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अपने छोटे भाई की लाश कंधे पर टांगे दाह संस्‍कार की कतार में खड़ा वह बच्‍चा

जब दाह-संस्कार गृह के कर्मचारियों ने उसके भाई का शव उससे लेकर चिता पर रखा, वह चुपचाप देखता रहा. उसने अपने निचले होंठ को इतनी जोर से दबाया हुआ था कि उससे खून रिसने लगा था.

अपने छोटे भाई की लाश कंधे पर टांगे दाह संस्‍कार की कतार में खड़ा वह बच्‍चा

Saturday July 23, 2022 , 3 min Read

अपने खींचे इस ऐतिहासिक फोटोग्राफ की डीटेल्स बताते हुए फोटोग्राफर जो ओ’डोनेल ने

बताया था –

“मैंने एक दस साल के बच्चे को नजदीक से गुजरता देखा. उसकी पीठ पर एक बच्चा था. अपने छोटे भाई-बहनों को पीठ पर लादे खेलों में मशगूल बच्चों को देखना उन दिनों जापान में आम दृश्य हुआ करता था. लेकिन यह बच्चा अलग था. मैं देख सकता था कि वह वहां किसी गंभीर मकसद से आया था. वह नंगे पैर था. उसका चेहरा कठोर था. पीठ पर लदे बच्चे का सर पीछे को ढुलका हुआ था, जैसे वह थककर सो गया हो. बच्चा वहां पांच से दस मिनट खड़ा रहा. फिर वहां मौजूद सफ़ेद मास्क पहने आदमी उसके करीब आये और उस रस्सी को खोलने लगे, जिससे बच्चे को बांधा गया था. तब मैंने देखा कि बच्चा मरा हुआ था.”

1945 में अमेरिका ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर एटम बम से हमला किया था. कुल ढाई लाख मारे गए थे जिनमें से ज्यादातर निर्दोष नागरिक थे. अमरीकी मिलिट्री ने एटमी हमले के प्रभावों को कैमरे में बाकायदा दर्ज करने के काम के लिए जो ओ’डोनेल को विशेष रूप से भेजा था. ओ’डोनेल ने सात महीनों तक इन दो अभागे नगरों के आसपास रहते हुए मृत्यु के खौफनाक दृश्यों के असंख्य फोटो खींचे. उनमें से यह एक फोटो सबसे अलग और महत्वपूर्ण बना.

इस बच्चे का नाम किसी भी रिकॉर्ड में नहीं मिलता. फोटो में वह नागासाकी के सामूहिक दाह-संस्कार गृह में लगी कतार में खड़ा है. किसी फ़ौजी की तरह सावधान की मुद्रा में खड़े रह कर उसने चुपचाप अपनी बारी का इन्तजार किया. जब दाह-संस्कार गृह के कर्मचारियों ने उसके भाई का शव उससे लेकर चिता पर रखा, वह चुपचाप देखता रहा. जलती चिता को देखते हुए उसके चेहरे पर तनाव था, जिसके आंसुओं में बदल जाने से बचाने के उद्देश्य उसने अपने निचले होंठ को इतनी जोर से दबाया हुआ था कि उससे खून रिसने लगा था.

ओ’डोनेल कहते हैं – “चिता की लपटें इतनी नीची थीं जैसे सूरज ढल रहा हो.”

संभवतः बच्चे का सब कुछ नष्ट हो चुका था - घर, माँ-बाप, भाई-बहन-रिश्तेदार. जब उसका भाई राख में बदल गया वह पलटा और वहां से चला गया.

एक शर्मनाक और पराजित समय में पराजित हो चुकी मानवता की प्रतिनिधि तस्वीर बन चुका यह अनाम बच्चा आपसे मोहब्बत और आदर दोनों की मांग करता है.

ज़रा उसकी आँखें देखिये! सीधी रीढ़ वाला यह अकेला, अनुशासित और मजबूत बच्चा पिछले सत्तर सालों का समूचा जापान है, जिसकी तरक्की की मिसाल देते आप थकते नहीं.


Edited by Manisha Pandey