Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

कबाड़ी की दरियादिली: गरीब बच्चों के लिए बना डाली 25 हजार किताबों वाली लाइब्रेरी

हमारे आस-पास न जाने कितने जरूरतमंद लोग हैं, जिन्हें किताबों की ज़रूरत है और उनके पास किताबें नहीं हैं, किताबों की ऐसी ही मुश्किल दूर करने के लिए 55 साल के जोस अलबर्ट ने कैसे अपना जीवन समर्पित कर दिया है, आईये जानें...

कबाड़ी की दरियादिली: गरीब बच्चों के लिए बना डाली 25 हजार किताबों वाली लाइब्रेरी

Monday June 12, 2017 , 4 min Read

पुरानी किताबें जब आपको बेकार लगने लगती हैं तो आप क्या करते हैं? किसी दोस्त को दे देते हैं या किसी लाइब्रेरी या स्कूल को दान दे देते होंगे। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। ज्यादा मुश्किल से बचने के लिए लोग किसी कबाड़ी को बुलाकर उसे औने पौने दाम पर बेच देते हैं। वे किताबें रद्दी में चली जाती हैं और उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। हमारे आस-पास ही न जाने कितने जरूरतमंद लोग होते हैं जिन्हें किताबों की आवश्यकता तो होती है, लेकिन उन्हें किताबें मिल नहीं पाती हैं। ऐसी मुश्किल को दूर करने और किताबों को बर्बाद होने से बचाने के इरादे से अमेरिका के एक व्यक्ति ने पब्लिक लाइब्रेरी बना डाली...

<h2 style=

कबाड़ की किताबों के बीच 55 वर्षीय जोस अलबर्ट, फोटो साभार: upworthy.coma12bc34de56fgmedium"/>

"जैसे-जैसे जोस अलबर्ट की किताबों का कलेक्शन बढ़ता गया वैसे-वैसे उनके आस-पास रहने वाले लोगों ने उनके इस सराहनीय कदम को नोटिस करना शुरू कर दिया और उनके घर आकर अपने बच्चों की जरूरत के मुताबिक किताबें ले जाने लगे।"

कोलंबिया के बोगोटा में रहने वाले 55 साल के जोस अलबर्ट पिछले 20 सालों से बेकार और पुरानी किताबें इकट्ठा कर रहे हैं। वह पुरानी किताबों को बचाने की मुहिम चलाते हैं। अधिकतर उन्हें बुरी हालत में किताबें मिलती हैं, जिन्हें वे अपनी तरफ से सुधारते हैं और जो किताबें अच्छी हालत में होती हैं उन्हें वे सीधे अपने घर में बनाई लाइब्रेरी में डाल देते हैं।

ये भी पढ़ें,

अॉरगेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने कि लिए जयराम ने छोड़ दी वकालत और बन गये किसान

आज से 20 साल पहले कहीं से कबाड़ इकट्ठा करते वक्त जोस अलबर्ट को 'लियो तॉलस्तॉय' का मशहूर अपन्यास 'अन्ना कारेनिना' मिला था। उसके बाद ये सिलसिला चलता गया और आज उनकी लाइब्रेरी में 25 हजार से भी ज्यादा किताबें हैं। उनके घर का ग्राउंड फ्लोर किताबों से पटा पड़ा है।

जैसे-जैसे उनकी किताबों का कलेक्शन बढ़ता गया वैसे-वैसे उनके आस-पास रहने वाले लोगों ने उनके इस सराहनीय कदम को नोटिस करना शुरू कर दिया। उनके घर लोग आने लगे और अपने बच्चों की जरूरत के मुताबिक किताबें ले जाने लगे। अलबर्ट का मुख्य मकसद एक कम्यूनिटी लाइब्रेरी बनाना था। उन्होंने लाइब्रेरी का नाम स्पेनिश में रखा- "La Fuerza de las Palabras" जिसका मतलब होता है, 'शब्दों की शक्ति'। अलबर्ट के इस काम में उनके घरवाले भी मदद करते हैं। किताबों को लाने और ले जाने से लेकर उन्हें सही करने, इवेंट ऑर्गनाइज करने तक का काम उनके घरवाले करते हैं।

अलबर्ट का मकसद है कि वह गरीब और बेसहारा बच्चों की पढ़ाई में मदद कर सकें। उनके इलाके में एक कम्यूनिटी स्कूल था जिसमें किताबें नहीं उपलब्ध हो पा रही थीं, अलबर्ट ने अपनी ओर से स्कूल की काफी मदद की। उन्होंने लगभ 235 अलग-अलग स्कूलों में किताबें दान कीं। अलबर्ट कहते हैं, 'मैं यहां पला बढ़ा हूं और अब मुझे गरीबी और कमजोर तबके का अच्छे से अंदाजा है। यहां बच्चों को पढ़ाई करने के लिए जगह नहीं मिलती और पढ़ाई के आभाव में वे जल्दी से काम करना शूरू कर देते हैं।' आज अलबर्ट की लाइब्रेरी ऐसे बच्चों की मदद कर रही है।

अलबर्ट समय-समय पर बुक फेयर का भी आयोजन करते हैं। उनके साथी जो कबाड़ का व्यवसाय करते हैं, उन्हें अगर कोई ऐसी किताब मिलती है तो वे सीधे उनसे संपर्क करते हैं। अब अलबर्ट का अच्छा-खासा नेटवर्क तैयार हो गया है और किसी को भी कोई पुरानी और बेकार किताब दिखती है तो वह सीधे उन्हें दे जाता है। इतना ही नहीं, वे जिस इलाके में कूड़ा और कबाड़ इकट्ठा करने जाते हैं, वहां के लोग किताबों को कबाड़ में फेंकने से पहले उसे अलग रख लेते हैं।

ये भी पढ़ें,

कभी झोपड़ी में गुजारे थे दिन, आज पीएम मोदी के लिए सिलते हैं कुर्ते