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Good To Great: औसत से खास बनना क्यों जरूरी है, इसकी सीख देती है ये किताब

ज्यादातर व्यवसाय अपने बिजनेस में कार्यक्षमता का एक स्तर प्राप्त करते हैं, लेकिन इस बिंदु से आगे बढ़ने के बजाय, वे बस वहीं रुक जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, कॉलिन्स ने खुद से एक आसान सवाल पूछा: क्या अच्छी कंपनियां महान बन सकती हैं, और अगर हां, तो कैसे?

Good To Great: औसत से खास बनना क्यों जरूरी है, इसकी सीख देती है ये किताब

Monday September 05, 2022 , 4 min Read

बिजनेस और मैनेजमेंट के क्षेत्र में जिम कॉलिन्स की किताब 'गुड टू ग्रेट' ने काफी नाम बटोरा है. ये किताब पहली बार 16 अक्टूबर, 2001 में छपी थी. इसकी 40 लाख से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं, और यह सबसे अधिक बिकने वाली प्रबंधन पुस्तकों में से एक है. किताब में कुछ कंपनियों के ऊपर केस स्टडी की गई है, और बताया गया है कि कैसे एक आम कंपनी भी एक महान कंपनी बन सकती है. जिम कॉलिन्स ने सैकड़ों कंपनियों की प्रोफ्राइल रिसर्च करके उन्होंने ऐसी गुड कंपनियों की पहचान की जो ग्रेट बन सकती थीं. कॉलिन्स और उनकी टीम ने मिलकर ये पता लगाया है कि आखिर ग्रेट कंपनियां ऐसा क्या अलग करती हैं. जिम कॉलिन्स इन्फ्लुएंशियल मैनेजमेंट प्रोफेसर भी हैं.  

किसे पढ़नी चाहिए ये किताब

ये किताब हर उस इंसान को पढ़नी चाहिए जो औसत नहीं बल्कि अलग बनना चाहता है. आज की तारीख में औसत बने रहकर जिंदगी निकल तो सकती है मगर जीना है तो ग्रेट बनना ही पड़ेगा. जो भी इंसान ग्रेट बनने का फार्मूला सीखना चाहता है उसे इस किताब दिए गए कॉन्सेप्ट और आईडिया काफी मददगार लगेंगे. चाहे आप कंपनी प्रोफेशनल हों या स्टूडेंट या फिर कोई एंप्लॉयी, ये किताब हर किसी के लिए बड़े काम की है. आप भी इसे पढ़कर अपनी जिंदगी को गुड टू ग्रेट की तरफ ले जा सकते हैं.

कॉलिन्स अपनी किताब में बताते हैं कि एक कंपनी को ग्रेट बनने में सीईओ की सैलरी, टेक्नॉलजी, मर्जर और एक्विजिशन, मैनेजमेंट में बदलाव जैसी चीजें बहुत नाम मात्र की भूमिका निभाती हैं. कॉलिन्स के हिसाब से कंपनियों के लिए सफल होने के लिए तीन अहम चीजें मायने रखती हैं: डिसीप्लिंड पीपल, डिसीप्लिंड थॉट, डिसीप्लिंड एक्शन. किताब के हर चैप्टर में अलग-अलग सीख या रणनीति दी गई है जो कंपनियों के लिए गुड से ग्रेट बनने के काम आ सकती है. 

लेवल 5 लीडरशिप

कॉलिन्स के एनालिसिस में यह सबसे दिलचस्प एलीमेंट है, क्योंकि यह एक महान नेता की लोकप्रिय धारणा के विपरीत है. अगर आप एक टॉप सीईओ के व्यक्तित्व के बारे में किसी अजनबी से पूछते हैं, तो मुमकिन है कि वे किसी बड़े, करिश्माई और बहुत कुछ हासिल कर चुके एक अधिकारी को चित्रित करेंगे. हम सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में हर जगह इस प्रकार के अधिकारियों को देखते हैं. लेकिन कॉलिन्स के शोध में, ये वो अधिकारी नहीं हैं जो किसी कंपनी में बदलाव ला सकते हैं. उनके हिसाब से ऐसे सीईओ अक्सर कंपनी की सफलता की बजाय अपनी निजी सफलता पर बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं. क्या इस तरह का नेता सफल हो सकता है? हां, बिलकुल। हालांकि उसके पास यह सफलता अधिक समय तक रहती नहीं है. 

कॉलिन्स की महान कंपनियों का नेतृत्व उन्होंने "लेवल फाइव लीडर्स" बनाया था. इस प्रकार के नेता एक प्रोफेशनल दृढ़ता के साथ जबरदस्त व्यक्तिगत विनम्रता को बरकरार रखते हैं. वे अपनी वाहवाही की तलाश में नहीं रहते हैं, वे कंपनी की सफलता चाहते हैं. अक्सर सफलता का श्रेय अपनी टीमों को देते हैं, लेकिन असफलताओं की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं. अब्राहम लिंकन, प्रसिद्ध निवेशक वॉरेन बुफे को कॉलिन्स ने लेवल 5 लीडर्स के कुछ उदाहरणों में रखा है. कॉलिन्स की किताब में कुल 9 चैप्टर हैं. जिनमें लेवल 5 लीडरशिप के अलावा फर्स्ट हू, देन व्हाट; हेजहॉग कॉन्सेप्ट; कंफ्रंट दी ब्रुटल फैक्ट्स; अ कल्चर ऑफ़ डिसप्ली जैसे कई और टॉपिक रखे गए हैं. 

निष्कर्ष

किताब आखिर में इस नतीजे पर पहुंचाती है कि सबसे प्रभावी नेता अहंकारी की तुलना में अधिक विनम्र होते हैं. बतौर एक लीडर आपकी टीम में कौन है, यह आपकी सफलता का एक अभिन्न हिस्सा है. चीजों को सरल रखना और हर किसी के लिए खुद को साबित करते रहने से अच्छा है अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित करना. सफलताएं रातों-रात नहीं मिलती हैं, लेकिन लंबे समय तक और लगातार प्रयास करने से जरूर सफलता मिलती है. चाहे आप किसी प्रोफेशन में हों या सरकारी काम में या गैर-लाभकारी संगठन में हों, यह किताब आपको और अधिक सफल बनने के लिए अपने कामों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती है.