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हैदराबाद की कंपनी ने पेश किए 'अनोखे' कप, चाय/कॉफी पीने के बाद पेट भरने के आएंगे काम

हैदराबाद की कंपनी ने पेश किए 'अनोखे' कप, चाय/कॉफी पीने के बाद पेट भरने के आएंगे काम

Thursday March 12, 2020 , 3 min Read

अक्सर चाय, कॉफी, ज्यूस या कोई भी पेय पदार्थ पीने के बाद उसका कप या गिलास खराब हो जाता है और उसे फेंकना पड़ता है। अधिकतर ऐसे कप/गिलास प्लास्टिक के होते हैं और इस कारण ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं। बस इसी परेशानी को दूर करने के लिए हैदराबाद की एक कंपनी ने 'अनोखा' कप बनाया है। अनोखा इसलिए क्योंकि काम में लेने के बाद इस कप को फेंकने की जरूरत नहीं होती है और इसे खाया जा सकता है। इस अनोखे कप का नाम 'ईट कप' है।


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फोटो क्रेडिट: TheFinancialExpress



'ईट कप' को हैदराबाद की एक कंपनी Genomelabs ने तैयार किया है। प्राकृतिक अनाज उत्पादों से बने इस कप को इस्तेमाल में लेने के बाद फेंकने के बजाय आप खा सकते हैं। यह एकदम कुरकुरा और स्वादिष्ट होता है। यह कप फाइबर से भरपूर है और इस कारण सेहत के लिए फायदेमंद भी है। इसमें चाय/कॉफी जैसे गर्म, ज्यूस/सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे ठंडे पेय पदार्थों के अलावा दही और डेजर्ट भी परोसा जा सकता है। यह एक एडिबल कप है।


इसकी खासियत यह है कि इसमें परोसे गए ड्रिंक का स्वाद नहीं बदलता है और पहले जैसे स्वाद के साथ ही ड्रिंक का आनंद लिया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि पेय पदार्थ डालने के बाद भी यह कप मुलायम नहीं होता है और लगभग 40 मिनट तक क्रिस्पी बना रहता है।


कंपनी के मुताबिक, इस कप को बनाने का उद्देश्य प्लास्टिक कचरा कम करना और इकोफ्रेंडली चीजों के उपयोग को बढ़ावा देना है। कंपनी के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर सुरेश राजू का कहना है कि यह प्लास्टिक और पेपर से बनने वाले कपों और गिलासों का विकल्प है। यह एकदम प्राकृतिक है और इकोफ्रेंडली है।


न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सुरेश राजू कहते हैं, 'हम सभी को अपने जीवन से प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा और इसे किसी दूसरे साधन से रिप्लेस करना होगा। इसमें सभी को योगदान देना होगा। एक रिसर्च कंपनी होने के नाते हम भी इसमें भाग लेना चाहते हैं और इस अच्छे बदलाव का हिस्सा होना चाहते हैं। अगर हम प्लास्टिक को रिप्लेस कर सकें तो यह पर्यावरण के लिए काफी अच्छा होगा।'

लगभग दो साल पहले बुल्गारिया के एक स्टार्टअप ने ऐसा कप बनाया था। Cupffee नाम का यह वेफर कप अनाज के दानों से बना था। यह एक घंटे तक क्रिस्पी बना रहता है और पेय पदार्थ का स्वाद नहीं बदलता। स्टार्टअप का कहना है कि हर साल लगभग 120 बिलियन कप फेंके जाते हैं।


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फोटो क्रेडिट: indiatoday


यह स्टार्टअप प्लास्टिक और पेपर से बने कपों पर निर्भरता कम करने के लिए इस कॉन्सेप्ट पर पिछले 15 सालों से काम कर रहा था। यह कंपनी अपने इस खास कप में निवेश करने के लिए इन्वेस्टर खोज रही है।

समय-समय पर कई कंपनियों ने ऐसे कपों पर काम करना शुरु किया। पिछले साल दिसंबर में न्यूजीलैंड राष्ट्रीय एयरलाइन ने भी कहा था कि वह अपने प्लेनों में कचरे को कम करने के लिए एडिबल कपों का ट्रायल कर रही है। ये कप न्यूजीलैंड की स्थानीय कंपनी Twiice ने बनाए और ये वनीला फ्लेवर के बिस्किट से बने थे। इसका आइडिया एयरलाइन को यात्रियों से आया था। कई यात्रियों ने एयरलाइन से प्लास्टिक कप का विकल्प खोजने के लिए कहा ताकि बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए एडिबल कप से ड्रिंक्स का आनंद लिया जा सके।