इंटरनेट को महिलाओं के लिए सुरक्षित कैसे बनाएं ?
सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्पेस महिलाओं के लिए कैसे सुरक्षित बने. योर स्टोरी हिंदी ने इसी विषय पर देश-दुनिया की कुछ जानी-मानी महिलाओं से बात की.
कुछ दिन पहले रॉयटर्स में फेसबुक की मदर कंपनी मेटा की इंटर्नल रिपोर्ट आई थी. रिपोर्ट यह थी कि ऑनलाइन अब्यूज के चलते बड़ी संख्या में महिलाएं फेसबुक से दूरी बना रही हैं. रिपोर्ट में सही संख्या तो नहीं बताई थी, लेकिन फेसबुक ने इस पर चिंता जाहिर की थी कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के फेसबुक से छिटकने का अर्थ है कि उसका पहले से बिगड़ा हुआ जेंडर अनुपात और बिगड़ जाएगा. भारत में फेसबुक का जेंडर अनुपात 70:30 का है यानि 70 फीसदी पुरुष और सिर्फ 30 फीसदी महिलाएं. महिलाएं पहले ही कम हैं और अब और कम होती जा रही हैं.
रिपोर्ट में इसकी जो वजह बताई गई है, वह और भी चिंताजनक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाएं अपनी सुरक्षा और प्रायवेसी को लेकर चिंतित हैं. वह इस खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करतीं. उन्हें ऑनलाइन अब्यूज, ट्रोलिंग, स्टॉकिंग का डर रहता है.
प्लान इंटरनेशनल की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 60 फीसदी लड़कियां और महिलाएं ऑनलाइन अब्यूज का शिकार होती हैं. दुनिया में हर पांचवी लड़की ऑनलाइन अब्यूज, पुरुषों की गालियों, अश्लील टिप्पणियों और अभद्र व्यवहार के कारण सोशल मीडिया से किनारा कर लेती है.
2020 में इस फेहरिस्त में पहला नंबर फेसबुक का था, जहां 39 फीसदी लड़कियों ने अब्यूज की शिकायत दर्ज की. इंस्टाग्राम पर 23 फीसदी, व्हॉट्सऐप्प पर 14 फीसदी, स्नैपचैट पर 10 फीसदी और ट्विटर पर 9 फीसदी महिलाओं ने अब्यूज की शिकायत दर्ज की.
इंटरनेट और सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का इतना अभिन्न अंग बन चुका है कि इसके बिना पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन की कल्पना करना मुश्किल है. अब्यूज की वजह से सोशल मीडिया से दूरी बना लेना कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस स्पेस को महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षित कैसे बनाया जाए.
योर स्टोरी हिंदी ने इसी विषय पर देश-दुनिया की कुछ जानी-मानी महिलाओं से बात की, जो सोशल मीडिया में काफी सक्रिय हैं और अपने स्तर पर महिलाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. इस पैनल में SheWorks की फाउंडर पूजा बांगड़, Deutsche Welle Asia की एडीटर आकांक्षा सक्सेना और योर स्टोरी की कम्युनिटी मैनेजर देवलीना कॉलिशॉ शामिल थीं.
आप वह पूरी बातचीत ऊपर वीडियो में देख सकते हैं.
उस बातचीत में एक जो कॉमन बात निकलकर आई, वह यह थी कि ऑनलाइन अब्यूज का अनुभव तकरीबन हर स्त्री का एक जैसा है. चाहे वह एक सफल स्टार्टअप की फाउंडर हो, चाहे इंटरनेशनल मीडिया ऑर्गेनाइजेशन में एडीटर या फिर योर स्टोरी की कम्युनिटी मैनेजर. प्रोफेशनली सफल और मुखर होने के बावजूद हर महिला को किसी-न-किसी रूप में इस तरह के बुरे अनुभव से गुजरना ही पड़ता है. पैनल में मौजूद सभी महिलाओं ने कहा कि वह अपने निजी जीवन में ऐसी एक भी स्त्री या महिला को नहीं जानतीं, जो इस तरह के अब्यूज के अनुभव से न गुजरी हो.
SheWorks की फाउंडर पूजा बांगड़ ने कहा कि जैसे ही आप इंस्टाग्राम या फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो पर्सनल मेसैजेज की बाढ़ आ जाती है. लोगों में यह फिल्टर भी नहीं है कि आप किसे पर्सनल मैसेज भेज सकते हैं और किसे नहीं. वह लिंकडेन पर अपने साथ हुआ एक अनुभव साझा करती हैं. लिंकडेन जैसे प्रोफेशनल नेटवर्किंग सोशल मीडिया स्पेस में एक बड़ी कंपनी में काम कर रहा व्यक्ति उनसे इस बहाने से जुड़ा कि वह अपनी कंपनी में जेंडर डायवर्सिटी चाहता है. इसलिए SheWorks के साथ मिलकर काम करना चाहता है. शुरुआती प्रोफेशनल बातचीत के बाद उसका रुख ही बदल गया और वह पर्सनल मैसेजज करने लगा.
जाहिर है, पूजा ने प्रोफेशनल स्पेस में अनप्रोफेशनल बातें कर रहे उस व्यक्ति को ब्लॉक कर दिया, लेकिन इस तरह के अनुभव महिलाओं को जरूरत से ज्यादा सजग रहने को मजबूर करते हैं. हर वक्त उनका एंटीना तना रहता है और फिल्टर्स ऑन रहते हैं. हर वक्त इस तरह के तनाव में रहना भी हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला होता है.
क्या इंटरनेट को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए हमें विमेन ओनली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जरूरत है? इस सवाल के जवाब में Deutsche Welle Asia की एडीटर आकांक्षा सक्सेना कहती हैं कि वो सोशल मीडिया पर ऐसे कई समूहों का हिस्सा हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए है. पाकिस्तान में एक ऐसा विमेन ओनली ग्रुप है, जो बहुत साहस के साथ और बेलाग ढंग से महिलाओं से जुड़े सवालों पर बातचीत करता है. आकांक्षा कहती हैं कि हमें दोनों तरह के स्पेस की जरूरत है. बहुत सी ऐसी बातें हैं, जो मैं सिर्फ महिलाओं के बीच करने में ही ज्यादा सुरक्षित महसूस करूंगी. लेकिन प्रोफेशनल स्पेस में महिला-पुरुष दोनों का साथ होना जरूरी है.
देवलीना कॉलिशॉ भी आकांक्षा की इस बात से इत्तेफाक रखते हुए कहती हैं कि बात ये है कि अगर बॉयज क्लब है, जो सिर्फ पुरुषों के लिए है तो फिर विमेन ओनली क्लब क्यों नहीं हो सकता. और यह होना ही चाहिए क्योंकि एक औरत ही दूसरी औरत की सोच और भावनाओं के साथ जुड़ सकती है और उसे महसूस कर सकती है.
तकरीबन 40 मिनट लंबी इस पूरी बातचीत का सार यह रहा कि औरतों को अब्यूज से डरकर पीछे हटने की जरूरत नहीं है. उन्हें ज्यादा सावधान, सजग होने, अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने और पर्सनल और प्रोफेशनल स्पेस में ज्यादा ताकतवर होने की जरूरत है ताकि कोई अनुभव या घटना होने पर वह डरने और पीछे हटने की बजाय उसका मुकाबला कर सकें और डटकर जवाब दे सकें.
यह पूरी बातचीत आप ऊपर दिए गए वीडियो में सुन सकते हैं.
Edited by Manisha Pandey