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गांव के स्कूल में पढ़ने वाले 12वीं पास युवा ने बनाए ढेरों ऐप, बनाई अलग पहचान

गांव के स्कूल में पढ़ने वाले 12वीं पास युवा ने बनाए ढेरों ऐप, बनाई अलग पहचान

Monday March 25, 2019 , 6 min Read

राहिल मोहम्मद

प्रतिभाएं कभी सुविधाओं की मोहताज नहीं होती हैं। सीमित संसाधनों में ही कुछ बड़ा कर दिखाने वाली प्रतिभाओं की हमारे देश में कोई कमी नहीं है। राजस्थान के अलवर जिले के एक छोटे से गांव मौजपुर लक्ष्मणगढ़ के रहने वाले राहिल मोहम्मद ने अभी सिर्फ 12वीं पास की है। इतनी कम उम्र में ही राहिल ने कई सारे ऐप डेवलप कर दिए हैं। उन्होंने किसी बड़े इंस्टीट्यूट से शिक्षा नहीं हासिल की। अपनी खुद की मेहनत के बूते उन्होंने इतने ऐप बनाए कि उनका नाम देश के सबसे युवा डेवलपर्स में शुमार किया जाता है।


राहिल एक ग्रामीण मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं उनके पित बसरुदीन खान अध्यापक हैं और माता गृहिणी हैं। राहिल ने योरस्टोरी से बात करते हुए बताया, 'आज मैं भले ही एक ऐप डेवलपर के तौर पर पहचाना जाता हूँ, पर कुछ साल पहले तक मुझे ये भी नहीं पता था कि ऐप होते क्या हैं? आज मैं आपको यही बताने आया हूँ कि वो लड़का जिसे कभी ऐप के बारे में भी नहीं पता था वो कैसे एक ऐप डेवलपर बन गया।


वे आगे बताते हैं, 'एक दिन घर में टीवी चल रहा था और मैं किताब पढ़ रहा था। टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कुछ कह रहे थे। तभी वो अचानक अलवर का नाम लेते हैं और अलवर का नाम सुनते ही मेरे भी कान खड़े हो जाते हैं। पीएम आगे कहते हैं कि राजस्थान के अलवर में इमरान नाम का एक लड़का है, जो आप ही लोगों का हम उम्र का है, पर इसी हम उम्र के लड़के ने गांव में रह कर ऐसी-ऐसी Apps बनाई है, जिसे दुनियाभर के लोग देख रहे हैं... मेरा हिन्दुस्तान ऐसे ही इमरानों के बीच बसता है।'


बस ये वो दिन था जब राहिल को लहा कि उन्हें भी कुछ ऐसा ही करना है। लेकिन उस वक्त राहिल दसवीं कक्षा में पढ़ रहे थे और उन्हें ये भी नहीं पता था कि ऐप होता क्या है। उनके आसपास ऐसा कोई इंस्टीट्यूट भी नहीं था जहां वे जाकर ये सारी चीजें सीख सकते। वे कहते हैं, 'मुझे एक चीज अच्छे से पता थी कि गांव में कोई मुझे इसके बारे में नहीं बता सकता, तो मुझे खुद ही सीखना पड़ेगा। मेरे दिमाग में हमेशा एक ही चीज सवार थी कि कैसे भी हो ऐप बनानी है मुझे कुछ नहीं पता था कि कैसे बनानी है... बस दिल में यह था कि यह बनाना है।


राहिल ने ऐप बनाना सीखने के लिए गूगल का सहारा लिया। वे कहते हैं, 'स्कूल से घर आते ही मैं अपने कमरे में चला जाता था। इंटरनेट पर ऐप से जुड़ी सारी जानकारी को पढ़ता था। यूट्यूब पर उससे जुड़े वीडियो देखता। इंटरनेट से मैंने HTML, CSS, JAWA, XML, PHP जैसी कंप्यूटर लैंग्वेज की बेसिक जानकारी ली मेरे सामने एक बड़ी प्रॉब्लम ये थी कि लैंग्वेज तो मैंने सीख ली, पर इसका इस्तेमाल कैसे करना है मुझे यह नहीं पता था।'


इसके बाद राहिल ने अपना ब्लॉग बनाया और कोडिंग के द्वारा उसे खुद डिजाइन करने लगा। उनकी वेबसाइट अच्छे से डिजाइन हो गई थी और अच्छी भी लग रही थी। यह देख कर उनके अंदर कॉन्फिडेंस आया और आगे बढ़ने का जोश मिला। राहिल कहते हैं कि आप अपना रास्ता खुद चुनते हैं और आपको खुद ही आगे बढ़ना होता है। लोग आपको यह तो बता सकते हैं कि यह रास्ता है, पर इस पर आगे कैसे बढ़ना है। वह आपको खुद तय करना होता।


राहिल ऐप बनाने में लगे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपने घरवालों को इसके बारे में नहीं बताया था। वे कहते हैं, 'मैं घरवालों से भी मैं नहीं कह सकता था, क्योंकि इसके बारे में उन्हें भी कोई जानकारी नहीं थी। मैं चाहता था कि मैं अपने पापा से बात करूं पर मैं उन्हें क्या बताता कि मैं क्या कर रहा हूं और क्यों कर रहा हूं? फिर भी मैं ये करना चाहता था। मैंने धीरे-धीरे करके कैसे जोड़ना शुरू किया और 6 महीने तक अपने खर्चों में कटौती करके एक लैपटॉप लिया, जिसमें मैं अपने सारे काम कर सकता था।'


लैपटॉप लेने की राहिल को काफी खुशी थी। वे कहते हैं, 'ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई जंग जीत ली हो पर यह तो असल में मेरी शुरुआत थी। मैंने एंड्रॉयड स्टूडियो पर काम करना शुरू किया और पहली हिंदी ग्रामर ऐप बनाई। मैं ऐप के बारे में लोगों को बताना चाहता था, पर इसे पहले मैंने सोचा कि क्यों ना! सबसे पहले इसके बारे में इमरान भाई को बताऊँ। वही इमरान भाई, जिनके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था। मैंने उनको वॉट्सऐप पर मैसेज किया और मैं भी आपके बारे में बताया। उन्हें जब यह पता लगा कि उनके अलावा उनके ही शहर से कोई लड़का इस फील्ड में काम कर रहा है, तो वह भी काफी खुश हुए। उन्होंने मुझसे कहा शाबाश ऐसे ही काम करते रहो और खूब आगे बढ़ो। उन्होंने जब मेरी तारीफ करी, तो मुझे काफी अच्छा लगा पर दिक्कत यह थी कि मुझे पता ही नहीं था कि App को कहा डालना है? और कैसे डालना है?'


राहिल आगे बताते हैं, 'मैंने एक बार फिर इमरान भाई की मदद ली। उन्होंने मुझे बताया कि ऐप को प्ले स्टोर पर कैसे डालना है। जिस वक्त मैंने पहला ऐप लाइव किया उस वक्त मेरी उम्र 16 थी और मैं 11 क्लास में पढ़ रहा था। मेरे इस ऐप को लोगों का अच्छा रेस्पॉन्स मिला और मुझे भी आगे काम करने के लिए मोटिवेशन मिला।'

 

इसके बाद राहिल ने और ऐप बनाने के बारे में सोचा, जो असल में लोगों के काम आ सकें। इसके बारे में वे कई दिनों तक मैं सोचते रहे। वे कई सारी चीजें पढ़ते रहे और उन्हें समझ में आया कि ऐसा कोई ऐप बनाया जाए जिससे पढ़ने वाले बच्चों को मदद मिल सके। इसके बाद राहिल ने एक के बाद एक 12 ऐप बना डाले। वे कहते हैं, 'मेरी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई है मैं अब भी कुछ ऐसी वेबसाइट पर काम कर रहा हूँ, जहां बच्चे फ्री में गवर्मेंट जॉब की तैयारी कर सकें। वे खुद ही अपना टेस्ट ले कर अनुमान लगा सकें कि अभी उन्हें कितनी और तैयारी करने की ज़रूरत है। इसके लिए मैं कोशिश में लगा हुआ हूँ और उम्मीद है बहुत ही जल्दी ये वेबसाइट भी आपके सामने होगी।


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