Women @ Work : बार-बार बदलती शिफ्ट में काम का असर महिलाओं के मीनोपॉज पर: स्टडी
कनाडा के टोरंटो में स्थित पब्लिक रिसर्च यॉर्क यूनिवर्सिटी की एक स्टडी कह रही है कि जो महिलाएं लंबे समय तक लगातार अलग-अलग शिफ्ट्स में काम करती हैं, उसका नकारात्मक असर मीनोपॉज पर पड़ता है और वह अपने प्राकृतिक समय से देर से हो सकता है.
बहुत सारे पब्लिक और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर और मीडिया में काम करने वाली महिलाओं के काम के घंटे और समय हमेशा तय नहीं होते. कई बार उन्हें अलग-अलग शिफ्ट्स में भी काम करना पड़ता है. कभी रात की शिफ्ट तो कभी दिन की. इसका उनकी गाइनिक हेल्थ पर क्या असर पड़ता है, इससे जुड़ी एक नई स्टडी आई है.
यह स्टडी कह रही है कि जो महिलाएं लंबे समय तक लगातार अलग-अलग शिफ्ट में काम करती हैं, उनका मीनोपॉज का समय डिले हो सकता है. यह स्टडी हुई है कनाडा के टोरंटो में स्थित यॉर्क यूनिवर्सिटी में, जो एक पब्लिक रिसर्च यूनिवर्सिटी है. द जरनल ऑफ नॉर्थ अमेरिकन मीनोपॉज सोसायटी में यह स्टडी प्रकाशित हुई है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं.
यॉर्क यूनिवर्सिटी में एजिंग पर एक स्टडी चल रही है- कनैडियन लॉन्जिट्यूडिनल स्टडी ऑन एजिंग. लंबे समय से चल रही इस स्टडी में 3700 महिलाओं को इनरोल किया गया है. मीनोपॉज से जुड़ी यह स्टडी एजिंग पर हो रही है इस लंबी स्टडी का हिस्सा है.
इस स्टडी में उन महिलाओं को शामिल किया गया था, जो मीनोपॉज से गुजर रही थीं या जिनका मीनोपॉज हो चुका था या फिर होने की कगार पर था. इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं शिफ्ट वाली ड्यूटी कर रही थीं, उनका मीनोपॉज का समय, जो कि प्राकृतिक रूप से 45 से 50 वर्ष की आयु के बीच होता है, आगे खिसक गया. साढ़े तीन हजार महिलाओं के डेटा से यह संकेत साफ था कि एक तरह के रूटीन में काम करने के उलट अलग-अलग रूटीन में काम करने का मेन्स्ट्रुल साइकल पर निगेटिव असर पड़ता है.
यह स्टडी कहती है कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अलग-अलग शिफ्ट में काम का सीधा असर हमारे बॉडी क्लॉक पर पड़ता है, जो महिलाओं के हॉर्मोनल साइकल को भी प्रभावित करता है. साथ ही लंबे समय तक रात में काम करने का अर्थ है आर्टिफिशियल लाइट से ज्यादा एक्सपोजर.
आर्टिफिशियल लाइट के ज्यादा संपर्क में रहने से शरीर में मेलेटॉनिन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिसका सीधा संबंध ओवरी से है. बॉडी क्लॉक और हॉर्मोन्स में आने वाला उतार-चढ़ाव मेन्स्ट्रुअल साइकिल को भी प्रभावित करता है और मीनोपॉज को भी.
Edited by Manisha Pandey