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कुएं खोदकर बेंगलुरू को जल संकट से बाहर निकाल रहा यह एनजीओ

कुएं खोदकर बेंगलुरू को जल संकट से बाहर निकाल रहा यह एनजीओ

Monday March 11, 2019 , 3 min Read

कुएं


पूरी दुनिया जल संकट की त्रासदी से जूझ रही है। दुनिया के कई शहरों में तो हालत ये हो गई है कि लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। इन शहरों में 'डे जीरो' घोषित करना पड़ रहा है। साउथ अफ्रीका के केपटाउन शहर में ऐसी ही स्थिति आ गई थी। इसे दुनिया के 11 शहरों के साथ डे जीरो घोषित कर दिया गया। यह स्थिति तब आती है जब शहर के सारे टैप सूख जाते हैं और उनमें पानी नहीं निकलता। हालांकि तमाम प्रयासों के बाद केपटाउन में पानी की सप्लाई फिर से चालू हो गई, लेकिन भारत के कई शहर ऐसे हैं जहां कभी भी डे जीरो जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं।


फिलहाल भारत में अगर सबसे ज्यादा जल संकट से जूझने वाले शहरों की बात की जाए तो बेंगलुरु का नाम सबसे ऊपर आएगा। गार्डेन सिटी के नाम से मशहूर बेंगलुरू में पानी की इतनी ज्यादा कमी है कि यहां कभी भी डे जीरो जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं। इस शहर में लोगों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इस वजह से पानी की समुचित आपूर्ति नहीं हो पाती। हालांकि बेंगलुरू के लोगों को खुशकिस्मत समझना चाहिए कि उनके शहर में कुछ ऐसे लोग हैं जो शहर के जलसंकट को लेकर न केवल सोच रहे हैं बल्कि जमीन पर अच्छा काम भी कर रहे हैं।


'बेंगलुरू के लिए दस लाख कुएं' नाम से चल रही इस पहल को बायोम इनवायरमेंटल ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस आंदोलन का उद्देश्य बारिश के पानी को आने वाले कल के लिए संरक्षित करना है। पानी को संरक्षित करने के साथ ही ये संस्था कर्नाटक की मन्नू वड्डार्स समुदाय के लोगों को भी काम मुहैया करा रही है जो कुएं खोदने के काम में परंपरागत रूप से संलग्न रहते हैं। इस समुदाय के पूर्वज गुजरात से लेकर कर्नाटक तक झील और कुएं खोदने का काम करते आए हैं।


कुएं खोदने के इस प्रॉजेक्ट से जुड़े एस. विश्वनाथ कहते हैं, 'मशीन और तकनीक आने के बाद परंपरागत तरीके से कुएं खोदने का काम बंद हो गया। अब तो कुएं भी नहीं खोदे जाते इसलिए मन्नु वड्डार समुदाय के लोगों को काम मिलना बंद हो गया और उनकी आजीविका प्रभावित हुई। हमारा मकसद इस समुदाय के लोगों को आजीविका भी उपलब्ध कराना है।'


अब तक इस समुदाय ने बेंगलुरू में एक लाख से भी ज्यादा कुएं खोदे हैं। इन कुओं को रीचार्ज पिट के तौर पर उपयोग किया जाता है। केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर, व्हील एक्लस प्लांट, कबन पार्क, आईआईएम बेंगलुरु, धोबी घाट और इंदिरानगर पार्क में कुएं खोदे गए हैं। विश्वनाथ बताते हैं कि अगर बेंगलुरू में दस लाख कुएं खोद दिए जाएं तो शहर में जल संकट की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इतना ही नहीं बारिश में जलभराव जैसी भी समस्या से निजात पा जा सकेगी।


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