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सैक्रेड गेम्स की 'सुभद्रा गायतोंडे' असल जिंदगी में बदल रही हैं हजारों ग्रामीणों की जिंदगियां

'सैक्रेड गेम्स' से चर्चा में आई ये बोल्ड अभिनेत्री अपनी असल ज़िंदगी नें समाज के लिए करती है कई अच्छे काम...

सैक्रेड गेम्स की 'सुभद्रा गायतोंडे' असल जिंदगी में बदल रही हैं हजारों ग्रामीणों की जिंदगियां

Tuesday July 24, 2018 , 5 min Read

 वेबसीरीज में गायतोंडे की पत्नी का किरदार निभाने वाली राजश्री ने कुछ न्यूड सीन्स भी किए जिसकी वजह से उन्हें काफी कुछ सुनना भी पड़ा। लेकिन उनके बारे में काफी कम लोगों को पता है कि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह एनजीओ के माध्यम से सूखा प्रभावित इलाकों में जाकर मदद करती हैं।

राजश्री देशपांडे

राजश्री देशपांडे


 हालांकि उनकी ऐक्टिंग को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है और हर तरफ उनकी तारीफें भी हो रही हैं। लेकिन हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से रूबरू करवाना चाहते हैं, जिनसे आप बिलकुल अनजान हैं।

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई बहुचर्चित वेब सीरीज 'सैक्रेड गेम्स' में अपनी ऐक्टिंग और बोल्ड लुक से सबका ध्यान खींचने वाली अदाकारा राजश्री देशपांडे इन दिनों लाइमलाइट में आ गई हैं। वेबसीरीज में गायतोंडे की पत्नी का किरदार निभाने वाली राजश्री ने कुछ न्यूड सीन्स भी किए जिसकी वजह से उन्हें काफी कुछ सुनना भी पड़ा। लेकिन उनके बारे में काफी कम लोगों को पता है कि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह एनजीओ के माध्यम से सूखा प्रभावित इलाकों में जाकर मदद करती हैं।

'सैक्रेड गेम्स' में मुख्य किरदार निभाने वाले नवाजुद्दीन की पत्नी के रूप में काम करने वाली राजश्री पांडेय फिल्मों में ऐक्टिंग तो करती ही हैं, साथ ही वह थिएटर आर्टिस्ट, डांसर, यायावर, मॉडल और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह समय-समय पर कई सारे मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करती रहती हैं। हालांकि उनकी ऐक्टिंग को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है और हर तरफ उनकी तारीफें भी हो रही हैं। लेकिन हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से रूबरू करवाना चाहते हैं, जिनसे आप बिलकुल अनजान हैं।

2015 में महाराष्ट्र में भयंकर सूखा पड़ा था जिसकी वजह से वहां के किसानों की हालत बदतर हो ली थी। उस वक्त राजश्री ने लातूर, जलाना और बीड जैसे इलाकों का दौरा किया और किसानों की समस्या को गंभीरता से समझने का प्रयास किया। उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र के पंढारी गांव से अपने काम की शुरुआत की। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'वहां किसानों की समस्या का एक ही कारण था, सूखा। मैंने देखा कि हर किसान ने बोरवेल करवा रखा है और इस वजह से इलाके का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है।'

राजश्री ने खुद से 1 लाख रुपये खर्च किए और किसानों को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए वॉटर टैंकरों की व्यवस्था कराई। लेकिन इससे किसानों को सिर्फ तुरंत मदद मिल सकती थी। लंबे समय तक फायदा पहुंचाने के लिए राजश्री ने कुछ आइडियाज सोचने शुरू कर दिए। उन्होंने एक मित्र मकरंद अनासपुरे की सलाह पर बारिश का संचय किया हुआ जल यानी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर ध्यान देना शुरू किया। वह बताती हैं कि इसके लिए गांव वालों का भरोसा जीतना पड़ा और उन्हें इसके बारे में समझाया भी गया।

राजश्री

राजश्री


वह बताती हैं, 'गांव वालों का भरोसा जीतने में महीनों लग गए। मैं उनके पास बैठती थी और उनकी बातों को ध्यान से सुनती थी। उन्हें सुने बगैर समस्या को नहीं समझा जा सकता था और जब तक असली समस्या न पता चले, आप समाधान तक नहीं बढ़ सकते। मेरे पूर्वज भी किसान थे। हालांकि मेरे पिता सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन वह गांव में किसानी भी करते थे। इसलिए मुझे खेती-किसानी के बारे में पर्याप्त जानकारी थी। खेती करने के लिए पानी बहुत जरूरी होता है और बारिश अगर सही नहीं होती तो किसानों की हालत दयनीय हो जाती है। हमारे यहां औरंगाबाद के पास भोकार्दन इलाके में कपास की खेती होती थी। लेकिन लगातार पानी की कमी की वजह से मेरे पिता ने जमीन बेची और औरंगाबाद शहर में आ बसे। उन्होंने किसी तरह पैसे जुटाकर हम तीन बहनों की पढ़ाई पूरी करवाई। मैंने उनका संघर्ष देखा है।'

यह सब याद करते हुए राजश्री भावुक हो जाती हैं। शायद यही वो संघर्ष था जिसने उन्हें अपनी जमीन से जोड़े रहा। उनके प्रयासों की बदौलत सूखा प्रभावित इलाकों में काफी परिवर्तन आया और गांव में पानी की समस्या से एक हद तक निजात भी पा लिया गया। लेकिन राजश्री का ध्यान गांव में कई सारी चीजों पर भी गया। उन्होंने देखा कि अभी भी लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं इसलिए उन्होंने गांव के लोगों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया। इन सब कामों को बेहतर तरीके से संपन्न करने के लिए उन्होंने 'नभांगन' नाम के एक एनजीओ की भी स्थापना की। इस शब्द का मतलब होता है, 'आकाश का आंगन'। अपने सोशल मीडिया पर भी वह अपने संगठन से जुड़े कामों के बारे में पोस्ट करती रहती हैं।

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ऐसे ही एक पोस्ट में वह कहती हैं, 'जैसा कि हम हमेशा अपने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हैं। हम चाहते हैं कि महिलाएं इतनी सशक्त हो जाएं कि आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार को चला सकें। हमें औरतों पर भरोसा करना चाहिए और उन्हें पूरा मौका भी देना चाहिए।' राजश्री कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करती रही हैं, इसमें धारावी डायरी, बुधनूर, वैद्यशाला और एसओएस पापा जैसे संगठन शामिल हैं। समुद्र तटों की सफाई के लिए भी उन्होंने कई सकारात्मक प्रयास किए हैं। अभी फिलहाल वह एक ऐसे संगठन के साथ काम कर रही हैं जो बालिकाओं के अच्छे भविष्य के लिए काम करता है।

एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली राजश्री आज जिस भी जगह हैं वह उनके लिए किसी मुकाम से कम नहीं है। उन्होंने सैक्रेड गेम्स के अलावा, एंग्री इंडियन गोडेस, एस दुर्गा, मुंबई सेंट्रल, जस्टिस और कई सारे फिल्मों और थिएटर्स के साथ मिलकर काम किया है।

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