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सही दिशा में सही कला: कौन सी पेंटिंग और मूर्तियाँ कहाँ रखें?

वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव के अनुसार गृह सज्जा के हर सामान उनके प्रभाव को ध्यान में रख कर ही सही दिशा में रखना चाहिए। गलत दिशा में रखे प्रतीक और चित्र हमारे जीवन और अंतर्मन में गलत प्रभाव डाल सकते हैं।

सदियों से चित्रों और मुर्तियों का प्रयोग घर-सज्जा में किया जा रहा है। सामान्यतः इसका उपयोग दीवारों को सुन्दर बनाने में और घर में एक नए उत्साह का वातावरण बनाने के लिए किये जाता है। राजा महाराजा और सामान्य जन सभी इन चित्रों और मूर्तियों के दीवाने रहे हैं और ये आकर्षण आज भी है।

वास्तु आचार्य मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि प्रतीकों की एक अलग भाषा है और ये भाषा सीधे हमारे अवचेतन को ब्रह्मांड से जोड़ती है। वास्तुशास्त्र में इनका उपयोग सकरात्मक उर्जा का संचार के लिए किया जाता है। अगर सही प्रतीकों का उपयोग सही दिशा में किया जाये तो हम अपनी इच्छापूर्ती के लिए भी कर सकते हैं।

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सांकेतिक चित्र

तो आइये वास्तु आचार्य से समझते हैं कि घर में मौजूद इन साज-सज्जा की मूर्तियाँ और पेंटिंग्स के लिए सही दिशा क्या है और इनसे किस उद्देश्य की पूर्ती हो सकती है।

गौतम बुद्ध की मूर्ति

गौतम बुद्ध का जीवन और उनकी मूर्ति की भंगिमा मन की शांति और अंतर्मन की यात्रा का प्रतीक है। वास्तु अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा अंतर्मन प्रतिनिधित्व करती है। इस दिशा मैं गौतम बुद्ध की मूर्ति को रखना ये दर्शाता है कि इस घर के वासी शांत-चित्त होकर अपने सम्बन्ध निभाएं और कार्यक्षेत्र में अपने निर्णय शांत-चित्त रहकर करें। गौतम बुद्ध की प्रतीमा तीन तरह की बाज़ार में उपलब्ध है – एक जिसमें भगवान बुद्ध अपने पूर्ण स्वरुप में ध्यानमुद्रा में बैठे हैं, दूसरी जिसमें सिर्फ उनका सिर है और तीसरा जिसमें वे ध्यानरत होकर लेते हुए हैं। इसमें सिर्फ पहली प्रकार की प्रतिमा, जिसमें उनका सम्पूर्ण शरीर ध्यान मुद्रा में है, वास्तु सम्मत है।

सात घोड़ों का चित्र

कई सारे घरों में इस प्रकार का चित्र होता है। कई वास्तु विशेषज्ञ भी इसको लगाने की सलाह देते हैं। पर इस चित्र को कहाँ लगायें जिससे न सिर्फ वास्तु सम्मत हो पर इसके लगाने से जीवन में उन्नति मिले। इस चित्र को लगाने की सही दिशा घर का उत्तर-पश्चिम क्षेत्र है। यहाँ की उर्जाएं हमारे कार्यों में, अधिकारी वर्ग, मित्र वर्ग और रिश्तेदारों से मिलने वाली मदद की द्योतक है। चित्र हमेशा ऐसा लगायें की घोड़े सफ़ेद हों, घर के अन्दर आते हुए दर्शायें जाएँ और पानी में तूफ़ान या बाढ़ नहीं दर्शायी गई हो। क्यूंकि इस चित्र को कई लोग सिर्फ कहीं से पढ़कर ले आते हैं इसलिए इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है।

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सांकेतिक चित्र

गणेशजी की मूर्ति

गणेशजी हम में से कई भारतियों के प्रिय देवता हैं। पश्चिम भारत में तो इनका बहुत अधिक महत्व है। गणपति को यहाँ फॅमिली का हिस्सा माना जाता है और कई घरों में इनकी मूर्तियाँ घर में जगह-जगह रखी जाती है। वास्तु के अनुसार किसी भी भगवान् की मूर्ति का सही स्थान घर का पूजा-घर ही है। बाकी जगह इनको स्थापित करना उपयुक्त नहीं है क्योंकि बाकी जगह इनको इनको उचित सम्मान देना मुश्किल हो जाता है। अगर आप फिर भी इन्हें अन्यत्र रखना चाहें तो बच्चों के स्टडी टेबल पर रख सकते हैं जिससे वे अपने पढाई तल्लीनता से कर सकें।

गीतोपदेश का चित्र

सात घोड़ों के चित्र के साथ ये एक और पेंटिंग या पोस्टर है जो कई घरों में आपको मिलता है। इस चित्र में श्रीकृष्ण, अर्जुन को महाभारत की लड़ाई की प्रष्ठभूमि में दर्शाए जाते हैं। इस चित्र को घर में या तो नहीं लगाना चाहिए या बड़ी सावधानी के साथ सही दिशा में ही लगाना चाहिए।

गीतोपदेश हमारे अंतर्द्वंद को दूर करने की कला और जीवन-शैली सिखाता है। इसलिए वास्तु-अनुशार इस चित्र को घर के पूर्व और दक्षिण-पूर्व के बीच ही लगाना चाहिए।

वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव के अनुसार गृह सज्जा के हर सामान उनके प्रभाव को ध्यान में रख कर ही सही दिशा में रखना चाहिए। गलत दिशा में रखे प्रतीक और चित्र हमारे जीवन और अंतर्मन में गलत प्रभाव डाल सकते हैं।


Edited by रविकांत पारीक