रेडी-टू-ईट लाइन में उतरने जा रही Zomato का Hyperpure, इनवेंट्री मैनेजमेंट भी करेगी ऑफर
Zomato हाइपरप्योर के जरिए रेस्त्रां को ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग, इनवेंट्री मैनेजमेंट जैसी सर्विस से लेकर पूरी बैक-एंड ऑपरेशंस मैनेजमेंट सर्विस यानी एंड-टू-एंड ईकोसिस्टम प्रोवाइड कराना चाहती है.
एक ऐसी कंपनी जो लंबे अरसे से रेस्त्रां किचन के लिए एग्री प्रॉडक्ट्स, पॉल्ट्री और अन्य फ्रेश प्रॉडक्ट्स की खरीदारी के बिजनेस में हो. वो अचानक से रेडी-टू-ईट लाइन में आने की बात कहे तो दांव उल्टा पड़ने के आसार अधिक होंगे.
मगर हाइरप्योर के लिए ये विकल्प ग्रोथ के ढेरों पिटारे खुलने जैसा मौका साबित हो सकता है. फिलहाल हाइपरप्योर जोमैटो पर रजिस्टर्ड 5 फीसदी रेस्त्रां को अपनी सर्विस देती है.
अब वह रेस्त्रां को ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग, इनवेंट्री मैनेजमेंट जैसी सर्विस से लेकर पूरी बैक-एंड ऑपरेशंस मैनेजमेंट सर्विस यानी एंड-टू-एंड ईकोसिस्टम प्रोवाइड कराना चाहती है.
हाइपरप्योर को जोमैटो ने 2018 में खरीदा था. जोमैटो के लिए यह कंपनी उसकी ग्रोथ स्ट्रैटजी में एक अहम हिस्सा बनकर उभरी है. जोमैटो अपने नॉन-फूड डिलीवरी बिजनेस को इंटीग्रेट करके उन्हें स्केल करने पर फोकस कर रही है.
हाइपरप्योर फिलहाल रेस्त्रां को फूड मिक्स और पैकेज्ड फ्रूट जूस डिलीवर करती है. अब वह रेस्त्रां को डेजर्ट्स और अन्य बेवरेजेज भी ऑफर करने के बारे में सोच रही है.
हाइपरप्योर के हेड राकेश रंजन ने योरस्टोरी को बताया कि कई ऐसे मिड साइज रेस्त्रां हैं जिनके पास अच्छे बेवरेजेज या डेजर्ट्स की लाइन नहीं है. अगर वो खुद बनाना चाहें तो इसके लिए उन्हें अपना स्टाफ बेस बढ़ाना पड़ेगा, जिसका खर्चा काफी आएगा.
उन्होंने कहा कि एक इंटरनल एनालिसिस करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि कन्विनिएंस फूड स्पेस में जाने के लिए ये दो कैटिगरी सबसे बेस्ट ऑप्शन होंगी. कुछ समय के बाद हम बाकी की कैटिगरी पर भी विचार कर सकते हैं.
हाइपरप्योर अगले 6 महीनों में रेडी-टू-ईट डेजर्ट्स और बेवरेजेज रेस्त्रां के लिए ऑफर करना शुरू कर देगी. बाद में एपेटाइजर्स और मेन कोर्स को भी इस लिस्ट में जोड़े जा सकते हैं.
बिरयानी बाई किलो के फाउंडर और को-सीईओ विशाल जिंदल ने कहा हाइपरप्योर का नया सेगमेंट यकीनन रेस्त्रां के लिए फायदेमंद होगा. लेकिन, क्वॉलिटी और दाम पर निर्भर करेगा कि उनका ये नया सेगमेंट कैसे परफॉर्म करने वाला है.
रेस्त्रां अगर सीधे हाइपरप्योर से सोर्स करेंगे तो उन्हें दुनिया भर के वेंडर्स के साथ डील करने की परेशानी खत्म हो जाएगी. जो अभी उन्हें फूड डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ सीधे सामान खरीदने में दिक्कत आती है.
इंडिगो हॉस्पिटैलिटी के फाउंडर अनुराग खत्रियार ने भी कहा कि अगर क्रेडिट और प्रोक्योरमेंट रेट लचीले रखे जाते हैं तो ये यकीनन रेस्त्रां के लिए फायदेमंद होगा. आपको मालूम हो कि इंडिगो हॉस्पिटैलिटी इंडिगो डेली, D:OH! और दक्षिण रसोई जैसे ब्रैंड्स ऑपरेट करता है.
छोटे रेस्त्रां के पास इतनी कैपेसिटी नहीं होती कि वो अपने यहां डेजर्ट्स की एक रेंज तैयार करें. ऐसे रेस्त्रां के लिए रेडी टू ईट डेजर्ट सेगमेंट फायदे का सौदा होगा.
राकेश बताते हैं कि हाइपरप्योर रेस्त्रां के लिए इनवेंट्री मैनेजमेंट से लेकर फुल-स्टैक प्रोक्योरमेंट सलूशन प्रोवाइडर की तरह बनकर उभरना चाहता है. ताकि रेस्त्रां की सारी जरूरतें एक ही जगह पूरी हो जाएं और उन्हें अलग से स्टोरहाउस चलाने की जरूरत न पड़े.
उन्होंने कहा, हम रेस्त्रां को ये सर्विस दे सकें इसके लिए इनवेंट्री मैनेजमेंट सलूशन प्रोवाइडर्स के साथ साझेदारी करना चाहते हैं. सलूशन तैयार होती है हम रेस्त्रां के मौजूदा इंटरनल सिस्टम के साथ इसे इंटीग्रेट कर देंगे.
ये प्रोजेक्ट कब तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा ये तो कहना मुश्किल है. इसके अलावा कई राज्यों ने प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है. इसलिए रेस्त्रां को लिए एक ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग सलूशन भी जरूरत बन गया है. हाइपरप्योर उन्हें ये सलूशन भी ऑफर करने की सोच रहा है.
हाइपरप्योर ब्लिंकिट पर भी सेलर्स को सप्लाई शुरू कर चुका है. जोमौटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने दूसरी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान यह जानकारी दी थी. अगर इन सभी जानकारियों को समेटा जाए तो कहा जा सकता है कि हाइपरप्योर में ग्रोथ की कितनी संभावनाएं हैं.
हाइपरप्योर के साथ बिजनेस करने वाले रेस्त्रां की संख्या 25 फीसदी हर तिमाही बढ़ रही है. जोमैटो पर 10 लाख रजिस्टर्ड रेस्त्रां हैं. इस लिहाज से हाइपरप्योर की मंजिल अभी बहुत दूर दिख रही है.
फिलहाल हाइपरप्योर 10 शहरों में करीबन 30000 रेस्त्रां को सर्विस दे रहा है. जोमैटो के रेवेन्यू में इसकी 15 फीसदी हिस्सेदारी है. सालाना आधार पर इसका रेवेन्यू दूसरी तिमाही में तीनगुना होकर 334 करोड़ रुपये हो गया.
लेकिन बी2बी ईकॉमर्स सेगमेंट यह अभी पीछे है. उड़ान का ग्रॉस रेवेन्यू FY22 में जहां 9900 करोड़ था, निन्जाकार्ट ने 967 करोड़ रुपये कमाए थे, वहीं हाइपरप्योर का रेवेन्यू 540 करोड़ रुपये रहा था.
हालांकि जोमैटो के चेयरपर्सन कौशिक दत्ता ने हाल ही में कहा था कि उसका बीटूबी सेगमेंट कोर फूड-डिलीवरी बिजनेस को आउटपरफॉर्म कर सकता है. एनालिस्ट्स भी हाइपरप्योर को लेकर पॉजिटिव हैं.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च ने अगस्त में एक रिपोर्ट में कहा था, ‘हाइपरप्योर बिजनेस के उम्मीद से बेहतर परफॉर्म करने का अनुमान है इसलिए हम FY2023-25 के दौरान जोमैटो का रेवेन्यू अनुमान बढ़ा रहे हैं.’