Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

17 साल का ये छात्र पढ़ाई के साथ चला रहा है कंपनी, प्लास्टिक रिसाइकल कर तैयार कर रहे हैं फैब्रिक

17 साल का ये छात्र पढ़ाई के साथ चला रहा है कंपनी, प्लास्टिक रिसाइकल कर तैयार कर रहे हैं फैब्रिक

Monday January 03, 2022 , 3 min Read

दुनिया के सभी देश प्लास्टिक के चलते लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से जूझ रहे हैं, हालांकि आज लगभग ये सभी देश प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम कर पर्यावरण संरक्षण के अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहे हैं। भारत में भी आज तमाम युवा प्लास्टिक को रिसाइकल में अपना योगदान दे रहे हैं, इसी के साथ वे इससे अच्छी-ख़ासी आय भी अर्जित कर रहे हैं।

17 साल के आदित्य बांगर भी एक ऐसे ही शख्स हैं जो इस समय बड़ी तादाद में प्लास्टिक को रिसाइकल कर उससे फैब्रिक जैसे उत्पाद का निर्माण कर रहे हैं। गौरतलब है कि फिलहाल स्कूल में पढ़ाई कर रहे आदित्य इसी के साथ अपनी कंपनी भी चला रहे हैं।

k

राजस्थान से आने वाले आदित्य के इस खास प्रोजेक्ट को उनके परिवार का पूरा सहयोग हासिल हुआ, जहां उनकी पारिवारिक टेक्सटाइल कंपनी के जरिये उन्हें अपनी शुरुआत करने का मौका मिला।

स्कूल की पढ़ाई के साथ शुरू की कंपनी

आज आदित्य प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर उसे फैब्रिक फाइबर में बदलने का काम कर रहे हैं। आदित्य ने अपनी कंपनी 'ट्रैश टू ट्रेजर' की शुरुआत इसी बीते साल जनवरी में की थी। फिलहाल आदित्य 12वीं के छात्र हैं। आदित्य को इस शुरुआत का आइडिया दरअसल साल 2019 में हुई एक चीन यात्रा के दौरान आया था।

मीडिया से बात करते हुए आदित्य ने बताया है कि उस दौरान वे चीन में टेक्सटाइल मेले में हिस्सा लेने गए थे और वहीं पर उन्होने प्लास्टिक कचरे को फैब्रिक में बदलने वाली एक खास टेक्नालजी देखी, जहां वे उससे काफी प्रभावित हुए। आदित्य के अनुसार तब भारत में इस तरह की तकनीक बेहद कम ही देखी गई थी।

परिवार से मिला भरपूर समर्थन

राजस्थान से आने वाले आदित्य के इस खास प्रोजेक्ट को उनके परिवार का पूरा सहयोग हासिल हुआ, जहां उनकी पारिवारिक टेक्सटाइल कंपनी के जरिये उन्हें अपनी शुरुआत करने का मौका मिला। आदित्य ने बताया है कि जब उन्होने अपने इस आइडिया को अपने अंकल के सामने पेश किया तब उन्हें उनसे भरपूर समर्थन हासिल हुआ।

आज आदित्य जिस फाइबर का निर्माण करते हैं उसे उनकी ही पारिवारिक कंपनी को सप्लाई किया जाता है। बाद में कंपनी इस फाइबर का इस्तेमाल कपड़ों के निर्माण में करती है। आज आदित्य की कंपनी में करीब 100 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि अब तक आदित्य करीब 10 हज़ार किलो से अधिक प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर उसे फैब्रिक में बदल चुके हैं।

पर्यावरण का दुश्मन है प्लास्टिक

मालूम हो कि महज एक प्लास्टिक की बोतल को पूरी तरह डीकम्पोज़ होने में करीब 450 सालों का वक्त लगता है, ऐसे में लगातार बढ़ते प्लास्टिक के इस्तेमाल का नतीजा पर्यावरण पर अब सीधे तौर पर देखने को मिल रहा है। फिलहाल आदित्य देश भर में ऐसे लोगों के संपर्क में है जो प्लास्टिक कचरे को बीनकर इकट्ठा करते हैं।

प्रक्रिया की बात करें तो प्लास्टिक कचरे को पहले साफ करने के बाद उसे छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और उसके बाद उसे पिघला कर मशीनों द्वारा फाइबर में परिवर्तित किया जाता है। आदित्य के अनुसार इस तरह की कोशिशों में इजाफे के साथ ही प्लास्टिक रिसाइकल के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी और इससे पर्यावरण को भी सीधा फायदा पहुंचेगा।

हाल ही में केंद्र सरकार ने बताया था कि भारत में प्लास्टिक कचरा पिछले पांच सालों में 21.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि के साथ दोगुना से अधिक हो गया है। देश में 2019-20 में 34 लाख टन से अधिक और 2018-19 में 30.59 लाख टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न

हुआ था।


Edited by Ranjana Tripathi