Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

‘Hutch’ का गोल्डन कुत्ता, जिसे टीवी पर देखकर लोगों ने लाखों ‘पग’ खरीदे

YourStory हिंदी की सीरीज़ 'प्रचार गाड़ी' (Prachaar Gaadi) में हम आपको बताएंगे इंडिया में बने कुछ ऐसे ऐड्स (ads) की कहानी जो हमें हमेशा के लिए याद रह गए. वो ऐड्स जिन्होंने विज्ञापनों के साथ साथ कंज्यूमर की परिभाषा भी हमेशा के लिए बदल दी. यहां हम आपको बता रहे हैं हच (Hutch) के पग (pug) ऐड की कहानी.

‘Hutch’ का गोल्डन कुत्ता, जिसे टीवी पर देखकर लोगों ने लाखों ‘पग’ खरीदे

Saturday April 01, 2023 , 6 min Read

यू एंड आई, इन दिस ब्यूटीफुल वर्ल्ड. ये लाइन सुनते ही किसी के भी दिमाग में वो पुराने हच वाले विज्ञापन की तस्वीर आ जाएगी. एक बच्चा चलता जा रहा है और एक प्यारा डॉगी हर जगह उसके पीछे पीछे लगा हुआ है. संदेश साफ़ था, जहां जहां आप जाएंगे, हच का नेटवर्क आपके साथ जाएगा.

YourStory हिंदी की सीरीज़ 'प्रचार गाड़ी' (Prachaar Gaadi) में हम आपको बताएंगे इंडिया में बने कुछ ऐसे ऐड्स (ads) की कहानी जो हमें हमेशा के लिए याद रह गए. वो ऐड्स जिन्होंने विज्ञापनों के साथ साथ कंज्यूमर की परिभाषा भी हमेशा के लिए बदल दी.

आज यहां हम आपको बता रहे हैं हच (Hutch) के पग (pug) ऐड की कहानी. हच, जो बाद में वोडाफोन कहलाया और आज आइडिया से मर्जर के बाद Vi कहलाता है.

सबसे पहले थोड़ा सा हच के बारे में जान लेते हैं. हचिनसन वैम्पोआ एक हॉन्ग कॉन्ग बेस्ड कंपनी थी. हचिनसन मैक्स टेलिकॉम लिमिटेड (HMTL) हचिनसन वैम्पोआ और मैक्स ग्रुप के बीच की साझेदारी से 1992 में बनी. 1994 में ये ब्रांड इंडिया आया. लेकिन इन्हें केवल मुंबई सर्कल का लाइसेंस मिला. 1999 में HMTL दिल्ली पहुंचा.और अगले ही साल कोलकाता और गुजरात पहुंच गया. ये वो दौर था जब इंडिया में मोबाइल फोन इतने पॉपुलर नहीं थे. फोन और नेटवर्क, दोनों ही महंगे होते थे.

HMTL साल 2005 में हचिनसन एसार कहलाने लगा. इसी बीच मोबाइल लोगों के हाथों में खूब दिखने लगे. हच भी देश भर में एक्सपैंड करना चाहता था. और यही वो वक़्त था जब हच ने फैसला लिया एक ऐसा ऐड कैंपेन बनाने का जो उनको उनके कंपेटिटर्स के बीच अलग पहचान दिलाए.

इकनॉमिक टाइम्स से हुई बातचीत में ओग्लीवी एंड मैदर के क्रिएटिव डायरेक्टर राजीव राव बताते हैं कि ऐड को बनाने के पहले उनका ब्रीफ छोटा सा था. एक ऐसा ऐड बनाना जो हच के बढ़ते नेटवर्क की कहानी कहे.

ओग्लीवी के दफ्तर में ऐड को लेकर खूब चर्चा हुई. जिसके बाद एक आइडिया निकलकर आया. कि एक लड़का है जिसकी बहन हर जगह उसके साथ साथ जाती है. लड़के का अर्थ होगा कस्टमर और बहन का अर्थ होगा नेटवर्क. मगर तमाम डिस्कशन, या यूं कहें कि ब्रेनस्टॉर्मिंग के बाद ये तय हुआ कि बहन की जगह एक कुत्ता रखना चाहिए. इसकी एक वजह ये थी कि कुत्ता क्यूट होता है. दूसरा ये कि कुत्ते की वफादारी के बारे में सभी जानते हैं. तीसरा ये कि एक कुत्ते का प्रेम हमेशा निस्वार्थ होता है.

उस वक़्त ओग्लीवी की नेशनल ब्रांड हेड रहीं रेणुका जयपाल इकोनॉमिक्स टाइम्स से हुई बातचीत में बताती हैं कि वो हचिंसन मैक्स के हेड असीम घोष से ऐड का आइडिया शेयर कर रहो थीं. आइडिया सुनने के बाद घोष ने पूछा कि क्या उस बच्चे का मतलब हमारे 10 लाख कस्टमर और वो छोटा सा कुत्ता हमारा 10 लाख डॉलर का इन्वेस्टमेंट है? जब रेणुका ने हां कहा तो उन्होंने कहा, इससे पहले कि मैं अपना साहस खो दूं, तुम इस कमरे से निकल जाओ. और बस ये ऐड किसी तरह बना दो.

जब ऐड के लिए कुत्ता चुनने की बात आई, तो ऐड मेकर्स ने तय कर लिया कि लैब्राडोर या रिट्रीवर नहीं कास्ट करेंगे. क्योंकि ये ब्रीड्स इंडिया में पहले ही बहुत कॉमन थीं. फिर एक फॉक्स टेरियर फाइनल हुआ. लेकिन ऐन वक़्त कुछ मुश्किल आ गई और अंततः फाइनल हुआ चीका. चीका द पग न सिर्फ हच का ब्रांड फेस बनने वाला था, बल्कि इंडिया का नया हीरो भी होने वाला था.

रेणुका जयपाल बताती हैं, उस वक़्त ये एक बहादुरी भरा फैसला था. क्योंकि हम एक कुत्ते को ब्रांड फेस बनाने वाले थे. वो भी एक ऐसे कुत्ते को जो इंडिया में पॉपुलर नहीं था. ये ऐड ट्रेडिशनल एडवरटाइजिंग से एकदम अलग था.

और इसी तरह 2003 में शूट हुआ हच का सबसे मशहूर ऐड. एक नन्हा बच्चा गोवा की सड़कों पर घूम रहा है और कुत्ता उसके पीछे है. बच्चा फुटबॉल खेल रहा है तो कुत्ता तमाम लड़कों के बीच उसके पीछे पीछे भाग रहा है. यहां तक कि जब वो पेशाब करने के लिए रुक रहा है, तब भी वो प्यारा सा कुत्ता उसके साथ खड़ा है. और इस तरह पूरे देश को ये संदेश दिया गया कि आप जहां भी जाएं, हमारा नेटवर्क आपके साथ जाएगा.

अगले 4 साल चीका द पग (Cheeka the pug) हच के साथ रहा. इस बीच हच का ब्रांड कलर ऑरेंज से पिंक हो गया. बल्कि 2007 में हच वोडाफोन में बदल गया, जब वोडाफोन ने हचिन्सन एसार में 67% शेयर्स खरीद लिए. फिर भी कुता ही उनका ब्रांड फेस रहा. हच के वोडाफोन में बदलने के बाद वोडाफोन ब्रांड बिल्डिंग के लिए एक अच्छा ऐड कैंपेन बनाना चाह रहा था. तब एजेंसी के साउथ ऐसा हेड और ऐड गुरु पीयूष पांडे ने कहा कि वे चीका के साथ ही आगे बढ़ेंगे. क्योंकि लोग उससे प्रेम और जुड़ाव महसूस करते हैं. कई साल बाद जब 2016 में वोडाफोन 4G लेकर आया, तब भी एक पग को ही ऐड कैंपेन के लिए लाया गया.

इंडिया टुडे से हुई एक बातचीत में ऐड जीनियस एलीक पदमसी एक बेहद दिलचस्प बात बताते हैं. वे कहते हैं कि पग को असल में एक बदसूरत कुत्ते की तरह देखा जाता आया था. लोग मानते थे कि उसका फेस दूसरे कुत्तों जितना क्यूट नहीं है. इस मामले में भी ये ऐड एक क्रिएटिव विरोधाभास से भरा हुआ था.

इस विरोधाभास की सुंदरता कहें या क्रूरता कि इंडिया में पग अचानक से बिकने लगे. इस ऐड के आने के बाद पग्स के दाम 10,000 से शुरू होकर 60,000 रुपये तक जाने लगे. एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट सवाल उठाने लगे कि पग को इंडिया में इतना प्रोमोट क्यों किया जा रहा है, जबकि पग इंडिया का नेटिव कुत्ता नहीं है और यहां का मौसम उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है. बिज़नस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इंडिया में 50,000 पग्स गैरकानूनी तरीके से इम्पोर्ट किए गए और धड़ल्ले से बेचे गए, बिना इस ब्रीड की ज़रूरतों का ध्यान रखे. 2018 में PETA इंडिया ने वोडाफोन से आधिरिक अपील की. कि वे पग को कास्ट करना बंद कर दें. क्योंकि इंडिया जैसे देश में उन्हें तमाम बीमारियां होने का खतरा रहता है.

पर आप देखिए, ये ऐड हममें से कोई आजतक नहीं भूला है. मोबाइल नेटवर्क के इस ऐड में एक भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं हुआ, फिर भी ये हच और वोडाफोन की शक्ल बन गया.

यह भी पढ़ें
‘Dhara’ का जलेबी ऐड: जब बच्चे जलेबी के लालच में घर छोड़कर भागने लगे
यह भी पढ़ें
पहले ‘Liril’ ऐड की कहानी: जब झरने में नहाती मॉडल को शराब का सहारा लेना पड़ा