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कम उम्र में ही अपनी कला से सबको चौंकाया 'सुविज्ञा शर्मा' ने...

- भारत के नामचीन कलाकारों में होती है सुविज्ञा शर्मा की गिनती ।- मात्र 31 साल की उम्र में सुविज्ञा कई नामचीन उद्योगपतियों के लिए कर चुके हैं काम ।-कई गरीब कलाकारों को देते हैं काम ताकि उनकी आय बनी रहे।

कम उम्र में ही अपनी कला से सबको चौंकाया 'सुविज्ञा शर्मा' ने...

Friday August 21, 2015 , 4 min Read

जो निर्जीव को सजीव कर दे वो ही कला होती है। भारत हमेशा से ही कला का पारखी रहा है यहां की प्राचीन इमारतों में कला का जो बेजोड़ रंग देखने को मिलता है वो भारत की कला के समृद्ध इतिहास को दर्शाता है। विभिन्न चीजें समय के साथ अाई और गईं लेकिन कला और कलाप्रेमी कभी नहीं बदले। भारत में कलाकारों की कमी नहीं रही गांंव देहातों में आज भी कई ऐसे बेहतरीन कलाकार मौजूद हैं जो भले ही नाम न कमा पाएं हों लेकिन उनकी कलाकारी का ढंका पूरे इलाके में बजता है। राजस्थान के घरों में जिस बारीकी से आज भी रंगरोगन किया जाता है वो अद्वितीय है। एक ऐसे ही बेहतरीन और उभरते हुए आर्टिस्ट हैं सुविज्ञा शर्मा जो मात्र अभी 31 साल के हैं लेकिन भारत के नामचीन बिजनेस परिवारों के लिए काम कर चुके हैं इनमें अंबानी, बजाज, पीरामल्स और मोदी शामिल हैं।

सुविज्ञा शर्मा

सुविज्ञा शर्मा


जब सुविज्ञा 4 साल के थे तब उन्होंने पहली बार ब्रश पकड़ा था। उनके परिवार पिछले 3 पीडि़यों से पेंटिंग कर रहा है। उनके पिताजी एक बेहतरीन अर्टिस्ट रहे हैं। पेंटिग की सुविज्ञा ने कोई ट्रेनिंग नहीं ली उन्होंने अपने पिता को देखकर ही इसको बारीकी से समझा जब वे 15 साल के थे तो जयपुर में बच्चों को ट्रेनिंग देने लगे और यह काम अगले 7 सालों तक उन्होंने किया उसके बाद उन्होंने कॉलेज में एडमीशन लिया और फौरन ट्रेड मैनेजमेंट की पढ़ाई की। लेकिन कहते हैं न कि नियति में जो लिखा होता है, इंसान वहीं खिंचा चला आता है सुविज्ञा पढ़ाई के बाद नौकरी करना चाहते थे लेकिन हालात ऐसे बनते गए की वे पेंटिंग के क्षेत्र में ही वापस पहुंच गए और आज वे भारत के नामी गिनामी पेंटर्स में से हैं।

 उनकी क्लाइंट लिस्ट लंबी चौड़ी है जिसमें देश के प्रसिद्ध नाम शामिल हैं । इतनी छोटी उम्र में इतना नाम कमाना कोई आसान काम नहीं है। वे मिनीअचर पेंटिंग बनाने के एक्सपर्ट हैं ये दुनिया की सबसे पुरानी आर्ट फॉर्म है। भारत के राजा महाराजा इस कला को खासा पसंद किया करते थे लेकिन समय बीतने के साथ ये आर्ट फॉर्म को पसंद करने वालों की संख्या कम होती गई।

सुविज्ञा को काम पाने के लिए ज्यादा मेंहनत नहीं करनी पड़ी, हां एक बार उन्हें काम पाने के लिए किसी उद्योगपति परिवार से मिलना था लेकिन उन्हें उनसे मिलने में 2 साल का समय लग गया इसके अलावा उन्हें कभी काम पाने में दिक्कत नहीं हुई उनके क्लाइंट्स खुद उनका बेहतरीन काम देखकर उनकी पब्लिसिटी कर देते हैं। जयपुर में आज लगभग सारे लोकल आर्टिस्ट किसी न किसी तरह सुविज्ञा से जुड़े हुए हैं। कई बार बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स आते हैं जैसे मंदिर का या किसी भवन में कलाकारी करने का ऐेसे में सुविज्ञा के पास 100 राजस्थान के लोकल कलाकारों की एक टीम है जो उन्हें काम में मदद करती है हर किसी कलाकार को काम बांटा जाता है मुख्य और बारीक काम सुविज्ञा खुद करते हैं फिर उसमें रंग भरना और बाकी काम दूसरे आर्टिस्ट करतै हैं।

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सुविज्ञा लगभग हर तरह की पेंटिंग कर चुके हैं चाहे वो पोट्रेट बनाना हो, मिनीअचर पेंटिंग हो इत्यादि

सुविज्ञा लगभग 1 हजार लोकल आर्टिस्ट को काम दे रहे हैं। उनकी पत्नी चारू एक एनजीओ चलाती हैं उस एनजीओ के जरिए वे पास के गांवों में आर्ट कैंप लगाती हैं और उन इलाकों के प्रतिभावान लड़कियों को जो अच्छी आर्टिस्ट बन सकती हैं उनका चयन करती हैं और उन्हें काम देती हैं ।

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सुविज्ञा उद्योगपतियों के बीच पहले से ही काफी प्रसिद्ध हैं लेकिन वे अब फिल्मों के लिए भी काम करना चाहते हैं। उन्होंने हाल ही में प्रियंका चोपड़ा के लिए एक स्पेशल दिवाली प्रोड़क्ट बनाया है और वो ऐसे ही बाकी चीजों को भी भविष्य में बनाना चाहते हैं। सुविज्ञा खुद को कला के हर भाग से जोड़ना चाहते हैं।

भविष्य में वे स्कूल खोलने भी खोलना चाहते हैं जहां वे छात्रों को ट्रेनिंग देना चाहते हैं और उनके अंदर की कला को निखारना चाहते हैं जिसके जरिए वे भारत में कला को बढ़ावा दे सकें।