क्या होता है REIT, जानिए फीचर्स और फायदों की डिटेल
रियल एस्टेट में निवेश आज भी आकर्षक विकल्प है लेकिन इसमें निवेश के और अधिक विकल्प हो चुके हैं. इन्हीं में से एक विकल्प है REIT यानी रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट.
एक समय था जब एक बड़ी आबादी के लिए रियल एस्टेट निवेश का सबसे किफायती और आसान जरिया हुआ करता था. लेकिन समय के साथ निवेश के आयाम और तरीके दोनों में बदलाव आया है.
रियल एस्टेट में निवेश आज भी आकर्षक विकल्प है लेकिन इसमें निवेश के और अधिक विकल्प हो चुके हैं. इन्हीं में से एक विकल्प है REIT यानी रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट. आइए जानते हैं REIT क्या होता है, इसमें कैसे निवेश कर सकते हैं और ये निवेश के लिए कैसा विकल्प है.
अगर आप रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन आपके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं. तो आप REIT - रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट के जरिए कम पैसों में भी वही फायदा कमा सकते हैं. REIT क्या होता है, आप इसमें कैसे निवेश कर सकते हैं, ये काम कैसे करता है. इस आर्टिकल में हम आपको समझाएंगे...
REIT क्या होता है
REITs या रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट को कॉरपोरेशन, ट्रस्ट या असोसिएशन के तौर पर देखा जा सकता है. REIT का काम रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में हिस्सेदारी लेकर या खरीदकर उन्हें मैनेज करके उनसे कमाई जेनरेट करना होता है. ये कॉरपोरेशन महंगे रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज और मॉर्गेज के पोर्टफोलियो मैनेज करती हैं.
मिसाल के तौर पर ये ट्रस्ट महंगी रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज को लीज पर देकर किराया जुटाती हैं. इस किराये को बाद में प्रॉपर्टी में हिस्सा रखने वाले स्टेकहोल्डर्स में कमाई और डिविडेंड के तौर पर बांटा जाता है.
क्या फायदा है?
REIT आम आदमी के लिए महंगे रियल एस्टेट में निवेश का सस्ता और आसान विकल्प माने जाते हैं. इस तरह आम आदमी कम पैसा होने के बाद भी महंगे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकता है और अच्छी खासी कमाई बना सकता है.
मान लेते हैं एक 40-50 लाख की कमर्शियल प्रॉपर्टी है आप इसे खरीदना तो चाहते हैं लेकिन आपके इतनी रकम नहीं है. ऐसी स्थिति में उस प्रॉपर्टी में आप REIT के जरिए निवेश कर सकते हैं. REIT आपको उस प्रॉपर्टी का कुछ हिस्से का मालिक बनने का मौका देती है.
ऐसा नहीं है कि REIT सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए ही है. बड़े निवेशक भी इसमें पैसे लगा सकते हैं. REIT अमूमन डेटा सेंटर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर यूनिट्स, अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्सेज में पैसे लगाते और मैनेज करते हैं.
REIT निवेशकों को छोटी रकम के साथ के साथ भी निवेश कर सकते हैं. इस इंस्ट्रूमेंट में निवेशकों के पास रियल एस्टेट वीकल का मालिकाना हक तो आता है लेकिन मैनेजमेंट वगैरह का काम उनको नहीं देखना होता. वो प्रोफेशनल ही देखते हैं.
अगर दूसरे शब्दों में कहें तो REIT बिल्कुल म्यूचुअल फंड की तरह होते हैं. यानी आप पैसा शेयर मार्केट में लगाते तो हैं लेकिन उसका मैनेजमेंट का काम आप नहीं बल्कि असेट मैनेजमेंट कंपनी करती है.
REIT के निवेशकों को डिविडेंड के रूप में फायदा मिलता है. सेबी के नियमों के मुताबिक किसी प्रॉपर्टी के रेंट से या उसको बेचकर जितना भी पैसा आएगा, उसका 90 फीसदी निवेशकों को लौटा दिया जाएगा. इस तरह के इंस्ट्रूमेंट्स से निवेशकों को नियमित आय तो मिलती ही है, साथ में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने से भी फायदा होता है.
आप जब चाहें तब अपनी यूनिट्स बेच सकते हैं. ठीक उसी तरह जैसे म्यूचुअ फंड्स में होता है. ये प्रक्रिया बेहद पारदर्शी होती है. खरीदार आपको एक्सचेंज पर ही मिलते हैं और खोजने की जरूरत नहीं होती है. रियल एस्टेट में डायरेक्ट निवेश से आपको नुकसान हो सकता है, लेकिन REIT में आपको डायवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है.
REIT के लिए क्या हैं नियम
REIT को पैसे देने वाले स्पॉन्सर्स मिलकर बनाते हैं. रियल एस्टेट कंपनियां भी स्पॉन्सर्स हो सकती हैं. स्पॉन्सर्स मिलकर REIT का ट्रस्टी तय करते हैं.
REIT बनाने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य है. REIT को इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1982 के तहत एक ट्रस्ट की तरह बनाया जाता है और यह सेबी के पास रजिस्टर्ड होता है.
1. REIT एक कंपनी या LLP के तौर पर नहीं बल्कि एक ट्रस्ट के रूप में काम करेगा.
2. जो भी REIT लाना चाहता है उसे पहले सेबी में रजिस्टर्ड करना होगा और इनकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होगी.
3. कुल असेट वैल्यू का 80 फीसदी हिस्सा पूरी तरह से तैयार और रेंट वाली प्रॉपर्टीज में निवेश करना जरूरी है, जिसका लॉक इन पीरियड 3 साल का है.
4. 10 परसेंट हिस्सा रिस्क वाले असेट में डाल सकते हैं. इसके तरह REIT अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज के अंदर 10 परसेंट हिस्सा ही निवेश कर सकते हैं.
5-बाकी के 10 परसेंट हिस्से को कई जगह निवेश किया जा सकता है. रियल एस्टेट कंपनियों को लोन दिया जा सकता है, रियल एस्टेट कंपनियों के शेयर खरीदे जा सकते हैं, सरकारी सिक्योरिटीज में डाला जा सकता है.
6- इन पैसों को खाली जमीन या एग्रीकल्चरल जमीन पर निवेश नहीं किया जा सकता है
कितने तरह के REIT
इक्विटी REIT
Equity REIT में मुख्य इनकम सोर्स रेंटल होता है. मिसाल के तौर पर किसी REIT में कई निवेशकों ने पैसा डाला, उससे हाई-वैल्यू प्रॉपर्टी जैसे मॉल खरीदा गया. मॉल बनकर उसे लीज पर दे दिया जाएगा.
उस प्रॉपर्टी पर मिलने वाले रेंट से बने मुनाफे को वापस निवेशकों में बांट दिया जाता है, जिसे डिविडेंड कहा जाता है. इसे ही Equity REIT कहते हैं.
मॉर्गेज REIT
इसमें REIT उन निवेशकों को लोन देता है जो प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, इससे REIT को ब्याज के तौर पर कमाई होती है, इसलिए इसे Mortgage REIT कहते हैं. इसमें भी इक्विटी REIT की तरह ही निवेशकों को डिविडेंड के रूप में पैसे लौटाए जाते हैं.
हाइब्रिड REIT
इस तरीके के REIT में निवेशक इक्विटी और मॉर्गेज दोनों तरह के REIT में निवेश कर सकते हैं. इस तरह किराय के साथ-साथ ब्याज के जरिए होने वाली कमाई पर मुनाफे में उनकी हिस्सेदारी हो सकती है.
प्राइवेट REIT
आम तौर पर प्राइवेट गिने चुने निवेशकों के लिए ही होता है. यह न तो किसी एक्सचेंज पर लिस्टेड होता है और ना ही सेबी के पास.
पब्लिकली ट्रेडेड REIT
पब्लिकली ट्रेडेड रियल एस्टेट फंड इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स को एक्सचेंज पर शेयरों की तरह खरीदा जा सकता है. ये ट्रस्ट एनएसई पर लिस्टेड होते हैं और सेबी के नियम के अंतर्गत आते हैं. कोई भी रिटेल निवेश शेयर की तरह इन्हें शेयर बाजार से खरीद और बेच सकता है.
नॉन-पब्लिकली ट्रेडेड REIT
ये ऐसे REIT होते हैं जो शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं होते लेकिन सेबी के पास रजिस्टर्ड होते हैं. बाजार में लिस्ट नहीं होने की वजह से इन पर शेयर मार्केट में होने वाले उतार चढ़ाव का कोई असर नहीं पड़ता. इसलिए पब्लिकली ट्रेडेड REIT के मुकाबले ये अधिक स्थिर रहते हैं.
निवेश की मिनिमम लिमिट
शुरुआत में सेबी ने REIT मे निवेश की न्यूनतम सीमा 2 लाख रुपये थी, लेकिन सेबी ने पहले इसे घटाकर 50,000 रुपये किया, फिर इसे घटाकर 10,000-15,000 रुपये कर दिया गया. सेबी ने न्यूनतम ट्रेडिंग लॉट को भी 200 यूनिट्स से घटाकर एक यूनिट कर दिया है.
कैसे और कितने समय के लिए करें निवेश
REIT में निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए. हाल ही में एंबेसी REIT का आईपीओ आया था जिसमें निवेश की न्यूनतम रकम 2.4 लाख रुपये तय की गई थी.
जानकारों के अनुसार, कम से कम 3 से 5 साल की समयसीमा तक अगर आप पैसे लगा सकते हैं तभी REIT में निवेश पर विचार करना चाहिए. रेंटल इनकम बढ़ने के साथ ही उनके रिटर्न में भी इजाफा होता रहेगा.