हावर्ड से पढ़ी यह गुजराती महिला, छोटे स्टार्टअप्स के लिए बनी मसीहा
31 साल की अनु ने हावर्ड यूनिवर्सिटी से प्राइवेट इक्विटी और कैपिटल मार्केट इन्वेस्टमेंट की पढ़ाई की है। इस दौरान ही उन्होंने इस स्टार्टअप के आइडिया के बारे में सोचा और 2017 में ही इस स्टार्टअप की नींव रखी।
अनु का मानना है कि जागरूकता और आत्म-विश्वास की कमी के चलते महिलाएं 'स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा पातीं।
उनका सपना इस कंपनी से पैसे कमाने का नहीं बल्कि बाजार और समाज के लिए उपयोगी स्टार्टअप्स की मदद करना और संसाधनों के अभाव में उन्हें डूबने से बचाना है।
लीक से हटकर काम करने की चाह रखने वाली हमारी युवा पीढ़ी आजकल स्टार्टअप्स को प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में एक स्टार्टअप है, जो छोटे स्तर के स्टार्टअप्स को सही राह दिखाने का काम कर रहा है। गुजरात की रहने वाली अनु शाह ने ईएफआई हब (EFI- एन्गेज फॉर इम्पैक्ट) नाम से इस स्टार्टअप की शुरूआत की है। ईएफआई की सह-संस्थापक और सीईओ अनु ने बताया कि उनकी टीम एक खास तरह का प्रोग्राम चला रही है, जिसके तहत संसाधनों और सही सलाह के अभाव में काम कर रहे स्टार्टअप्स की मदद के लिए नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। इस नेटवर्क में इंडस्ट्री के सीनियर लेवल के लोग होंगे, जो अलग-अलग क्षेत्रों की बारीकियों के बारे में इन स्टार्टअप्स को सलाह देंगे।
बड़ी है प्लानिंग
छोटे स्तर के स्टार्टअप्स के लिए तैयार नेटवर्क को 'ईएफआई हब' का नाम दिया गया है। इसके अलावा, कंपनी की योजना है कि सरकारी और गैर-सरकारी इन्वेस्टमेंट एजेंसिंयो की मदद से इन स्टार्टअप्स के लिए फंड की व्यवस्था भी की जाए। कंपनी की यह इकाई को 'ईएफआई कैपिटल' होगी।
कैसे हुई शुरूआत
31 साल की अनु ने हावर्ड यूनिवर्सिटी से प्राइवेट इक्विटी और कैपिटल मार्केट इन्वेस्टमेंट की पढ़ाई की है। इस दौरान ही उन्होंने इस स्टार्टअप के आइडिया के बारे में सोचा और 2017 में ही इस स्टार्टअप की नींव रखी। अनु का मानना है कि आईआईएम या हावर्ड जैसे बड़े संस्थानों के बच्चों को स्टार्टअप के लिए संस्थान के पूर्व छात्रों का सहयोग आसानी से मिल जाता है, लेकिन बी-लेवल स्टार्टअप्स के लिए यह काम आसान नहीं होता और सही मार्गदर्शन के अभाव में ज्यादातर स्टार्टअप्स शुरूआती दौर में ही दम तोड़ देते हैं। इसलिए उन्होंने ऐसे स्टार्टअप्स की मदद करने का जिम्मा उठाया है।
अनु ने 2005 में ग्रैजुएशन के बाद ही घर छोड़ दिया था और वह गुजरात से मुंबई आकर एक कॉल सेंटर में नौकरी करने लगीं। वह एक चॉल में रहा करती थीं। उनकी मासिक आय महज 100 डॉलर (लगभग 5000 रुपये) थी। इसके बाद वह एक कंपनी में सेल्स का काम संभालने लगीं। इस कंपनी में अपने बेहतरीन काम के बल पर वह जल्द ही ब्रैंड मैनेजर बन गईं। 5 साल मुंबई में बिताने के बाद वह स्कॉलरशिप पर एमबीए करने के लिए विदेश चली गईं। हालांकि, उनके मां-बाप उनके आगे पढ़ने के खिलाफ थे, लेकिन अनु मानती हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला था।
यह था टर्निंग प्वाइंट
2016 में जब अनु ईस्ट अफ्रीका की यात्रा पर थीं, तब उन्हें एक ट्रेडिशनल तरीके से बियर बनाने वाली कंपनी के बारे में पता चला। इसकी खास बात यह थी कि इसमें सिर्फ महिला कर्मचारियों को ही रोजगार दिया जाता था। इसकी सीईओ एक अधेड़ उम्र की महिला थीं, जो एक वक्त पर घरेलू हिंसा और मैरिटल रेप का शिकार थीं, इसलिए ही औरतों को रोजगार देकर समाज में उनके ओहदे को मजबूत बनाने की जुगत में लगी हुई थीं। इस महिला से अनु को प्रेरणा मिली।
अनु ने बताया कि नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के 6वें सेंसस के मुताबिक भारत में 58.5 मिलियन इंटरप्राइजेज हैं, जिनमें से 8.05 मिलियन (14 प्रतिशत) को महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है और ये इंटरप्राइजेज भी बेहद छोटे स्तर के हैं। अनु का मानना है कि जागरूकता और आत्म-विश्वास की कमी के चलते महिलाएं 'स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा पातीं।
कहां से मिल रही फंडिंग
अनु ने बताया कि उनका सपना इस कंपनी से पैसे कमाने का नहीं बल्कि बाजार और समाज के लिए उपयोगी स्टार्टअप्स की मदद करना और संसाधनों के अभाव में उन्हें डूबने से बचाना है। फिलहाल अनु अपने स्तर पर कंपनी में निवेश की व्यवस्था कर रही हैं। उनकी योजना है कि सरकारी और गैर-सरकारी इन्वेस्टमेंट एजेंसियों से भी फंड मिल सके और इसके लिए वह लगातार आईएफसी, वर्ल्ड बैंक और रवांडा डिवेलपमेंट बोर्ड से बातचीत कर रही हैं।
इन-इन देशों की मार्केट पर नजर
कंपनी मुख्य रूप से एशिया में भारत और अफ्रीका में तनजानिया, केन्या और रवांडा पर काम कर रही है। अनु का मानना है कि अर्थव्यवस्था के हिसाब से इन देशों के पास उभरते हुए बाजार हैं। अनु ने बताया कि कंपनी अलग-अलग क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है। जैसे कि भारत में मुख्य रूप से तकनीकी बाजार और अफ्रीका में तकनीक के साथ-साथ एजुकेशन और हेल्थकेयर सेक्टर उभर रहे हैं और कंपनी की योजना इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
कंपनी से जुड़े ये बड़े नाम
अनु ने अपने हावर्ड के साथी चैतन्य चौधरी के साथ ईएफआई हब की शुरूआत की, लेकिन चैतन्य ने अपने टेक-स्टार्अप के काम की वजह से इसे छोड़ दिया। चैतन्य के संपर्क से ही अनु को इनोव8 के सीईओ रितेश मलिक का साथ मिला। इतना ही नहीं लॉगिनेक्स्ट के सह-संस्थापक ध्रुविल सांघवी, ल्यूसीडियस के सह-संस्थापक साकेत मोदी, जेटसेटगो की संस्थापक कनिका टेकरीवाल और अर्बन क्लैप के सीईओ अभिराज भेल भी ईएफआई हब से जुड़ गए हैं।
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