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एल नीनो से लेनी चाहिए भारतीय कृषि को सीख

एल नीनो की वजह से उत्‍पन्‍न हुई बाधाओं के बावजूद, यह किसानों के लिए उन विकल्‍पों का पता लगाने का एक अच्‍छा अवसर है, जो केवल मानसून पर निर्भर नहीं हैं.

एल नीनो से लेनी चाहिए भारतीय कृषि को सीख

Saturday October 28, 2023 , 5 min Read

जैसे-जैसे मानसून भारत से विदा ले रहा है, हम सब राहत की सांस ले रहे हैं. अननीनो का मंडराता खतरा धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है क्‍योंकि देश में बारिश की कमी घटकर अब केवल 5 प्रतिशत रह गई है. हालांकि हम अभी भी 'सामान्‍य से कम' मानसून का सामना कर रहे हैं, अलनीनो के कारण पहले जो सूखा पड़ने का खतरा था उसकी तुलना में यह एक उल्‍लेखनीय सुधार है.

निस्‍संदेह, मानसून भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को गति देने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है. क्‍योंकि देश के उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक में भोजन का हिस्‍सा 50 प्रतिशत है. कमजोर या कम मानसून निश्चित रूप से फसल उत्‍पादन में कमी और मुद्रास्‍फ‍ीति में वृद्धि का कारण बनता है. हालांकि, अलनीनो से उत्‍पन्‍न चुनौतियों ने हमें कई मूल्‍यवान सबक दिए हैं, जो भारतीय कृषि के भविष्‍य की नई दिशा तय करेंगे. एल नीनो की वजह से उत्‍पन्‍न हुई बाधाओं के बावजूद, यह किसानों के लिए उन विकल्‍पों का पता लगाने का एक अच्‍छा अवसर है, जो केवल मानसून पर निर्भर नहीं हैं.

यहां वो तीन प्रमुख सबक हैं, जो हमने एल नीनो के प्रभाव से सीखे हैं: 

1. जलवायु-अनकूल फसलों को अपनाना

गेहूं और धान जैसी प्रमुख फसलें, जो भारतीय आहार का मूल आधार हैं, बेहतर विकास के लिए पर्याप्‍त वर्षा पर निर्भर रहती हैं, जबकि दालों की खेती मुख्‍यरूप से वर्षा आधारित क्षेत्रों में ही की जाती है. मानसून की शुरुआत के साथ ही देश में खरीफ फसलों की बुआई शुरू हाती है, फसल की पैदावार सीधे तौर पर वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है. हालांकि, अनियमित मौसम का मिजाज इस कृषि चक्र को प्रभावित कर रहा है, जिसका उदाहरण इस साल टमाटर के सामने खड़ी हुई चुनौती है. ऐसे में किसानों के लिए उच्‍च मूल्‍य वाली सब्जियों और बाजरा जैसी कठोर फसलों जैसी जलवायु-अनुकूल फसलों की ओर रुख करना जरूरी है. बाजरा, अंतरराष्‍ट्रीय मिलेट वर्ष कार्यक्रम, एक कम सिंचाई वाला विकल्‍प प्रदान करता है. सरकार पहले से ही विभिन्‍न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्‍यम से इस बदलाव को बढ़ावा दे रही है. जोखिम कम करने के लिए किसानों को मानसून के समय के आधार पर अपने फसल चक्र को तैयार करना चाहिए.

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सांकेतिक चित्र

2. कृषि संबंद्ध क्षेत्रों में विविधीकरण

कोविड-19 महामारी के दौरान संबंद्ध क्षेत्रों द्वारा विकास और लचीलापन विविधीकरण की जरूरत पर प्रकाश डालता है. सरकारी आंकड़ों (आर्थिक सर्वेक्षण) के अनुसार, पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य पालन जैसे क्षेत्रों में लगातार वृद्धि देखी गई है और ये किसान परिवारों के लिए आय के स्थिर स्रोत साबित हुए हैं, जो उनकी औसत मासिक कमाई में 15 प्रतिशत का योगदान देते हैं. इन क्षेत्रों में विविधता लाने से किसानों को अतिरिक्‍त आय के साधन मिल सकते हैं और समग्र स्थिरता में वृद्धि हो सकती है.    

3. कृषि तकनीक को अपनाना

कृषि प्रौद्योगिकी (कृषि तकनीक) को अपनाने से खाद्य मूल्‍य श्रृंखलाओं के भीतर उत्‍पादकता और लाभप्रदता नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो सकती है. कृषि तकनीक समय पर मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करता है, जिससे एल नीनो के कारण अनियमित वर्षा पैटर्न के दौरान सक्रिय फसल प्रबंधन संभव हो जाता है. स्‍मार्ट सिंचाई प्रणालियां पानी के उपयोग को अनुकूलित करती हैं, विशेषरूप से एल नीनो की वजह से उत्‍पन्‍न सूखे के दौरान महत्‍वपूर्ण है. उन्‍नत सेंसर्स और ड्रोन फसल के स्‍वास्‍थ्‍य की निगरानी करते हैं, जिससे किसानों को तनाव कम करने के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद मिलती है. जलवायु-अनुकूल फसलों की जानकारी किसानों को एल नीनो प्रभाव के प्रति कम संवेदनशील किस्‍मों को चुनने में मार्गदर्शन करती है. उन्‍नत बाजार की जानकारी और डिजिटल वित्‍तीय समावेशन किसानों को चुनौतीपूर्ण समय में जोखिमों के प्रबंधन और बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुकूल ढलने में सहायता करते हैं. कृषि तकनीक समाधान बुआई से पहले की अच्‍छी कृषि पद्धतियों, नुकसान को कम करने के लिए फसल कटाई के बाद की पद्धतियों, वास्‍तविक समय में फसल की निगरानी और समय पर हस्‍तक्षेप जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों का समाधान कर सकते हैं. सबसे महत्‍वपूर्ण बात विभिन्‍न क्षेत्रों के किसानों के लिए प्रासंगिक सेवाओं को सुलभ बनाने का समन्वित प्रयास करना है.

निष्‍कर्ष के तौर पर, जैसे-जैसे हम एल नीनो के खतरे को कम होता देख रहे हैं और सितंबर के अंत तक पहुंच रहे हैं, कृषि जगत भी राहत की सांस ले रहा है. एल नीनो के कारण सूखा पड़ने की पूर्व आशंकाओं के बावजूद वर्षा की कमी को प्रबंधनीय 7 प्रतिशत तक कम करना एक महत्‍वपूर्ण सकारात्‍मक बदलाव है. निस्‍संदेह, भारत के आर्थिक तानेबाने में मानसून की महत्‍वपूर्ण भूमिका है, जहां खाद्य पदार्थ उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक में 50 प्रतिशत की महत्‍वपूर्ण हिस्‍सेदारी रखते हैं, अनियमित मौसम पैटर्न को अपनाने की जरूरत पर जोर देता है.

एल नीनो द्वारा प्रस्‍तुत परीक्षण अमूल्‍य सबक देते हैं, जो फसलों में विविधता लाने, जलवायु-अनुकूल किस्‍मों को अपनाने और कृषि तकनीक समाधानों को एकीकृत करने की तत्‍काल जरूरत पर बल देते हैं. यह समय किसानों को विकल्‍प तलाशने के लिए एक उपयुक्‍त अवसर प्रदान करता है, जो भारत में अधिक लचीला और टिकाऊ कृषि भविष्‍य सुनिश्‍चित करता है- जो अनुकूलनशीलता और नवाचार के साथ जलवायु पैटर्न में बदलाव से उत्‍पन्‍न चुनौतियों का सामना भलिभांति कर सकता है.

(लेखक Gram Unnati के फाउंडर और सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)

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Edited by रविकांत पारीक