें क्रिएटिव हो रहे हैं.
फिजिकल एजूकेशन में ज्यादा फोकस
शिक्षा के एजूकेशन के क्वॉलिटी इंप्रूव हुई है. साथ ही एजूकेशन के घंटे में इजाफा हुआ है. आज के दौर में जहां शहरों में लंबा जमा लगता है. ऐसे में बच्चों से स्कूल बस से घर आने में कई घटों का वक्त लगता है. लेकिन डिजिटल होती शिक्षा के दौर में बच्चों के ट्रैवलिंग के घंटों में कटौती की जा सकती है. साथ ही क्लास रूम को हाइब्रिड मॉडल में भी शिफ्ट करने का ऑप्शन है, जिससे बच्चों को फिजिकल एजूकेशन हासिल करने में ज्यादा वक्त मिलेगा. साथ ही बच्चे गेम और अन्य क्रिएटिव स्किल्स को सीख पाएंगे.
(लेखिका Joonify और Aark Learnings की को-फाउंडर और सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखिका के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक