Budget 2023: एंजल टैक्स का दायरा बढ़ने से स्टार्टअप्स के लिए और मुश्किल होगा निवेशकों से फंड जुटाना
बजट में प्रस्तावित नियमों के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप अगर फंडरेजिंग राउंड के तौर पर अगर विदेशी निवेशकों को हिस्सा देते हैं तो उन्हें इसके बदले भी एंजल टैक्स देना होगा. अभी तय ये नियम भारतीय नागरिकों पर ही लागू होते थे लेकिन अब इसका दायरा विदेशी निवेशकों तक भी बढ़ा दिया गया है.
Upasana
Thursday February 02, 2023 , 4 min Read
अब अनलिस्टेड स्टार्टअप कंपनियों को अपने शेयर विदेशी निवेशकों को अतिरिक्त प्रीमियम पर बेचने हुई कमाई को भी ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के तौर पर गिना जाएगा और उस पर कंपनी को एंजल टैक्स देना होगा. नए नियम 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट पेश करते हुए इसका ऐलान किया है. बजट प्रस्ताव के मुताबिक इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 56(2) (viib) को संशोधित करके ये सुनिश्चित किया गया है कि एजंल टैक्स से सेबी के पास रजिस्टर्ड ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (AIF) को ही छूट मिलेगी.
भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम को उम्मीद थी कि इस बार बजट में भारतीय स्टार्टअप्स को ग्लोबल स्तर पर ले जाने वाले उपाय किए जाएंगे, लेकिन एंजल टैक्स का बढ़ा हुआ दायरा स्टार्टअप कंपनियों के लिए झटके जैसा है.
स्टार्टअप ईकोसिस्टम पहले से ही फंडिंग विंटर के सीजन का सामना कर रहा है. PwC इंडिया की जनवरी में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारतीय स्टार्टअप्स को 24 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है, जो इससे पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी कम है. ईकोसिस्टम्स के एक्सपर्ट्स ने आशंका जताई है कि इस प्रस्ताव के बाद भारतीय स्टार्टअप्स को विदेशी निवेशकों से फंडिंग मिलने में और मुश्किल आ सकती है.
बजट में प्रस्तावित नियमों के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप अगर फंडरेजिंग राउंड के तौर पर अगर विदेशी निवेशकों को हिस्सा देते हैं तो उन्हें इसके बदले भी एंजल टैक्स देना होगा. अभी तय ये नियम भारतीय नागरिकों पर ही लागू होते थे लेकिन अब इसका दायरा विदेशी निवेशकों तक भी बढ़ा दिया गया है.
हालांकि अभी इस पर स्पष्टता आनी बाकी है कि क्या ये नियम फंड्स के तौर पर रजिस्टर्ड फॉरेन इवेस्टर्स और इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स पर भी लागू होंगे या नहीं.
3one4 कैपिटल के को-फाउंडर और प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल के इंडस्ट्री बॉडी IVCA मेंरेग्युलेटरी अफेयर्स कमेटी के को-चेयर सिद्धार्थ पई ने कहा, 'पहले एंजल टैक्स सिर्फ भारतीय नागरिकों से मिलने वाेल इनवेस्टमेंट्स पर लागू होता था.
इसलिए ज्यादातर भारतीय स्टार्टअप्स अपने लिए बाहर से फंडिंग जुटाने को प्राथमिकता देते थे. लेकिन बजट में किए गए नए प्रावधान के बाद अब बाहरी निवेशक भी स्टार्टअप्स को फंडिंग देने में हिचकेंगे. इतना ही नहीं भारतीय आंत्रप्रेन्योर अब विदेशों से कारोबार करने के उपायों पर विचार करेंगे ताकि टैक्स कम कर सकें.'
आपको बतादें कि एंजल टैक्स को सबसे पहले 2012 में पेश किया गया था. इसका मकसद अनलिस्टेड कंपनियों के शेयरों की खरीद के जरिए बेहिसाब फंड के जेनरेशन और इस्तेमाल पर रोक लगाया जा सके.
उस समय ऐसे मामले देखने को मिले थे जब कुछ अनलिस्टेड कंपनियों अपने शेयरों को वाजिब मार्केट वैल्यू से कई गुना प्रीमियम पर विदेशी निवेशकों को बेचे जा रहे थे.
एंजल टैक्स का दायरा बढ़ाने के साथ ही स्टार्टअप ईकोसिस्टम को टैक्स से जुड़े मामलों में छूट की उम्मीद थी. इस मामले पर भी ईकोसिस्टम के स्टेकहोल्डर्स को निराशा हाथ लगी है.
आर्था वेंचर फंड में मैनेजिंग पार्टनर अनिरुध ए दमानी ने कहा, वीसी/PE इनवेस्टर्स कम्यूनिटी की तरफ से कैपिटल गेन्स टैक्स के रेशनलाइजेशन को लेकर कई उम्मीदें थीं, ताकि कंपनियों के लिए कैपिटल फ्लो बढ़ सके. इस साल भी इस गुजारिश को नहीं माना गया, जो हमारे लिए निराशाजनक है.
ऐसा नहीं है कि बजट में स्टार्टअप्स के लिए कुछ पॉजिटिव कदम नहीं उठाए गए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि स्टार्टअप्स अब अपने नुकसान को 7 साल के बजाय 10 साल तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं.
इसके अलावा एआई को बढ़ावा देने के साथ ही एग्रीटेक, डेटा गवर्नेंस पॉलिसी जैसे कदमों को टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स की तरफ से सराहा गया है. लेकिन सच तो ये है कि एंजल का दायरा बढ़ने से स्टार्टअप कंपनियों को फंड जुटाने में और पापड़ बेलने पड़ सकते हैं जिसकी उन्हें इस समय सबसे अधिक जरूरत है.