कैबिनेट ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को दी मंजूरी, कब होगा लागू?
इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा, जोकि 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. इस बिल पर काम पिछले साल 27 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद शुरू हो गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार' बताया गया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Personal Data Protection Bill) को मंजूरी दे दी है. इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, “विधेयक (बिल) का लक्ष्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और निजी कंपनियों जैसी इकाइयों को ‘निजता के अधिकार' के तहत नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में और ज्यादा जिम्मेदार और जवाबदेह बनाना है.”
सूत्रों ने कहा, "मंत्रिमंडल ने डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है. इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा."
बता दें कि संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. इस विधेयक पर काम पिछले साल 27 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद शुरू हो गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार' बताया गया है.
सरकार ने व्यक्तिगत सूचना विधेयक को अगस्त, 2022 में वापस ले लिया था. इसे सबसे पहले 2019 के अंत में पेश किया गया था. इसके नए संस्करण के मसौदे को नवंबर, 2022 में जारी किया गया. सूत्र के अनुसार, विधेयक में पिछले मसौदे (ड्राफ्ट) के लगभग सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है. उस मसौदे को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने परामर्श के लिये जारी किया था. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में सरकारी विभागों को पूरी तरह से छूट नहीं दी गयी है.
सूत्र ने कहा, “विवादों के मामले में सूचना संरक्षण बोर्ड फैसला करेगा. नागरिकों को दिवानी अदालत में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा. कई चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी.”
उन्होंने कहा, “कानून लागू होने के बाद व्यक्तियों को अपने आंकड़े, उसके रखरखाव आदि के बारे में विवरण मांगने का अधिकार होगा.”
सूत्र ने बताया, “इस मसौदे को व्यापक विचार-विमर्श के बाद मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया. मसौदे पर कुल मिलाकर लगभग 21,660 सुझाव प्राप्त हुए और उनमें से प्रत्येक पर विचार किया गया. मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले सरकार के बाहर 48 संगठनों और सरकार के भीतर 38 संगठनों के साथ परामर्श किया गया था.”
कानून बनने के बाद सार्वजनिक और निजी, दोनों तरह की कई संस्थाओं को निजी जानकारी एकत्र करने और संसाधित करने के लिए उपयोगकर्ताओं से सहमति लेने की जरूरत होगी. विधेयक में नियमों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले में संबंधित इकाई पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है.
Edited by रविकांत पारीक