कोरोना वायरस महामारी में एक उम्मीद की किरण देख रहे हैं डॉक्टर, लेकिन यह है क्या?
31 दिसंबर को चीन के वुहान में नए कोरोना वायरस के पहले मामले सामने आए थे। उसके एक महीने बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस प्रकोप को दुनिया के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया। लेटेस्ट WHO के आंकड़ों के अनुसार, COVID-19 महामारी के चलते अब तक 14,652 मौतें हो चुकी हैं और 334,981 से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट (पॉजिटिव) में हैं। कोरोना के मामले लगभग पूरी दुनिया में पाए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब तक 650 से ज्यादा कोरोना वायरस मामले सामने आए हैं। लेकिन इस निराशा और कयामत के बीच, एक इकलौती उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है: दरअसल महामारी एक व्यवहारिक बदलाव लेकर आई है, जिसने लोगों को अपने स्वास्थ्य के बारे में अधिक जागरूक बनाया है।
डॉ. मोहम्मद यूसुफ मुजफ्फर, फोर्टिस, गुड़गांव, का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी कई लोगों को जिनमें पहले से कुछ परिस्थितियों मौजूद हैं, उन्हें यह महसूस करा रही है कि वे अजेय नहीं हैं और इसके चलते वे अपना चेकअप करा रहे हैं। 66 वर्षीय दिल्ली के अविनाश मिश्रा ने पाया कि उन्हें एक दुर्लभ प्रकार का अस्थमा था, जिसमें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी। वे कहते हैं कि उन्हें इस बीमारी के बारे में इसलिए पता चल पाया क्योंकि उनका बेटा कोरोना वायरस के डर से उन्हें चेकअप के लिए डॉक्टर के पास ले गया।
अविनाश कहते हैं,
“मैं एक नियमित धूम्रपान करने वाला व्यक्ति हूं। मैं पिछले आठ महीनों से गंभीर रूप से खांस रहा था, लेकिन डॉक्टर के पास नहीं गया क्योंकि मैं इसके लिए दिल्ली के प्रदूषण को जिम्मेदार मानता था।"
वे कहते हैं,
“मेरा बेटा कोरोना वायरस महामारी के कारण मुझे डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने कोरोना टेस्ट का सुझाव दिया, लेकिन मैंने एक पल्मोनोलॉजिस्ट को भी दिखाया और पाया कि मुझे सीने में गंभीर सूजन है।”
अविनाश COVID-19 के नेगेटिव पाए गए। दिल्ली के बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के एक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अपराजित कर इस बात से सहमत हैं कि Covid -19 ने व्यवहार में बदलाव लाया है।
वे कहते हैं,
“लोग अस्पतालों से बच रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वायरस उन्हें जकड़ लेगा, लेकिन वे अधिक जागरूक हो गए हैं। एक व्यवहार परिवर्तन हुआ है - लक्षणों की अनदेखी के बजाय, लोग ध्यान दे रहे हैं और जाँच कर रहे हैं।”
कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाने के बाद, मलागा में एटलेटिका पोर्टाटा अल्टा की जूनियर टीम के कोच 21 वर्षीय स्पैनिश युवक फ्रांसिस्को गार्सिया की मौत से पता चला कि पहले से मौजूद स्थितियां कोविड -19 के साथ और भी घातक हो सकती हैं। फ्रांसिस्को को यह पता नहीं था कि उन्हें एक प्रकार की ल्यूकेमिया भी थी, जिसके बारे में उन्हें पहले पता ही नहीं चला।
दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल के एक विभाग प्रमुख ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण स्वास्थ्य संबंधी अन्य गंभीर मुद्दे थे। टीबी, कैंसर के उपचार, हाई ब्लड शुगर और अन्य जैसी बीमारियों के इतिहास वाले मरीजों को अधिक जोखिम होता है।
उन्होंने कहा,
“मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि लोग अब अपने स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि COVID-19 को खत्म करने के बाद भी यह सावधान व्यवहार जारी रहेगा।"
हाई रिस्क वाले रोगी
नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवि मलिक कहते हैं कि COVID-19 मूल रूप से एक "श्वसन वायरस" (रेस्पिरेटरी वायरस) है, जो कि ल्यूकेमिया, गंभीर अस्थमा, अनियंत्रित मधुमेह और लॉन्ग टर्म स्टेरॉयड वाले मरीजों में इसके कॉन्टैक्ट में आने का ज्यादा जोखिम है। लेकिन, वह कहते हैं, कि इस प्रकोप ने लोगों को खांसी, छींकने और सोशल डिस्टैंसिंग का शिष्टाचार सिखाया है।
वे कहते हैं,
“भारत में लोगों ने श्वसन स्वच्छता (respiratory hygiene) सीखी है। कई ने मास्क पहन रखे हैं। इससे न केवल कोविड-19 का मुकाबला करने में मदद मिलेगी, बल्कि टीबी जैसी बीमारियों से भी मुकाबले करने में मदद मिलेगी, जो भारत में पांच लाख से अधिक लोगों को मारती हैं और फ्लू, जो एक वर्ष में 60,000 जिंदगियों को खत्म करता है।”
डॉ. संतोष कुमार ने YourStory को बताया कि कोरोना वायरस की जांच करने का परीक्षण पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) तकनीकों पर आधारित है। वे बताते हैं,
“लेकिन वर्तमान टेस्टिंग किट विशेष रूप से कोरोना वायरस फैमिली के परीक्षण के लिए बनाई गई हैं; जिसमें वह किट बताती है कि क्या कोई व्यक्ति COVID-19 पॉजिटिव या नेगेटिव है।"
हालांकि, डॉ. यूसुफ का कहना है कि कुछ अस्पताल फुल पीसीआर टेस्ट करते हैं, जो अन्य बीमारियों जैसे एच 1 एन 1 या स्वाइन फ्लू का पता लगाने में मदद करता है। डॉ. संतोष कहते हैं कि अगर व्यक्ति COVID-19 नेगेटिव पाया जाता है तो उसकी अन्य बीमारियों की जांच करना समझ में आता है। डॉ. यूसुफ सहमत हैं,
"हर खाँसी कोरोना वायरस नहीं है, हर छींकना कोरोना वायरस नहीं है, और हर बुखार कोरोना वायरस नहीं है।"
डॉ. रवि ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों को घबराने की नहीं बल्कि खुद को जागरूक रखने और सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोनो वायरस का खतरा वास्तविक है, लेकिन केवल सावधानी बरतने से बीमारी को दूर रखा जा सकता है।