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विरासत में मिले 140 साल पुराने रबड़ी के बिजनेस को चला रही है चौथी पीढ़ी की बेटी, महीने में कमाती है लाखों रुपए

राजस्थान राज्य के जयपुर शहर की करीब हर गली में आपको महावीर नाम से रबड़ी भंडार नाम की कोई न कोई दुकान मिल ही जाएगी। लेकिन, वास्तविकता में मूल दुकान है इस शहर में बने हवा महल के पास। यह दुकान आज भी उतनी ही छोटी है जितनी 140 साल पहले हुआ करती थी।

विरासत में मिले 140 साल पुराने रबड़ी के बिजनेस को चला रही है चौथी पीढ़ी की बेटी, महीने में कमाती है लाखों रुपए

Saturday April 23, 2022 , 3 min Read

‘अपनी आँखों में शराफत के उजाले रखना,कितना मुश्किल है विरासत को संभाले रखना, अक्ल कहती है कि ये इश्क का जुनू फिजूल है, दिल ये कहता है इस रोग को पाले रखना।’ कुछ ऐसी अपनी विरासत को पाले रखने का जुनून इस लड़की के अंदर भी है जो आज चार पीढ़ी पुराना रबड़ी का व्यापार चला रही हैं।

कभी थी एक छोटी सी दुकान

राजस्थान राज्य के जयपुर शहर की करीब हर गली में आपको महावीर नाम से रबड़ी भंडार नाम की कोई न कोई दुकान मिल ही जाएगी। लेकिन, वास्तविकता में मूल दुकान है इस शहर में बने हवा महल के पास। यह दुकान आज भी उतनी ही छोटी जितनी 140 साल पहले हुआ करती थी। हवा महल के पास मिश्रा राजाजी की गली में स्थित इस दुकान की शुरुआत भले ही एक छोटी सी दुकान के रूप में हुई हो लेकिन वर्तमान समय में यह दुकान अपने आप में किसी ब्रांड से कम नहीं है।  

महावीर रबड़ी भंडार

महावीर रबड़ी भंडार

राजस्थानी खाने का हर कोई दीवाना

अगर आप घूमने के शौकीन हैं और कभी राजस्थान की ट्रिप पर जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इस राज्य की कला, संस्कृति के अलावा यहां का खान -पान भी उतना ही मशहूर है जितना कि यहां की पुरानी इमारतें। इस शहर में घूमने आया कोई भी शख्स बिना राजस्थानी थाली या फिर मिठाईयों का स्वाद लिए बगैर वापस नही लौट सकता है। शुद्ध देशी घी में तैयार होने वाले व्यंजनों का स्वाद हर किसी को अपना दीवाना बना ही देता है।

दादा ने की थी शुरुआत, पोती बढ़ा रही हैं कारवां

महावीर रबड़ी भंडार की शुरुआत आज से करीब 14 दशक पहले अखाड़ा चलाने वाले पहलवान कपूरचंद्र ने की थी। वैसे तो कपूरचंद्र इलाके के जाने-माने पहलवान थे ही लेकिन अपने खिलाने-पिलाने के शौक के कारण उन्होंने पहलवानी छोड़ रबड़ी का व्यापार शुरू करना ज्यादा मुनासिब समझा। इस काम की शुरुआत दही और रबड़ी बेचने से हुई थी जो धीरे-धीरे गुलाब जामुन और दूसरी अन्य मिठाइयों में जाकर बदल गया।

कपूरचंद्र पहलवान के इसी काम को आज उनकी पोतियां आगे बढ़ाने में लगी हुई हैं। जिसमें सीमा बड़जात्या की अग्रिम भूमिका है। सीमा अपनी बेटी अमृता जैन व पति अनिल बड़जात्या के साथ मिलकर इस काम को संचालित कर रही हैं।

महावीर रबड़ी भंडार

खाना पकाने के शौक ने बना दिया उद्यमी

अमृता को अपने पिता की तरह बचपन से ही खाना पकाने का शौक था। इस शौक के कारण वह इस व्यापार से करीब 15 साल पहले जुड़ी थीं। अमृता ने मिठाई के साथ थाली और दूसरे राजस्थानी व्यजनों में अन्य मेन्यू भी बढ़ाए। इसमें आलू प्याज की सब्जी, बेजड़ रोटी आदि शामिल हैं।

एक इंटरव्यू के दौरान वह कहती हैं, “मेरे पिताजी को भी दादाजी की तरह ही खाना बनाने और खिलाने का काफी शौक है। उनके हाथों से बनी लाजवाब सब्जी सभी के दिलों -दिमाग में बस चुकी है। इसलिए जब मेरे माता-पिता इस बिज़नेस से जुड़े तो उन्होंने आलू प्याज की सब्जी, बेजड़ की रोटी, मिर्ची के तकोरे और लहसुन की चटनी के साथ पारम्परिक रबड़ी आदि मिलाकर एक थाली तैयार की। जो आपको 80 रुपये से लेकर 200 रुपये में मिल सकती है। यानी हर तबके को ध्यान में रखते हुए यह थाली तैयार की गई है।”


Edited by Ranjana Tripathi