कोयंबटूर का यह ऑटोड्राइवर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को कराता है मुफ्त सवारी
कोयंबटूर का एक अॉटो ड्राइवर बेहतरीन उदाहरण है इंसानीयत का। उनके लिए पैसे कमाना उतना ज़रूरी नहीं है, जितना कि सामाजिक तौर पर जुड़ कर कोई नेक काम करना। वो एक ऐसे अॉटो ड्राइवर हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के ज़रूरतमंद लोगों की मदद करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि 'जहां इच्छा है वहां रास्ता है' और करुप्पास्वामी जैसे लोगों ने इस बात को साबित भी किया है।
करुप्पास्वामी काफी गरीब परिवार से हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई स्कॉलरशिप से की है। लेकिन समाज के लिए कुछ करने की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल थी, कि अॉटो चलाने का काम करते हैं।
ऐसे स्वार्थी समय में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो बिना किसी लाभ के दूसरे लोगों की मदद करेगा। दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग मिलेंगे जो केवल अपने लिए ही जीते हैं लेकिन ऐसे बहुत ही कम लोग मिलेंगे जो दूसरों के लिए सोचते हैं। जो दूसरों की भलाई के लिए जिंदगी जीते हैं।कोयंबटूर के 25 साल के करुप्पास्वामी इंसानियत का एक ऐसा ही उदाहरण हैं। करुप्पूस्वामी एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर हैं जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद करते हैं। वो गर्भवती महिलाओं और बच्चों से सवारी का एक भी पैसा नहीं लेते हैं।
करुप्पूस्वामी के लिए दो वक्त की रोटी कमाना बहुत ही जटिल है लेकिन आम ऑटो ड्राइवर होने के बाद गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए बड़ा काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी मदद को ईश्वर का अनोखा तोहफा बताया है। अपने सपनों को और भी ऊंची उड़ान देने के लिए उन्होंने सेकेंड हैंड ऑटो रिक्शा खरीद लिया। ऑटो रिक्शा को उन्होंने अपनी रूटीन लाइफ का सहारा बनाया। उनका कहना है कि इससे बढ़कर और बड़ा तोहफा क्या हो सकता है, कि ऐसे किसी गर्भवती महिला या बच्चे की मदद कर पाते हैं।
गरीबी पर भारी पढ़ाई करने की ललक
ऐसा कहा जाता है कि 'जहां इच्छा है वहां रास्ता है' और करुप्पास्वामी जैसे लोगों ने इस बात को साबित भी किया है। इस व्यक्ति ने समाज की परवाह किए बिना ये सब किया। एक गरीब परिवार से होने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करके दिखाई। पढ़ाई पूरी करना उनका सपना था। गवर्नमेंट स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने अपनी तमिल साहित्य की डिग्री पूरी की। पैसे की कमी के कारण वह एमफिल पूरी नहीं कर सके। जिंंदगी को बेहतर तरह से जीने के लिए उन्होंने दूसरा जरिया चुना। एक बार उनके पास नौकरी का ऑफर भी आया लेकिन उन्होंने उसे नहीं चुना।
करुप्पास्वामी हैं इंसानियत की मिसाल
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ये तमिल साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्री ले चुके हैं इसके बाद ये एम.फिल भी करना चाहते हैं। करुप्पास्वामी ने अपने दोस्त और परिवार की मदद से सेकेंड-हैंड ऑटो खरीदा ताकि अपने सपनों को पूरा कर सकें। इसलिए ये अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ऑटो चलाते हैं। करुप्पास्वामी गर्भवती महिलाओं और बच्चों से पैसे नहीं लेते। सुनने में तो ये एक छोटी बात लग सकती है लेकिन वास्तव में ये इंसानियत और नेकदिली की महान मिसाल है। अगर आप कोयंबटूर में करुप्पास्वामी के ऑटो में बैठते हैं तो यह एक याद रखने वाली सवारी हो सकती है। नेकी कर दरिया में डाल जैसी कहावतें करुप्पास्वामी सरीखे लोगों के लिए ही बनाई गई हैं।
सबके हीरो करुप्पास्वामी
अपनी इस अनोखी कारगुजारी से वह तमिलनाडु के हीरो बन गए हैं। अब तो एक तरह से यह उनकी यूएसपी भी बन गई है। एएनआई रिपोर्ट के मुताबिक वह कोयंबटूर के अलावा इंटरनेट के हीरो बन गए हैं। लोकल ट्रैफिक गार्ड भी उन्हें बखूबी पहचानते हैं। इसके अलावा वह स्थानीय प्रशासन के बीच भी खूब पहचाने जाते हैं।
इस वीडियो में देखें कप्पूर की नेकी वाली सवारी,