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Escorts Group की कहानी : जानिए कैसे ये कंपनी बनी 10,000 करोड़ रुपये मार्केट वैल्यू वाली कंपनी

'व्यापार/व्यवसाय' (Business) शब्द सभी को आकर्षित करता है। और यह समझना काफी सरल है कि व्यवसाय क्या है, लेकिन एक सफल व्यवसाय चलाना निश्चित रूप से सरल नहीं है।


भारत की प्रमुख ट्रैक्टर और कृषि-उपकरण और मशीनरी बनाने वाली कंपनी एस्कॉर्ट्स समूह (Escorts Group) की कहानी पूरी तरह से एक व्यवसाय के उतार-चढ़ाव का बखान करती है।


निखिल नंदा, मैनेजिंग डायरेक्टर, Escorts Group

निखिल नंदा, मैनेजिंग डायरेक्टर, Escorts Group


Escorts Group की शुरूआत

एस्कॉर्ट्स ग्रुप भारत की आजादी के साथ अस्तित्व में आया। एस्कॉर्ट्स ग्रुप के वर्तमान मैनेजिंग डायरेक्टर निखिल नंदा के दादा हरप्रसाद नंदा ने साल 1948 में ट्रैक्टर और कृषि के औजार बनाने के लिए एस्कॉर्ट्स एग्रीकल्चरल मशीन लिमिटेड (Escorts Agricultural Machines Ltd) की स्थापना की और अमेरिका में स्थित कंपनियों मैसी फर्ग्यूसन और मिनियापोलिस-मोलिन की फ्रैंचाइजी के साथ भारतीय ट्रैक्टर बाजार में अग्रणी बने।


बाद में, हर प्रसाद ने 1960 में एस्कॉर्ट्स लिमिटेड (Escorts Ltd) की स्थापना की और जल्द ही पोलैंड के उर्सस (Ursus) के साथ मिलकर ट्रैक्टर का निर्माण शुरू किया। उसी समय, कंपनी ने मोटरसाइकिलों की बेतहाशा लोकप्रिय राजदूत (Rajdoot) श्रेणी को लॉन्च करने के लिए एक अन्य पोलिश निर्माता सेकोप (Cekop) के साथ collaborate किया, जिसने एस्कॉर्ट्स को भारत के सबसे बड़े व्यापारिक घरानों में से एक के रूप में चिह्नित किया।


चेंज ऑफ फॉर्च्यून्स

एस्कॉर्ट्स लिमिटेड की स्थापना के बाद, हर प्रसाद ने भारत में फोर्ड ट्रैक्टर बनाने के लिए फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Co) के साथ एक joint venture (JV) शुरू किया। JV भारत का सबसे बड़ा ट्रैक्टर निर्माता बन गया। लेकिन कुछ अप्रत्याशित आने वाला था।


साल 1991 में, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक खिलाड़ियों के लिए खुली हो गई और यह वही समय था जब 1994 में हर प्रसाद ने अपने बेटे राजन नंदा को कंपनी सौंप दी।


नई अर्थव्यवस्था के साथ, एस्कॉर्ट्स समूह का पतन शुरू हो गया था क्योंकि अब ग्लोबल लीडर्स को भारत में व्यापार करने के लिए स्थानीय भागीदारों की आवश्यकता नहीं थी। यह Escorts Group के लिए कठिन समय था। उन्हें वैश्विक साझेदारों और करीबी व्यवसायों के साथ कई साझेदारियों को समाप्त करना पड़ा जो रिटर्न नहीं दे रहे थे।


पुनरुत्थान

साल 2007 में एस्कॉर्ट्स ग्रुप की कमान संभालने वाले निखिल नंदा ने कहा,

“एस्कॉर्ट्स बहुत सारे व्यवसायों में मौजूद थे। लेकिन, यह योग्यतम की उत्तरजीविता (survival of the fittest) है। साल 2002 और 2007 के बीच, हमने बहुत से व्यवसायों से, जो कोई रिटर्न नहीं दे रहे थे, से बाहर निकलने के लिए रणनीतिक निर्णय लिया।”
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फोटो क्रेडिट: cnbctv18


नंदा बताते हैंं,

पुनरुत्थान (resurgence) साल 2011 के बाद आया जब हमने नए उत्पादों (products) की शुरुआत की, और लागत (cost) और गुणवत्ता नियंत्रण (quality control) पर ध्यान दिया। एक बार बैलेंस शीट सही हो जाने के बाद स्पष्टता (clarity) आई। हमने बहुत सारे आंतरिक सुधार किए। हमें एक linear fashion में मितव्ययी रूप से सोचना था। हमने Business को consolidate करने के लिए साहसिक निर्णय लिए। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात, हम इस बारे में स्पष्ट हो गए कि हम क्या करना चाहते हैं।


अब कंपनी ने 2004 में निखिल नंदा के अनुसार बहुत सारे रणनीतिककरण के बाद अपना ऋण (debt) 1,200 करोड़ रुपये से ज्यादा कर लिया है।


भविष्य की योजनाएं

31 दिसंबर, 2019 को समाप्त तिमाही में घरेलू बाजार में 24,219 ट्रैक्टर की बिक्री के साथ कंपनी एक बार फिर से पटरी पर आ गई है।


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फोटो क्रेडिट: NBM&CW

वर्तमान में, एस्कॉर्ट्स समूह में तीन इंजीनियरिंग डिवीजन शामिल हैं। यह फार्मट्रैक (Farmtrac) और पॉवरट्रैक (Powertrac) ब्रांड के तहत ट्रैक्टर और कृषि उपकरण बनाती है; इसमें एक construction equipment arm है, और एक railway equipment division भी है। और पिछले कुछ वर्षों में, कंपनी का बाजार मूल्य 6,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये हो गया है और भविष्य में सकारात्मक वृद्धि की भी उम्मीद है।