नये साल में रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश पांच प्रतिशत बढ़कर 6.5 अरब डॉलर रहने का अनुमान: रिपोर्ट
घरेलू रियल एस्टेट क्षेत्र में इस साल निवेश पांच प्रतिशत बढ़कर 6.5 अरब डॉलर यानी करीब 46 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इसकी मुख्य वजह सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों की अपने कार्यस्थल के लिये बढ़ती मांग होगी।
संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली वैश्विक कंपनी कोलियर्स ने यह अनुमान व्यक्त किया है। कंपनी के अनुसार, 2019 में विदेशी कंपनियों ने कार्यालय स्थल की व्यापक खरीद की, जिसके कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश 2018 की तुलना में 8.7 प्रतिशत बढ़कर 6.2 अरब डॉलर रहा। इसमें विदेशी निवेशकों का करीब 78 प्रतिशत योगदान रहा।
कोलियर्स के अनुसार, 2008 से अब तक भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में 56.6 अरब डॉलर यानी 4,10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया,
‘‘2019 में रियल एस्टेट क्षेत्र में 6.2 अरब डॉलर यानी 43,780 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। कोलियर्स को 2020 में भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में 6.5 अरब डॉलर के निवेश आने का अनुमान है।’’
कंपनी का मानना है कि अगले तीन साल तक निवेशक व्यावसायिक संपत्तियों में निवेश करते रहेंगे। वर्ष 2020 में रियल एस्टेट क्षेत्र में आने वाले निवेश में व्यावसायिक दफ्तरों की करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रह सकती है। वर्ष 2019 में इनकी हिस्सेदारी 46 प्रतिशत यानी 2.8 अरब डॉलर की रही।
कंपनी ने कहा कि रेरा, माल एवं सेवा कर (जीएसटी), दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) और विदेशी निवेश के प्रावधानों को आसान करने से निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है।
मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के साथ, बेंगलुरु को सबसे आकर्षक बाजारों में रैंक देना जारी रखना चाहिए। 2020-2023 के दौरान, कोलियर्स ने शीर्ष सात शहरों में 52 मिलियन वर्ग फुट पर वार्षिक औसत सकल अवशोषण का अनुमान लगाया, जो पिछले पांच वर्षों के सकल अवशोषण को 12 प्रतिशत से पार कर गया।
जारी आर्थिक मंदी के बावजूद, विदेशी फंडों को भारतीय रियल्टी में मजबूत पैर जमाने की संभावना है।
आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।
(Edited by रविकांत पारीक )